पाक के ना-पाक इरादे! लश्कर आतंकियों के साथ मंच शेयर कर फंसे पंजाब विधानसभा स्पीकर, कसूरी को बताया 'निर्दोष'

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के नेताओं और आतंकियों की मिलीभगत उजागर हो रही है. पंजाब विधानसभा अध्यक्ष मलिक अहमद खान ने लश्कर डिप्टी चीफ सैफुल्लाह कसूरी के बचाव में बयान दिया और हाफिज सईद के बेटे तल्हा के साथ रैली में दिखे. कसूरी ने 1971 के बदले का दावा किया और भारत विरोधी भाषणों में मोदी को धमकाया.;

Edited By :  नवनीत कुमार
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है. इस बीच, पाकिस्तान के पंजाब विधानसभा अध्यक्ष मलिक अहमद खान ने लश्कर-ए-तैयबा के उप प्रमुख सैफुल्लाह कसूरी का खुलेआम समर्थन किया है. यह समर्थन तब आया जब अमेरिका ने लश्कर प्रमुख हाफिज सईद के बेटे तल्हा सईद के साथ कसूरी की रैली की तस्वीरें सार्वजनिक कीं, जिससे विवाद और बढ़ गया.

मलिक अहमद खान ने पत्रकारों के सामने कहा कि कसूरी को बिना उचित जांच के आरोपी नहीं माना जाना चाहिए. उन्होंने कसूर शहर में आयोजित रैली के दौरान अपने व्यक्तिगत संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि कसूरी को मास्टरमाइंड कहना जल्दबाजी होगी. यह बयान पाकिस्तान की राजनीतिक परिस्थिति में नई बहस को जन्म दे रहा है.

लश्कर के उग्रवादियों की चुनौती

रैली में लश्कर-ए-तैयबा के उग्रवादी खुलेआम 1971 के युद्ध में भारत से मिली हार का बदला लेने की बात कर रहे थे. वीडियो में कसूरी को सुरक्षा बलों के साथ एम-4 कार्बाइन राइफल लेकर आते दिखाया गया और समर्थकों ने उन्हें ‘विजेता’ के रूप में सलाम किया. आतंकवादियों ने मोदी सरकार की कड़ी कार्रवाइयों का मजाक उड़ाते हुए अपने बाल बच्चों की हिम्मत का दिखावा किया.

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री पर हमला

लश्कर के आतंकवादियों ने शेख हसीना के खिलाफ विरोध प्रकट किया, जिनके कारण उन्हें भारत में शरण लेना पड़ा. कसूरी और उनके साथियों ने पिछले साल बांग्लादेश में हुए राजनीतिक संघर्षों में अपनी भूमिका का जोर-शोर से दावा किया. इस तरह की घोषणाओं से क्षेत्रीय स्थिरता पर प्रश्न उठ रहे हैं.

मोदी सरकार पर उठाई उंगली

गुजरांवाला में आयोजित एक रैली में मुजम्मिल हाशमी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखे हमले किए. उन्होंने कहा कि उनके बच्चे मोदी की मिसाइलों और गोलियों से नहीं डरते. इस बयान ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को और हवा दी है, जिससे दोनों देशों के बीच विवाद और गहराने का खतरा बढ़ गया है.

1971 की हार का बदला और भावुक बयान

कसूरी ने रहीम यार खान में कहा कि 1971 के विभाजन का बदला उनका समूह ले चुका है. उन्होंने भारतीय वायुसेना के हमले में मारे गए साथी मुदस्सर के अंतिम संस्कार में शामिल न हो पाने पर अपने आंसू छुपाए नहीं. इस भावुक बयान ने उनके समर्थकों में जोश भर दिया है, जो क्षेत्रीय राजनीति को और जटिल बना सकता है.

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