SCO समिट में दिखी शहबाज शरीफ की बेचारगी! दिखा मोदी-पुतिन-शी का जलवा; Video वायरल

तियानजिन में SCO समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की दोस्ताना झलकियों ने पूरे मंच पर ध्यान खींच लिया. तीनों नेताओं की ‘पावर वॉक’ और सहज बातचीत ने एशिया में नई शक्ति धुरी का संकेत दिया. इसके विपरीत पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ कैमरों में उपेक्षित और हाशिए पर दिखाई दिए.;

( Image Source:  X/@sidhant )
Edited By :  प्रवीण सिंह
Updated On : 1 Sept 2025 11:06 AM IST

तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में इस बार कुछ ऐसे दृश्य देखने को मिले जिन्होंने न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समीकरणों को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि एशिया की नई शक्ति धुरी किस ओर बढ़ रही है. मंच पर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन साथ नज़र आए तो कैमरे उन पर थम गए.

तीनों नेताओं की बातचीत, मुस्कान और सहजता ने यह साफ कर दिया कि इस मंच पर असली केंद्रबिंदु कौन है. लेकिन एक तस्‍वीर जो सामने आई, उसे देखकर पाकिस्‍तान को मिर्ची लगना तय है. सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में देखा जा सकता है कि रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन और पीएम मोदी कुछ बात करते गुजर रहे हैं और वहीं पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीब बेचारे की तरह साइड में खड़े हैं.

मोदी, पुतिन और शी का ‘पावर वॉक’

वीडियो और तस्वीरों में साफ दिखा कि जैसे ही तीनों नेता एक साथ पहुंचे, उन्होंने गर्मजोशी से हाथ मिलाया और हल्की-फुल्की बातचीत की. यह पल केवल औपचारिकता नहीं बल्कि एक प्रतीक था - तीन एशियाई दिग्गज मिलकर एक नए भू-राजनीतिक समीकरण की तस्वीर पेश कर रहे थे. इस दृश्य ने बाकी सभी को लगभग छाया में डाल दिया.

शहबाज़ शरीफ़ पर कैमरों की बेरुखी

इसके ठीक उलट नज़र आए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शेहबाज़ शरीफ़. वही मंच, वही माहौल, लेकिन उनके हिस्से में आई उपेक्षा. एक वीडियो क्लिप में मोदी और पुतिन उनके पास से गुज़रते हैं लेकिन न कोई नज़र मिलती है, न कोई अभिवादन. शरीफ़ कैमरे के फ्रेम में तो ज़रूर थे, मगर ‘साइडलाइन’ पर. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह दृश्य प्रतीकात्मक होते हैं और यहां यह संदेश साफ था - पाकिस्तान अब SCO की राजनीति में केंद्रीय नहीं बल्कि परिधि पर है.

पुरानी तल्ख़ी की झलक

यह पहली बार नहीं है कि मोदी और शरीफ़ के बीच दूरी दिखी हो. सम्मेलन की ‘फैमिली फोटो’ में दोनों को कई कतारों के फासले पर खड़ा किया गया. भोज के दौरान भी ऐसा ही नज़ारा था, जहां दोनों नेताओं की पीठ एक-दूसरे की ओर थी. इन दृश्यों ने भारत-पाक रिश्तों की मौजूदा हकीकत को बिना शब्दों के बयान कर दिया.

मोदी का डिजिटल संदेश

इन मुलाक़ातों के कुछ ही देर बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया मंच X पर अपनी तस्वीरें साझा कीं. उन्होंने पुतिन और शी के साथ दो तस्वीरें पोस्ट कर लिखा, “तियानजिन में संवाद जारी! SCO समिट में राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति शी के साथ विचारों का आदान-प्रदान.” यह ट्वीट न केवल कूटनीतिक औपचारिकता थी बल्कि एक संदेश भी - भारत, रूस और चीन साथ मिलकर क्षेत्रीय मुद्दों पर गंभीर चर्चा कर रहे हैं और पाकिस्तान जैसी आवाज़ें हाशिए पर जा रही हैं.

SCO: एशिया की नई शक्ति धुरी

शंघाई सहयोग संगठन केवल एक मंच नहीं बल्कि एशिया की बदलती ताकत का प्रतीक है. इसमें भारत, चीन, रूस जैसे दिग्गज सदस्य हैं, तो पाकिस्तान, मध्य एशिया और अब ईरान जैसे देश भी शामिल हैं. लेकिन इस सम्मेलन में तस्वीरें और बॉडी लैंग्वेज ने स्पष्ट कर दिया कि असली नेतृत्व भारत, रूस और चीन के पास है.

पाकिस्तान की कूटनीतिक मुश्किलें

पाकिस्तान लंबे समय से SCO जैसे मंचों को अपनी अंतरराष्ट्रीय पहचान मजबूत करने के लिए इस्तेमाल करना चाहता था. लेकिन भारत के साथ तनावपूर्ण रिश्ते और वैश्विक मंचों पर अलग-थलग पड़ती स्थिति उसकी राह मुश्किल बना रही है. IMF की शर्तों से जूझती अर्थव्यवस्था, आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता और लगातार आतंकवाद से जुड़ी आलोचनाओं के बीच शरीफ़ का ‘इग्नोर’ होना पाकिस्तान की कूटनीति पर गहरा प्रहार है.

भारत की बढ़ती भूमिका

भारत इस बार SCO में आत्मविश्वास से भरा दिखाई दिया. मोदी-पुतिन-शी की दोस्ताना तस्वीरें दिखाती हैं कि भले ही भारत और चीन के बीच सीमा विवाद जैसे मुद्दे हों, लेकिन बहुपक्षीय मंचों पर भारत की उपस्थिति इतनी मज़बूत है कि चीन भी उसे नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता. वहीं रूस के साथ भारत के संबंध ऊर्जा, रक्षा और रणनीति के क्षेत्र में और गहरे हो रहे हैं.

कैमरों की भाषा: कूटनीति का नया पैमाना

अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अक्सर कहा जाता है कि तस्वीरें और दृश्य शब्दों से ज्यादा बोलते हैं. इस सम्मेलन में यही हुआ. मोदी-पुतिन-शी का एक साथ चलना और हंसते हुए बातचीत करना केवल एक ‘मीडिया मोमेंट’ नहीं था, बल्कि एक भू-राजनीतिक संकेत था कि एशिया में सहयोग की नई धुरी बन रही है.

तियानजिन का SCO समिट केवल नेताओं का औपचारिक जमावड़ा नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति का आइना था. यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग की मुस्कुराती तस्वीरों ने दिखा दिया कि क्षेत्रीय शक्ति समीकरण किस ओर झुक रहा है.

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