क्या ईरान में लौटेगी राजशाही? रेजा पहलवी की अपील के बाद Islamic Revolution चर्चा में, 46 साल पहले हुआ क्या था?

ईरान के पूर्व शाह के बेटे रेजा पहलवी ने देश की जनता से इस्लामिक गणराज्य से नाता तोड़ने और लोकतांत्रिक बदलाव की मांग करने की अपील की है. उन्होंने शांति, आज़ादी और समृद्धि की बात करते हुए सेक्युलर लोकतंत्र का समर्थन किया. रेजा, जो निर्वासन में रहते हैं, इस्लामिक शासन को कमजोर मानते हैं. 1979 की क्रांति में शाह का पतन हुआ था, जिसके बाद ईरान में कट्टरपंथी इस्लामिक गणराज्य की स्थापना हुई.;

By :  रंजीत सिंह
Updated On : 20 Jun 2025 1:01 PM IST

ईरान के दिवंगत शाह के बेटे रेजा पहलवी ने ईरान के लोगों से अपील की है कि वे इस्लामिक गणराज्य से नाता तोड़ लें. पहलवी का कहना है कि मौजूदा शासन लोगों की आजादी और खुशहाली के खिलाफ है. पहलवी ने ईरान की जनता से एकजुट होकर लोकतांत्रिक बदलाव की मांग करने को कहा, ताकि देश में शांति और समृद्धि आ सके. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यह बदलाव शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए.

अब यहां जानते हैं कि पहलवी कौन हैं? जो ईरान में लोकतंत्र चाहते हैं और इस्लामिक गणराज्य को कमजोर मानते हैं.

कौन हैं रेजा पहलवी?

रेजा पहलवी ईरान के शाही परिवार के क्राउन प्रिंस थे, जब ईरान में पश्चिमी समर्थक राजशाही थी. 1979 में इस्लामिक क्रांति के कारण यह राजशाही खत्म हो गई और धार्मिक नेताओं ने इस्लामिक गणराज्य की स्थापना की. वॉशिंगटन के पास निर्वासन में रहने वाले रेजा पहलवी ईरान के शाही अतीत का प्रतीक बनकर लोकतांत्रिक बदलाव की वकालत करते हैं. वे कहते हैं कि उनका मकसद राजशाही को वापस लाना नहीं है, बल्कि अपने नाम का इस्तेमाल करके ईरान में सेक्युलर लोकतंत्र के लिए आंदोलन को समर्थन देना है.

इजरायल ईरान के मौजूदा इस्लामिक गणराज्य को अपने लिए खतरा मानता है. यहां एक बात गौर करने वाली है कि रेजा के पिता यानी शाह मोहम्मद रेजा पहलवी के समय में इजरायल और ईरान के बीच अच्छे रिश्ते थे. रेजा पहलवी के भी इजरायल के साथ अच्छे संबंध हैं और उन्होंने दो साल पहले इजरायल का दौरा भी किया था.

ईरान से बाहर रहने वाले कुछ राजशाही समर्थक, जो पुरानी राजशाही झंडा लहराते हैं, 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमलों के बाद इजरायल के समर्थन में हुए प्रदर्शनों में सक्रिय रहे हैं. रेजा पहलवी ने बार-बार कहा है कि ईरान में इस्लामिक गणराज्य कमजोर है, खासकर 2022 में महसा अमीनी की मौत के बाद हुए बड़े विरोध प्रदर्शनों के बाद.

आपको बता दें कि महसा को ईरान की मोरल पुलिस ने महिलाओं के लिए सख्त ड्रेस कोड लागू करने के दौरान गिरफ्तार किया था, जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी.

अब जानते हैं कि ईरान में इस्लामिक गणराज्य कब और कैसे आया? चूंकि इस्लामिक गणराज्य से पहले ईरान में राजशाही का बोलबाला था. तो आखिर वो कौन सी घटना थी जिसके बाद ईरान में राजशाही का अंत हुआ?

1979 की क्रांति

1979 में ईरान की इस्लामिक क्रांति, एक ऐसी ऐतिहासिक घटना थी, जिसने ईरान की सत्ता और समाज को पूरी तरह बदल दिया. दरअसल, 1970 के दशक में ईरान पर शाह मोहम्मद रेजा पहलवी का शासन था. वे पहलवी वंश के शासक थे और 1941 से सत्ता में थे. शाह ने देश का आधुनिकीकरण करने की कोशिश की, जैसे शिक्षा, उद्योग और महिलाओं के अधिकारों में सुधार. लेकिन उनकी कुछ नीतियां, जैसे ईरान पर पश्चिमी देशों का असर और तेल की कमाई का असमान वितरण, कई लोगों को पसंद नहीं आईं. उनकी खुफिया पुलिस ने विरोधियों को दबाने की कोशिश की, तो लोग नाराज़ हो गए. ईरान के तमाम धार्मिक नेता और आम जनता भी शाह के पश्चिमीकरण को इस्लाम के खिलाफ मानते थे.

