फोर्डो खत्म हुआ... ईरान-इजरायल जंग में कूदा अमेरिका, 3 जगहों पर गिराए बम; ट्रंप ने क्यों बनाया निशाना?
ईरान-इजराइल युद्ध के बीच अमेरिका ने बड़ा सैन्य कदम उठाते हुए फोर्डो, नतांज और इस्फहान में ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला किया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि सभी विमान सुरक्षित लौट आए हैं और अब शांति का समय है. इस हमले से पश्चिम एशिया में हालात और तनावपूर्ण हो गए हैं.;
ईरान और इजराइल के बीच जारी युद्ध के बीच अमेरिका ने सीधे हस्तक्षेप करते हुए ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर बमबारी कर दी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि सभी अमेरिकी विमान सुरक्षित लौट चुके हैं और फोर्डो पर पूरा पेलोड गिराया गया. इस हमले के बाद दुनिया भर में हलचल मच गई है.
ट्रुथ सोशल पर पोस्ट कर राष्ट्रपति ट्रम्प ने अमेरिकी वायुसेना के इस मिशन को "अभूतपूर्व" बताया. उन्होंने लिखा, "फर्डो ख़त्म हुआ. हमारे महान अमेरिकी योद्धाओं को बधाई. कोई और सेना यह कर ही नहीं सकती थी. अब शांति का समय है.” ट्रम्प जल्द ही देश को संबोधित कर इस ऑपरेशन की विस्तृत जानकारी देने वाले हैं.
ट्रम्प की वॉशिंगटन में उच्चस्तरीय बैठक
हमले के तुरंत बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने वॉशिंगटन डीसी में नेशनल सिक्योरिटी टीम के साथ बैठक की. माना जा रहा है कि ट्रम्प इस ऑपरेशन के बाद ईरान की प्रतिक्रिया और इजराइल के साथ समन्वय पर रणनीति तय करेंगे.
फोर्डो को क्यों बनाया गया प्रमुख निशाना?
फोर्डो एनरिचमेंट प्लांट ईरान के सबसे गुप्त और सुरक्षित परमाणु ठिकानों में से एक है. यह ठिकाना पहाड़ के 90 मीटर नीचे स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए पांच सुरंगों का रास्ता है. इसकी सुरक्षा इतनी कड़ी है कि सिर्फ अमेरिका के B-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स और GBU-57 बंकर-बस्टर बम ही इसे तहस-नहस कर सकते थे. इजराइल लंबे समय से इसे खतरा मानता आ रहा था, लेकिन हमले की क्षमता सिर्फ अमेरिका के पास थी.
फैसले के खिलाफ सांसद
ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर किए गए हमले के बाद अमेरिका में राजनीतिक भूचाल आ गया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के इस फैसले की जहां कई रिपब्लिकन सांसदों ने प्रशंसा की, वहीं कुछ डेमोक्रेट और रिपब्लिकन नेताओं ने इसे असंवैधानिक करार दिया है. रिपब्लिकन सांसद थॉमस मैसी ने सोशल मीडिया पर लिखा, "यह संविधान के खिलाफ है", जबकि डेमोक्रेट सांसद सारा जैकब्स ने चेतावनी दी कि यह फैसला अमेरिका को एक और अंतहीन युद्ध में झोंक सकता है. इस मुद्दे ने वॉशिंगटन डीसी में गहरी वैचारिक दरार को उजागर कर दिया है.
इन सांसदों ने किया सपोर्ट
वहीं दूसरी ओर, रिपब्लिकन खेमे के कुछ सांसदों ने ट्रम्प के निर्णय को राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी बताया. सांसद एंडी हैरिस ने इसे "शक्ति के माध्यम से शांति" की नीति बताया और कहा कि परमाणु हथियारों से लैस ईरान पूरी दुनिया के लिए खतरा है. सांसद डॉन बेकन ने ट्रम्प की कार्रवाई को अमेरिका की रक्षा से जोड़ा, जबकि सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने इसे “सही फैसला” बताते हुए अमेरिकी वायुसेना की बहादुरी की सराहना की. इस हमले के बाद अमेरिकी राजनीति एक बार फिर युद्ध बनाम संविधान की बहस में उलझती दिख रही है.
ईरान में भारी तबाही
13 जून से शुरू हुए ईरान-इजराइल संघर्ष में अब तक ईरान में 657 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 2000 से अधिक घायल हैं. वहीं इजराइल में अब तक 24 मौतों की पुष्टि हुई है. हालांकि ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर 430 नागरिकों के मारे जाने और 3,500 के घायल होने की पुष्टि की है.
10 परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या
इस युद्ध के दौरान इजराइल अब तक ईरान के 10 परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बना चुका है. हाल ही में उसने 3 सैन्य कमांडरों और 4 जवानों को भी मार गिराने का दावा किया. IDF (इजराइली डिफेंस फोर्स) लगातार ईरानी बुनियादी ढांचे को कमजोर करने की रणनीति पर काम कर रही है.
खामेनेई ने चुने 3 उत्तराधिकारी
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई ने तीन मौलवियों को अपना संभावित उत्तराधिकारी नामित किया है. हैरानी की बात यह है कि उनका बेटा मोजतबा इस सूची में नहीं है. इजराइल की धमकियों के बीच खामेनेई खुद राजधानी तेहरान के एक बंकर में छिपे हुए हैं.
अब आगे क्या होगा?
इस हमले के बाद पश्चिम एशिया में स्थिति और विस्फोटक हो गई है. सवाल यह है कि क्या ईरान इसका जवाब देगा या अब युद्ध से पीछे हटने की कोशिश करेगा? अमेरिका और इजराइल के मिलकर किए इस ऑपरेशन से ईरान की ताकत को सीधी चुनौती मिली है, और आने वाले दिन वैश्विक राजनीति के लिए निर्णायक हो सकते हैं.