Oli का Aura! कुर्सी छोड़ो फिर पकड़ो, केपी का जादू कैसे चलता है नेपाल की राजनीति में? 73 साल के ओली का कैसा रहा सियासी अंदाज

केपी शर्मा ओली नेपाल की राजनीति के सबसे चतुर खिलाड़ियों में गिने जाते हैं. बार-बार इस्तीफा देने के बाद भी वह सत्ता में वापसी कर लेते हैं. आलोचकों के अनुसार वह हर तिकड़म अपनाते हैं, जबकि समर्थक उन्हें राष्ट्रवादी और साहसी नेता मानते हैं. आइए, जानते हैं ओली की राजनीति और Aura का पूरा खेल.;

By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 10 Sept 2025 12:37 AM IST

नेपाल की राजनीति का असली फिक्सर कौन है? फिलहाल नेपाल में ओली की सरकार जा चुकी है लेकिन फिर भी नेपाल अभी धधक रहा है. शुरुआत में जब हिंसा फैली तो कहा जा रहा था सोशल मीडिया पर बैन के कारण यह हो रहा है लेकिन अब खबर सामने आई है कि नेपाल के युवाओं ने देश के भष्ट्राचार नेताओं के खिलाफ यह मोर्चा खोला है. सत्ता के गलियारों में चाहे कितनी भी हलचल हो, चाहे कितने भी गठबंधन बनें और टूटें एक नाम हमेशा फिर से चमककर सामने आ ही जाता है.

केपी शर्मा ओली, यह वही नेता हैं जो चौथी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने और अब Gen-Z के उग्र प्रदर्शनों के बीच इस्तीफ़ा देकर भी चर्चा में हैं. आलोचक कहते हैं कि 'ओली कुर्सी पर टिके रहने के लिए हर तिकड़म अपनाते हैं.” वहीं समर्थक मानते हैं. 'देश का नक्शा संसद में पारित करवाने से लेकर नाकाबंदी के खिलाफ डटने तक, असली राष्ट्रवादी नेता वही हैं.'

73 साल के ओली की राजनीति उतनी ही तूफानी है जितना उनका अंदाज. कभी संसद भंग, कभी गठबंधन तोड़ना, कभी तीखे व्यंग्य, तो कभी खुद को स्मार्ट लीडर साबित करने के लिए लेख लिखना. सवाल यही है कि जो नेता बार-बार इस्तीफ़ा देता है, वही बार-बार सत्ता में कैसे लौट आता है? आइए, जानते हैं ओली की राजनीति और Aura का पूरा खेल.

वहीं केपी ओली ने इस्तीफा देते हुए लिखा कि, 'मैंने संविधान के अनुच्छेद 77(1)(ए) के अनुसार आज से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया है, ताकि राजनीतिक समाधान ढूंढा जा सके और देश में उत्पन्न असामान्य स्थिति को ध्यान में रखते हुए समस्याओं को हल किया जा सके. उनका यह बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का केंद्र बन गया. अब ऐसे में आइए जानते हैं ओली का Aura! बार-बार इस्‍तीफा देकर फिर कैसे वापसी कर लेते हैं.

ओली की राजनीति विरोधियों के लिए चुनौती

2015 में 10 महीने, 2018 में 40 महीने, 2021 में तीन महीने और 2024 से अब तक 14 महीने. कुल मिलाकर साढ़े पांच साल से अधिक समय तक ओली नेपाल के प्रधानमंत्री रहे. उनके विरोधियों का मानना है कि ओली सत्ता पर बने रहने के लिए किसी भी राजनीतिक चाल का इस्तेमाल कर सकते हैं. वहीं समर्थकों का कहना है कि ओली तेज़तर्रार, साहसी और राष्ट्रवादी नेता हैं, जो किसी भी कठिन परिस्थिति में भी धैर्य और रणनीति के साथ काम करते हैं.

