Iran Israel War: ईरान में खामेनेई की क्रूरता के 5 सबूत, इस वजह से कहे जाते हैं 'शैतान'

Israel Iran War Latest News: ईरान-इजरायल युद्ध अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है. जहां डोनाल्ड ट्रंप ने अयातुल्ला अली खामेनेई से बिना शर्त सरेंडर की मांग की है, वहीं ईरान के सुप्रीम लीडर ने कहा है कि उनका देश इजराइल के सामने कभी नहीं झुकेगा. उन्होंने अमेरिका और इजरायल को ईरान का सबसे बड़ा दुश्मन बताया है.;

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Edited By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 20 Jun 2025 1:01 PM IST

Ayatollah Ali Khamenei popular Reaction: इजरायल और ईरान के बीच छह दिनों से जारी जंग को लेकर तनाव चरम पर पहुंच गया है. दोनों तरफ से एक-दूसरे के खिलाफ जहर उगले जा रहे हैं. खामेनेई ने इजरायल और अमेरिका का नाम लिए बगैर कहा कि विरोधियों को सजा हर हाल में मिलेगी. बता दें कि खामेनेई अमेरिका को बड़ा 'शैतान' और इजरायल को छोटा 'शैतान' मानते हैं.

ईरान के सुप्रीम लीडर का ये बयान तब आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने मंगलवार को उनके छिपे होने के ठिकाने की बात कही थी. खामेनेई कहा था कि ईरान कभी भी इजरायल के साथ सुलह नहीं करेगा. इसी के साथ उन्होंने अपने एक संबोधन में इजरायल के साथ जंग का एलान कर दिया.

जहां तक बात पश्चिमी ताकतों द्वारा खामनेई को विश्व शांति के लिए खतरा यानी 'शैतान' बताने की है तो उसको लेकर कई वजहें गिनाई जाती रही हैं.

खामनेई को 'शैतान' बताने की 5 वजह

1. मानवाधिकार विरोधी छवि  

ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई के लिए शैतान शब्द का इस्तेमाल उनके विरोधियों द्वारा लंबे अरसे से किया जाता रहा है. वह देश में विरोधी आवाजों को दबाने, पत्रकारों को प्रताड़ित करने, साहित्यकारों की रचनाओं पर बैन लगाने और कट्टरपंथ को बढ़ावा देने जैसे आरोपों की वजह से अक्सर सवालों के घेरे में आते रहे हैं.

 2. हिजाब विरोधी आंदोलन का क्रूरता के साथ दमन

साल 2022 में महसा अमीनी की मौत के बाद ईरान में भड़के हिजाब विरोधी आंदोलन को क्रूरता के साथ कुचलने में भी उनकी अहम भूमिका बताई जाती है. इस आंदोलन का अमेरिका ने समर्थन किया था. दुनिया भर में इसकी तीखी आलोचना हुई थी.

 

3. ईरान को अगुवा मुस्लिम राष्ट्र बनाने की जिद

ईरान के सुप्रीम लीडर खामनेई एक महत्वाकांक्षी राजनेता हैं. वह अपने तरीके से मध्य पूर्व और खाड़ी देशों में ईरान के प्रभाव का विस्तार करना चाहते हैं. ऐसा वह इस्लाम के नाम पर करना चाहते हैं. यही वजह है कि पिछले चार दशक से ईरान में इस्लामिक सिद्धांतों के आधार पर कट्टरता को बढ़ावा मिला है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए खामेनेई कई बार लोकतांत्रिक तरीकों भी अपना चुके हैं. इसी सोच की वजह से ईरान-इराक युद्ध भी हुआ था. फिर ईरान हिजबुल्लाह, हमास और हौथी जैसे कई आतंकी संगठनों का समर्थन करता है.

4. परमाणु बम हासिल करने की महत्वाकांक्षा

अयातुल्ला अली खामेनेई ईरान को परमाणु संपन्न राष्ट्र बनाना चाहते हैं. जबकि साल 2003 के आसपास खामेनेई ने खुद परमाणु हथियारों के खिलाफ एक फतवा जारी किया था. अपने फतवे में उन्होंने कहा था कि परमाणु हथियार इस्लाम के खिलाफ है. इनका निर्माण और इस्तेमाल तो हराम है. बाद में खामेनेई का मन बदल गया और उन्होंने तीन शहरों में गुप्त रूप से परमाणु संयंत्र स्थापित किए. आईएईए के मुताबिक ईरान नौ परमाणु बम के समान यूरेनियम हासिल कर चुका है. वह परमाणु राष्ट्र बनने के करीब है. ईरान का परमाणु बम से लैस होने के पीछे मुख्य वजह भी इस्लामिक राष्ट्रों का नेता बनने की उसकी इच्छा है, जिसे अमेरिका विश्व शांति के लिए खतरा मानता है. यही वजह है कि ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी ईरान पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए थे.

5. बेरोजगारी और भ्रष्टाचार 

खामेनेई पर ईरान की अर्थव्यवस्था को खराब तरीके से चलाने के भी आरोप लगते रहे हैं. हालांकि, खामेनेई के समर्थकों का तर्क है कि ये आरोप निराधार हैं.  ईरान के लोगों में उनके कामकाज के तरीके को लेकर भारी असंतोष है. बेरोजगारी और भ्रष्टाचार चरम पर है. ईरान की महिलाएं खामेनेई को नापसंद करती हैं. खामेनेई अपने लंबे कार्यकाल में 5 पांच राष्ट्रपतियों के साथ काम किया. इनमें से 4 आरोप लगे कि उन्होंने सुप्रीम लीडर की सत्ता को चुनौती देने की कोशिश की.

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