कौन हैं ट्रंप के ‘इकोनॉमिक गुरु’ पीटर नवारो? भारत को रूस का साथी बताकर 50% टैरिफ लगाने का तैयार किया मास्टरप्लान

डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने भारत को रूस-चीन के करीब बताकर निशाना साधा है. नवारो ही वो शख्स हैं जिन्होंने ट्रंप को भारत पर 50% टैरिफ लगाने की सलाह दी. हार्वर्ड से पढ़े नवारो अपनी विवादित नीतियों और सख्त टैरिफ फैसलों से अमेरिका को दोस्तों से भी दूर कर रहे हैं. आखिर क्यों इतना नाराज़ हैं नवारो भारत से?;

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Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 20 Aug 2025 11:26 AM IST

डोनाल्ड ट्रंप का नाम सुनते ही सबसे पहले “अमेरिका फर्स्ट” की नीति याद आती है. लेकिन इसके पीछे जो शख्स है, वह है उनका ट्रेड एडवाइजर और आर्थिक राष्ट्रवाद का सबसे बड़ा पैरोकार – पीटर नवारो. यही नवारो वो इंसान हैं जिनके कहने पर ट्रंप ने भारत समेत कई देशों पर भारी-भरकम टैरिफ लगा दिए. नवारो की सोच है कि दुनिया को अमेरिकी शर्तों पर चलना चाहिए, और अगर कोई देश इसके खिलाफ जाता है, तो उसे सीधे झटका देना जरूरी है.

नवारो का सबसे बड़ा जुनून है चीन का विरोध. उनकी किताब डेथ बाय चाइना ने उन्हें अमेरिकी राष्ट्रवादियों का हीरो बना दिया. उन्होंने चीन पर करेंसी मैनिपुलेशन, अवैध सब्सिडी और आर्थिक आक्रामकता के आरोप लगाए. इसी चीन-विरोधी एजेंडे को उन्होंने भारत पर भी लागू किया, क्योंकि भारत रूस से तेल खरीद रहा था और ये अमेरिकी हितों के खिलाफ माना जा रहा था.

कौन है पीटर नवारो?

पीटर नवारो मूल रूप से एक अर्थशास्त्री और प्रोफेसर हैं. उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की है और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, इरविन में पढ़ाया भी है. शुरुआत में वे डेमोक्रेटिक विचारधारा से प्रभावित थे, लेकिन धीरे-धीरे उनकी सोच बदल गई और वे कट्टर आर्थिक राष्ट्रवादी बन गए. नवारो ने कई किताबें लिखीं, जिनमें सबसे मशहूर डेथ बाय चाइना है. इसी किताब और डॉक्यूमेंट्री की वजह से उनकी पहचान ट्रंप कैंप तक पहुंची. ट्रंप के दामाद जैरेड कुशनर ने नवारो को पढ़ा और फिर उन्हें व्हाइट हाउस में जगह मिली.

विवादों से घिरे नवारो

नवारो की पहचान केवल अर्थशास्त्री के रूप में नहीं, बल्कि एक विवादास्पद शख्सियत के तौर पर भी होती है. उन्होंने 2018 में कनाडा के प्रधानमंत्री पर कहा था कि “ऐसे नेताओं के लिए नरक में खास जगह है.” हालांकि बाद में उन्होंने माफी मांगी, लेकिन तब तक उनकी छवि कठोर और आक्रामक नीति वाले सलाहकार के रूप में पक्की हो चुकी थी. यहां तक कि एलन मस्क ने उन्हें “ईंट से भी ज्यादा बेवकूफ” कहा था.

क्यों भारत के खिलाफ भड़काया?

नवारो का आरोप है कि भारत रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीद रहा है, उसे रिफाइन कर रहा है और इससे रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था को ताकत मिल रही है. नवारो का मानना है कि अगर भारत को अमेरिका का “स्ट्रैटेजिक पार्टनर” बनना है, तो उसे रूस से दूरी बनानी होगी. इसी दबाव की रणनीति के तहत उन्होंने ट्रंप को भारत पर 50% टैरिफ लगाने की सलाह दी. उनका कहना है कि भारत को वहीं चोट करनी होगी जहां सबसे ज्यादा दर्द होता है – यानी व्यापार.

ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी के मास्टरमाइंड

फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप की आक्रामक टैरिफ पॉलिसी के पीछे पूरा दिमाग नवारो का ही है. उन्होंने न सिर्फ भारत, बल्कि चीन, कनाडा, यूरोपियन यूनियन और मैक्सिको तक पर टैरिफ लगाने की सिफारिश की. नवारो का मानना था कि “टैरिफ” लगाकर अमेरिका अपनी इंडस्ट्री और वर्किंग क्लास को बचा सकता है. लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक, उनकी नीतियों ने उल्टा अमेरिकी सप्लाई चेन और कारोबारियों को नुकसान पहुंचाया.

दोस्तों से दूर कर रहे पीटर

नवारो की नीतियों ने अमेरिका को उसके अपने सहयोगी देशों से दूर कर दिया. उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर कनाडा, यूरोपीय संघ और जापान जैसे देशों पर भी स्टील और एल्यूमिनियम टैरिफ लगा दिए. इन देशों ने पलटवार में अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाए, जिससे रिश्ते और खराब हुए. आलोचकों का कहना है कि अगर अमेरिका को चीन के खिलाफ मजबूत मोर्चा बनाना था, तो उसे दोस्तों का साथ चाहिए था. लेकिन नवारो की जिद ने इस मोर्चे को कमजोर कर दिया.

अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर असर

नवारो के मॉडल के मुताबिक, टैरिफ से अमेरिका हर साल 600 अरब डॉलर कमाएगा. लेकिन येल यूनिवर्सिटी और टैक्स फाउंडेशन की स्टडी ने इसे झूठा बताया और कहा कि असली आंकड़ा आधे से भी कम है. हकीकत ये है कि टैरिफ से अमेरिकी सामान महंगा हुआ, कंपनियों की लागत बढ़ी और उपभोक्ताओं की जेब ढीली हुई. यानी फायदा कम और नुकसान ज्यादा.

ट्रंप के साथ गहरी नजदीकी

ट्रंप के पहले कार्यकाल में नवारो नेशनल ट्रेड काउंसिल के डायरेक्टर रहे और दूसरे कार्यकाल में सीनियर काउंसलर फॉर ट्रेड एंड मैन्युफैक्चरिंग. ट्रंप ने उन्हें इतना भरोसा दिया कि कई बार पूरा कैबिनेट नवारो से नाराज होता, लेकिन ट्रंप फिर भी उनके फैसले मानते. यही वजह है कि नवारो को ट्रंप का “गुरु” कहा जाने लगा.

ट्रंप को फायदा पहुंचा रहे या नुकसान?

पीटर नवारो का नाम आज भी अमेरिकी राजनीति में विवाद का केंद्र है. उनकी सोच अमेरिका को “खुद के दम पर” खड़ा करना चाहती है, लेकिन इसके लिए उन्होंने कई दोस्तों को दुश्मन बना लिया. भारत पर 50% टैरिफ लगवाना इसी रणनीति का हिस्सा था. सवाल यही है कि नवारो जैसे सलाहकार ट्रंप को कितना फायदा पहुंचा रहे हैं और कितना नुकसान. क्योंकि जहां एक तरफ उनकी नीतियों ने अमेरिका को आक्रामक दिखाया, वहीं दूसरी तरफ उसने रिश्तों की नींव को कमजोर कर दिया.

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