ओली का खुद का बयान भी उनकी छवि स्पष्ट करता है. 'कभी-कभी अगर मुझसे कोई आगे निकल जाता है तो जब तक वो मुझसे आगे निकलने की ख़ुशी मना रहा होता है, उस वक़्त मैं हमले की तैयारी कर रहा होता हूं. यही रणनीति उन्हें बार-बार राजनीतिक संकटों से बाहर निकालने में मदद करती रही है.

राजनीतिक समझौतों और गठबंधनों का मंझा हुआ खिलाड़ी

साल 2022 के चुनाव में ओली की पार्टी संसद में दूसरी बड़ी पार्टी बनी, लेकिन उन्होंने गठबंधन के खेल में माहिर होकर प्रचंड और अन्य दलों के सहयोग से सत्ता संभाली. कांग्रेस और माओवादी दलों के साथ गठबंधन टूटने के बाद ओली ने फिर से पीएम पद हासिल किया. राजनीतिक विश्लेषक हरि शर्मा कहते हैं, 'ओली, दुःस्साहसी और साहसी दोनों हैं. कोई दुःस्साहसी हुए बिना संसद को दो बार कैसे भंग कर सकता है? उनकी कुशलता और समझदारी ने उन्हें विपक्ष और समर्थकों दोनों के बीच अलग पहचान दिलाई. ओली ने हमेशा अपने विरोधियों पर तीखे व्यंग्य किए और पार्टी के भीतर से लेकर सरकार तक अपना नियंत्रण बनाए रखा.

गठबंधनों के मास्टर

  • 2017 के चुनावों में उनकी पार्टी बड़ी पार्टी से पीछे रह गई थी, लेकिन सरकार बनाने के खेल में ओली प्रचंड से आगे निकल गए.
  • उन्होंने प्रचंड को प्रधानमंत्री बनाया, उनके सांसदों को मंत्री पद दिलवाया.
  • लेकिन जब राष्ट्रपति पद पर प्रचंड की पार्टी ने कांग्रेस का साथ दिया, ओली ने पलटी मार दी और नया गठबंधन बना लिया.
  • यानी ओली सिर्फ विरोधियों को नहीं, अपने सहयोगियों को भी राजनीतिक पटखनी देना जानते हैं.
  • राष्ट्रवादी नेता की छवि और साहसिक कदम

ओली के कार्यकाल में नेपाल ने कई ऐतिहासिक फैसले देखे. रघुजी पंत बताते हैं, 'जब भारत ने नाकाबंदी लगाई थी, उस वक़्त केवल केपी ओली और यूएमएल के नेता और कार्यकर्ता ही थे, जिन्होंने इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई. इसके अलावा, ओली के कार्यकाल में नेपाल का नया नक्शा संसद में पारित हुआ, जो उनकी राष्ट्रवादी और साहसिक छवि को और मजबूत करता है.

आलोचनाएं और विवाद

  • ओली की आलोचना भी कम नहीं हुई.
  • उनके जन्मदिन पर हेलिकॉप्टर से केक मंगवाने और 4 लाख रुपये का हेलिपैड बनाने पर खूब विवाद हुआ.
  • उन पर आम जनता से कटे रहने और सुरक्षा घेरे में रहने के आरोप लगे.
  • उनकी पार्टी भी तीन हिस्सों में बंट गई, यूएमएल, यूनिफाइड सोशलिस्ट और माओवादी.

जेल से लेकर सत्ता तक

  • जन्म- 73 साल पहले तेहराथुम जिले में.
  • 14 साल की उम्र में राजनीति में प्रवेश.
  • 1973 में गिरफ़्तारी, 14 साल जेल में बिताए.
  • 1987 में जेल से बाहर निकलकर सीपीएन (एमएल) में सक्रिय.
  • 1991 में पहली बार सांसद चुने गए.
  • 2015 में पहली बार प्रधानमंत्री.

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