क्या अमेरिका को दूसरे के घर में झांकने को हो रही आदत? 'सस्ते रूसी तेल से भर रहा खज़ाना'; US ट्रेज़री सेक्रेटरी का नया हमला
अमेरिकी ट्रेज़री सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने भारत की रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे रिफाइन कर बेचने की प्रैक्टिस को “unacceptable arbitrage” करार दिया. उन्होंने कहा कि भारत सिर्फ मुनाफाखोरी कर रहा है. यह बयान अमेरिका और भारत के बीच ऊर्जा व्यापार पर बढ़ते तनाव को दर्शाता है. ट्रंप प्रशासन ने पहले ही भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाया है.

अमेरिका ने एक बार फिर भारत की रूस से तेल खरीद पर कड़ा रुख अपनाया है. अमेरिकी ट्रेज़री सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट (Scott Bessent) ने कहा है कि नई दिल्ली रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदकर और उसे रिफाइन कर बेचकर पश्चिमी प्रतिबंधों का मुनाफाखोरी वाला फायदा उठा रही है. उन्होंने इस प्रैक्टिस को 'unacceptable arbitrage' करार दिया.
बेसेंट के इस बयान ने एक बार फिर वॉशिंगटन और नई दिल्ली के बीच खींचतान को तेज़ कर दिया है. भारत लगातार यह कहता रहा है कि सस्ती रूसी ऊर्जा उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा और उपभोक्ताओं को महंगाई से राहत देने के लिए ज़रूरी है, वहीं अमेरिका का आरोप है कि भारत की ये खरीद रूस को आर्थिक सहारा दे रही है.
स्कॉट बेसेंट का आरोप: 'इंडियन आर्बिट्राज'
सीएनबीसी को दिए इंटरव्यू में बेसेंट ने कहकि “यह... भारतीय आर्बिट्राज- सस्ता रूसी तेल खरीदना और उसे उत्पाद के रूप में दोबारा बेचना , युद्ध के दौरान अचानक शुरू हुआ है, जो अस्वीकार्य है। वे सिर्फ मुनाफाखोरी कर रहे हैं. वे फिर से बेच रहे हैं. यानी उनका सीधा आरोप है कि युद्ध के दौरान भारत ने नया रास्ता निकालकर रूस से सस्ता तेल लिया और उसे प्रोसेस कर फिर से बेचकर मुनाफा कमाया.
लगातार दबाव: सेकेंडरी टैरिफ की चेतावनी
यह पहली बार नहीं है जब स्कॉट बेसेंट ने भारत को निशाना बनाया हो। पिछले हफ्ते उन्होंने ब्लूमबर्ग टीवी से कहा था कि अगर अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन की बातचीत नाकाम रहती है तो भारत पर और सेकेंडरी टैरिफ लगाए जा सकते हैं. उनके शब्दों में “हमने रूस से तेल खरीदने पर भारतीयों पर सेकेंडरी टैरिफ लगाए हैं. और अगर हालात ठीक नहीं रहे, तो प्रतिबंध या सेकेंडरी टैरिफ और भी बढ़ सकते हैं.
यूरोप पर भी बरसे बेसेंट
फॉक्स न्यूज़ को दिए बयान में उन्होंने यूरोपीय देशों पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया, “It is time for our European counterparts to put up or shut up,” उन्होंने कहा. बेसेंट का कहना था कि यूरोप एक तरफ रूस पर प्रतिबंध लगाता है, लेकिन दूसरी तरफ भारतीय रिफाइनरियों से वही उत्पाद खरीदता है जो रूसी कच्चे तेल से बने होते हैं.
ट्रंप की टैरिफ धमकी और भारत की नाराज़गी
राष्ट्रपति ट्रंप पहले ही भारत से आने वाले निर्यात पर 50% तक ड्यूटी लगा चुके हैं। उन्होंने साफ चेतावनी दी है कि रूस से तेल खरीद जारी रखने वाले देशों पर और दंडात्मक कदम उठाए जाएंगे. ट्रंप ने कहा था 'जब आप अपने दूसरे सबसे बड़े ग्राहक [भारत] को खो देते हैं और संभवतः अपना पहला सबसे बड़ा ग्राहक भी खोने वाले हैं, तो मुझे लगता है कि इसका निश्चित रूप से असर पड़ता है. भारत ने इसे “अन्यायपूर्ण, अनुचित और अनुचित” करार देते हुए कहा कि ऊर्जा आयात उसके आर्थिक स्थायित्व और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ज़रूरी है.
चीन पर नरमी, भारत पर सख्ती
अमेरिका की इस नीति को डबल स्टैंडर्ड कहा जा रहा है. चीन अब भी बड़े पैमाने पर रूसी तेल आयात कर रहा है, लेकिन उस पर ऐसे सेकेंडरी प्रतिबंध नहीं लगाए गए. बेसेंट का तर्क है कि चीन पहले से ही युद्ध से पहले रूस का बड़ा खरीदार था, इसलिए उसका मामला अलग है.विशेषज्ञ मानते हैं कि यह रवैया भारत-अमेरिका रिश्तों में एक नया तनाव पैदा कर सकता है.
भारत की रूसी तेल रणनीति
- भारत ने 2022 में पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद रूस से सस्ता तेल खरीदना शुरू किया। $60 प्रति बैरल प्राइस कैप के बाद रूस भारत का सबसे बड़ा सप्लायर बन गया.
- 2020 में रूस की हिस्सेदारी भारत के क्रूड इम्पोर्ट में 1.7% थी.
- 2025 में यह बढ़कर 35% से ज्यादा हो गई.
- कुल 245 MMT तेल आयात में से 88 MMT सिर्फ रूस से आया.
- भारत का कहना है कि सस्ता तेल आयात करने से घरेलू महंगाई काबू में रही, ऊर्जा जरूरतें पूरी हुईं और विकास दर बनी रही.