SCO Summit 2025: मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की तिकड़ी का दिखा पावर शो, इन पांच पॉइंट्स से समझें भारत को क्या हुआ फायदा?
SCO Summit 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. बैठक में भारत-रूस संबंधों की गहराई, आतंकवाद पर भारत का कड़ा रुख, यूक्रेन युद्ध पर शांति की पहल और संयुक्त वक्तव्य में पहलगाम हमले का जिक्र प्रमुख मुद्दे रहे. तस्वीरों और कूटनीतिक संकेतों ने अमेरिका पर अप्रत्यक्ष दबाव बनाया.;
तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन इस बार भारत के लिए कई मायनों में अहम साबित हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अलग-अलग द्विपक्षीय मुलाकातें कीं, जो भविष्य की कूटनीतिक दिशा को तय करने वाली मानी जा रही हैं. इन बैठकों ने न केवल भारत-रूस और भारत-चीन संबंधों को नई ऊर्जा दी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका को भी और मजबूत किया.
यह सम्मेलन ऐसे समय में हुआ जब अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया है और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत की नीतियों की आलोचना कर रहे हैं. क्वाड शिखर सम्मेलन में ट्रंप की संभावित गैर-भागीदारी और यूएन जनरल असेंबली से मोदी की अनुपस्थिति की अटकलों के बीच, तियानजिन में मोदी की सक्रिय भागीदारी ने स्पष्ट किया कि भारत वैश्विक मंच पर स्वतंत्र रणनीति के साथ अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है. आइए जानते हैं SCO बैठक की बड़ी बातें
सार्थक द्विपक्षीय बैठकें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तियानजिन में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अलग-अलग मुलाकात की. दोनों बैठकों की अवधि लगभग 50-50 मिनट रही, जिसमें व्यापार, सुरक्षा, ऊर्जा और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. खास बात यह रही कि पुतिन और मोदी की बातचीत सिर्फ बैठक कक्ष तक सीमित नहीं रही. पुतिन ने मोदी को अपनी कार में आमंत्रित किया और रास्ते में भी लंबा संवाद जारी रखा. इस कदम को भारत-रूस संबंधों की गहराई का प्रतीक माना गया. बैठक के बाद भारत-चीन सीधी उड़ानों की बहाली और दिसंबर में पुतिन की भारत यात्रा की घोषणा ने इन मुलाकातों को और ऐतिहासिक बना दिया.
तस्वीरों ने दिया कूटनीतिक संदेश
कूटनीति में तस्वीरों का महत्व हमेशा से रहा है और इस बार भी ऐसा ही हुआ. मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की संयुक्त उपस्थिति वाली तस्वीरें वाशिंगटन से लेकर यूरोप तक चर्चा का विषय बनीं. खासकर मोदी और पुतिन की सौहार्द्रपूर्ण तस्वीरें वीबो और Baidu जैसे चीनी प्लेटफॉर्म्स पर ट्रेंड करती रहीं. यह नज़ारा केवल औपचारिकता नहीं था, बल्कि अमेरिका के खिलाफ एक साझा रणनीतिक संदेश भी था. डोनाल्ड ट्रंप भारत की रूस से तेल खरीद पर लगातार नाराज़गी जाहिर कर रहे थे. ऐसे में मोदी-पुतिन-शी की तिकड़ी की नज़दीकी तस्वीरों को अमेरिकी "टैरिफ डिप्लोमेसी" के खिलाफ कूटनीतिक जवाब माना गया.
पुतिन के साथ कार यात्रा का संदेश
सम्मेलन का सबसे प्रतीकात्मक पल तब आया जब पुतिन ने मोदी को अपने साथ कार में सफर करने का निमंत्रण दिया. उन्होंने मोदी के इंतजार में 10 मिनट तक गाड़ी रोके रखी और फिर दोनों नेताओं ने रास्ते में और स्थल पर लगभग एक घंटे तक बातचीत की. यह सिर्फ शिष्टाचार नहीं था, बल्कि एक रणनीतिक संकेत था कि रूस भारत को विशेष महत्व देता है. पश्चिमी मीडिया ने इसे “डिप्लोमैटिक ड्राइव” करार दिया और इसे ट्रंप के लिए एक अप्रत्यक्ष अपमान बताया. क्योंकि अमेरिका भारत पर रूस से ऊर्जा खरीद बंद करने का दबाव डाल रहा है, वहीं रूस-भारत के बीच यह नजदीकी ट्रंप की रणनीति को कमजोर करती दिखाई दी.
संयुक्त वक्तव्य में पहलगाम हमले का जिक्र
भारत के लिए इस बार की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि SCO के संयुक्त वक्तव्य में पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र किया गया. पिछली बार भारत इस मुद्दे को शामिल कराने में सफल नहीं हो पाया था, लेकिन इस बार प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से यह संभव हुआ. मोदी ने अपने भाषण में आतंकवाद पर तीखा हमला बोला और पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष रूप से घेरा. उन्होंने सवाल उठाया कि “क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद को खुला समर्थन हमें कभी स्वीकार्य हो सकता है?” यह बयान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की मौजूदगी में दिया गया, जिससे भारत का रुख और अधिक स्पष्ट हो गया.
यूक्रेन युद्ध पर शांति प्रयास
मोदी और पुतिन की द्विपक्षीय बैठक में यूक्रेन युद्ध पर गहन चर्चा हुई. मोदी ने जोर देकर कहा कि यह संघर्ष केवल यूरोप की समस्या नहीं है, बल्कि पूरी मानवता पर असर डाल रहा है. उन्होंने कहा कि सभी पक्षों को रचनात्मक संवाद के जरिए शांति का रास्ता तलाशना चाहिए. मोदी ने हाल ही में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की से भी बातचीत की थी और अब पुतिन से हुई इस चर्चा को शांति की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. मोदी का यह संदेश साफ था कि भारत संघर्ष का हिस्सा नहीं बनेगा, बल्कि समाधान का मार्गदर्शक बनेगा.
चीन की धरती से पीएम मोदी ने दिए ये संदेश
- भारत आतंकवाद के किसी भी रूप को स्वीकार नहीं करेगा.
- पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख कर दोहरे मापदंडों पर सवाल उठाए.
- वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए सभी देशों को रचनात्मक योगदान देना चाहिए.
- भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए वैश्विक साझेदारी को मजबूत करेगा.
- यूक्रेन युद्ध के समाधान के लिए कूटनीतिक प्रयासों की अहमियत पर जोर.
- ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा पर अमेरिका की टैरिफ नीति की अप्रत्यक्ष आलोचना.
- सदस्य देशों के बीच स्थानीय मुद्राओं में व्यापार बढ़ाने का समर्थन.
- SCO विकास बैंक की स्थापना और वित्तीय ढांचे में सुधार की वकालत.
- ईरान पर हमलों की निंदा और उसके साथ सहयोग बढ़ाने का संकेत.
- भारत ने संदेश दिया कि वह किसी भी वैश्विक गठबंधन में झुककर नहीं, बल्कि बराबरी के आधार पर भाग लेगा.