क्रांति की शुरुआत

1978 में शाह का विरोध शुरू हो गया था. छोटे-छोटे प्रदर्शन धीरे-धीरे बड़े हो गए. धार्मिक नेता अयातुल्ला रूहोल्ला खामेनेई में ईरान की जनता को उम्मीद दिखी. खामेनेई शाह के खिलाफ बोलते थे और इस्लामिक शासन की बात करते थे. हालांकि खामेनेई उस वक्त फ्रांस में निर्वासन का जीवन बिता रहे थे. ईरान के प्रदर्शनकारी सभी वर्गों से थे, जिनमें छात्र, मजदूर और बुद्धिजीवियों के अलावा धार्मिक लोग भी शामिल थे. उनकी मांग थी कि शाह सत्ता छोड़ें. जनवरी 1978 में क़ोम शहर में छात्रों पर पुलिस ने गोलीबारी कर दी जिससे प्रदर्शनकारी भड़क उठे. सितंबर 1978 में "ब्लैक फ्राइडे" की घटना हुई, जब तेहरान में प्रदर्शनकारियों पर सेना ने गोली चलाई, जिसमें कई लोग मारे गए. इससे क्रांति को और बल मिला. शाह की सरकार कमजोर पड़ने लगी. हड़तालों, खासकर तेल उद्योग की हड़ताल ने अर्थव्यवस्था को ठप कर दिया.

शाह का पतन और खामेनेई की वापसी

  • जनवरी 1979: शाह दबाव में देश छोड़कर मिस्र चले गए. उनकी राजशाही खत्म हो गई.
  • 1 फरवरी 1979: अयातुल्ला खामेनेई 14 साल के निर्वासन के बाद ईरान लौटे. लाखों लोगों ने उनका स्वागत किया.
  • खामेनेई ने एक नई सरकार बनाने की घोषणा की और इस्लामिक गणराज्य की नींव रखी.

इस्लामिक गणराज्य की स्थापना

अप्रैल 1979 में एक जनमत संग्रह हुआ, जिसमें ज्यादातर लोगों ने इस्लामिक गणराज्य के पक्ष में वोट दिया. खामेनेई सुप्रीम लीडर बने और शिया इस्लाम के आधार पर नया संविधान बनाया गया. इसमें धार्मिक नेताओं का सत्ता पर नियंत्रण था. नई सरकार ने शाह के पश्चिमी प्रभाव को खत्म करने की कोशिश की. महिलाओं के लिए हिजाब अनिवार्य हुआ और कई सामाजिक नियम सख्त हो गए.

क्‍या हुआ नतीजा

  • अंतरराष्ट्रीय तनाव: नवंबर 1979 में, ईरानी छात्रों ने तेहरान में अमेरिकी दूतावास पर कब्जा कर लिया और 52 अमेरिकियों को 444 दिनों तक बंधक बनाए रखा. इससे ईरान और पश्चिमी देशों (खासकर अमेरिका) के रिश्ते खराब हो गए.
  • ईरान-इराक युद्ध (1980-1988): क्रांति के बाद इराक ने ईरान पर हमला किया, जिससे लंबा और विनाशकारी युद्ध हुआ.
  • आंतरिक बदलाव: शाह के समर्थकों को सजा दी गई और समाज में इस्लामिक नियम लागू हुए, लेकिन कुछ लोगों ने नए शासन को दबंग मानकर इसका विरोध भी किया.

ईरान में इस्लामिक गणराज्य आज भी कायम है और सुप्रीम लीडर (मौजूदा वक्त में अयातुल्ला अली खामेनेई) देश की सबसे बड़ी सत्ता है. 1979 की क्रांति के बाद से ईरान में कई बार विरोध प्रदर्शन हुए, जैसे 2009 और 2022 में, जो इस्लामिक गणराज्य के प्रति सामाजिक और आर्थिक असंतोष को दर्शाते हैं. ईरान की इस्लामिक क्रांति ने एक राजशाही को उखाड़कर धार्मिक शासन स्थापित किया. यह जनता के गुस्से, धार्मिक नेतृत्व और सामाजिक बदलाव की मांग का नतीजा थी. इसने ईरान को आधुनिक इतिहास में एक अनोखी पहचान दी, लेकिन साथ ही कई चुनौतियां भी लाईं. ईरान का इतिहास साम्राज्यों, धर्म, और क्रांतियों की कहानी है. यह एक ऐसा देश है जो अपनी प्राचीन संस्कृति को बनाए रखते हुए आधुनिक चुनौतियों का सामना कर रहा है.

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