Nobel Prize in Literature 2025: प्रलय की कहानियों के उस्ताद Laszlo Krasznahorkai को मिला नोबेल सम्मान
2025 का नोबेल साहित्य पुरस्कार हंगरी के महान लेखक लास्लो क्रास्नाहोरकाई को मिला है, जो प्रलयकारी और दार्शनिक कहानियों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं. उनके उपन्यासों में आतंक और विनाश की डरावनी दुनिया के बीच भी कला की ताकत की पुष्टि मिलती है. क्रास्नाहोरकाई की रचनाएं साहित्य में गहराई और सोच पैदा करती हैं, जो उन्हें इस साल का साहित्य जगत का बड़ा विजेता बनाती हैं.;
स्टॉकहोम की ठंडी दोपहर में जब स्वीडिश एकेडमी ने 2025 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार का ऐलान किया, तो लाज़लो क्रास्नाहोर्कई का नाम दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गया. हंगरी के इस बड़े लेखक को उनकी अनोखी और गहरी राइटिंग स्टाइल के लिए यह सम्मान दिया गया.
यह नोबेल पुरस्कार उन्हें इसलिए मिला क्योंकि उनकी लिखाई में इंसानी जीवन की सच्चाइयों को बेहद गहराई से दिखाया गया है. उनकी कहानियां बताती हैं कि कैसे विनाश, डर और अंधेरे समय के बीच भी इंसान उम्मीद ढूंढ लेता है और कला का सहारा लेकर आगे बढ़ता है.
कौन हैं लाज़लो कास्त्राहोकोई?
1954 में हंगरी के शांत और छोटे से कस्बे ग्यूला में लाज़लो क्रास्नाहोर्कई नाम का एक ऐसा बच्चा जन्मा, जो आगे चलकर दुनिया को अपने शब्दों से सोचने पर मजबूर करेगा. रोमानिया की सीमा के पास बसे इस कस्बे में उनका बचपन गुज़रा, जहां जिंदगी धीमी थी लेकिन गहरी थी. बड़े शहरों की चमक-दमक से दूर, ग्यूला ने उन्हें इंसानी रिश्तों, समाज की जटिल परतों और मौन में छिपी भावनाओं को समझने की नजर दी. बहुत कम उम्र में उन्होंने महसूस कर लिया था कि दुनिया सिर्फ दिखाई देने वाली चीज़ों से नहीं बनी, बल्कि उन अनुभवों से भी जो लोग अपने दिल में छुपा लेते हैं. यही शार्प विजन बाद में उनकी राइटिंग की पहचान बन गई. उनका साहित्य इसी गहराई और सूक्ष्म अवलोकन की शक्ति से जन्मा, जिसने उन्हें दुनिया के महान लेखकों की कतार में शामिल कर दिया.
‘सैटनटैंगो’: जिसने यूरोप को झकझोर दिया
साल 1985 में हंगेरियन साहित्य की दुनिया जैसे अचानक हिल गई. वजह लाज़लो क्रास्नाहोर्कई का पहला उपन्यास ‘Satantango’. था. यह कोई साधारण किताब नहीं थी. जैसे ही यह छपी, पढ़ने वालों ने महसूस किया कि उनके सामने कुछ ऐसा है जो साहित्य की सीमाएं तोड़ने आया है. कहानी एक वीरान और टूटते हुए गांव से शुरू होती है, लेकिन जल्द ही साफ हो जाता है कि यह सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं, बल्कि इंसानी उम्मीदों के बिखरने और व्यवस्था के सड़ जाने की गहरी कथा है. हर पन्ने में निराशा की धुंध है, लेकिन उसी धुंध में सच्चाइयों की बिजली भी चमकती है. उनके वाक्य लंबे, लहरदार और विचारों से भरे रहते हैं, जैसे पाठक को एक बार में सांस रोककर गहरे पानी में उतरना पड़े. उनकी सोच उतनी ही तीखी और बेचैन करने वाली है, जितनी फ्रांज़ काफ्का की, और उनकी भाषा में वही कठोर ईमानदारी है जो थोमस बर्नहार्ड के लेखन में मिलती है.
सीमाओं से परे लेखक
उनका उपन्यास ‘Herscht 07769’ जर्मन समाज की बेचैनी और अस्थिरता को बहुत ही सटीक तरीके से दिखाता है. यही वजह है कि कई समीक्षक इसे महान समकालीन जर्मन उपन्यास कहने में पीछे नहीं हटते.
नोबेल के सफर की गूंज
इस साल का नोबेल पुरस्कार 11 मिलियन स्वीडिश क्राउन का है. पिछले साल यह सम्मान दक्षिण कोरियाई लेखिका हन कांग को मिला था. लेकिन 2025 का नोबेल साहित्य इस लिहाज से खास बन गया क्योंकि क्रास्नाहोर्कई ने दिखा दिया कि साहित्य सिर्फ कहानियां सुनाने का जरिया नहीं है, बल्कि यह इंसान के जीवन, उसके संघर्ष और अस्तित्व की खोज का भी आईना है.