ट्रंप भी नहीं बचा पाए जापान के PM की कुर्सी! टैरिफ विवाद ने ले ली शिगेरु इशिबा की कुर्सी
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि 'डील मेकर' की बताते रहे हों, लेकिन जापान में उनकी रणनीति प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा की कुर्सी नहीं बचा पाई. असलियत यह है कि जापानी राजनीति की जड़ें इतनी गहरी अस्थिरता से भरी हुई हैं कि बाहरी दबाव से ज्यादा घरेलू मुद्दे वहां के प्रधानमंत्री के भाग्य का फैसला करते हैं. इस बार भी वही हुआ.;
जापान के पीएम शिगेरु इशिबा के इस्तीफे के बाद वहां की राजनीति एक बार फिर अस्थिरता के दौर में फंस गई है. अमेरिका और जापान के बीच टैरिफ विवाद, चीन पर निर्भरता और घरेलू आर्थिक नीतियों ने प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा की कुर्सी को डांवाडोल कर दिया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 'टैरिफ डील' और दबाव के बावजूद जापान के प्रधानमंत्री अपनी स्थिति मजबूत नहीं कर पाए.
ट्रंप के टैरिफ ने छीन ली इशिबा की कुर्सी!
दरअसल, अमेरिका-जापान व्यापार समझौते (Trade Deal) के जरिए ट्रंप ने कोशिश की थी कि जापान अमेरिकी बाजार पर अधिक निर्भर रहे. इसके लिए जापानी ऑटोमोबाइल, स्टील और टेक्नोलॉजी सेक्टर पर भारी दबाव डाला. इसका उल्टा असर पड़ा. महंगाई में इजाफा हुआ और घरेलू उद्योगों को नुकसान पहुंचा. साथ ही चीन और दक्षिण कोरिया जैसे पड़ोसी देशों के साथ प्रतिस्पर्धा और भी तेज हो गई.
रायटर्स के अनुसार शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने जापानी वाहनों (auto imports) पर 27.5% का टैरिफ लागू किया था, जिसे बाद में 15% पर लाया गया. AP की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय मीडिया में यह 25% से घटाकर 15% की बात कही गई, लेकिन अधिक विश्वसनीय स्रोत हैं जो 27.5% से 15% की बात कर रहे हैं. विश्वसनीय आंकड़े के रूप में 27.5% से 15% की कमी को ही आधार मानते हैं.
रायटर की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी टैरिफ की वजह से जापान को आर्थिक असमंजस का सामना करना पड़ा. क्योंकि अमेरिकी आदेश के आधार पर नए 15% टैरिफ पुराने टैरिफ पर अतिरिक्त रूप से जोड़े गए, जिससे जापान की अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ गया. जापान ने 'stacking' की शिकायत की तो अमेरिका ने इसे सुधारने व अतिरिक्त टैरिफ का रिफंड देने का वादा किया था. लेकिन जापान के लोगों ने उस ऐतबार नहीं किया.
वाहनों के निर्यात में 28.4 फीसदी गिरा
डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ की वजह से पिछले महीने जापानी निर्यात में बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी, जो चार साल से भी ज्यादा समय में सबसे बड़ी गिरावट है. AFP की रिपोर्ट के मुताबिक जापानी वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार निर्यात में जुलाई में साल-दर-साल 2.6 फीसदी की गिरावट आई. इसमें अमेरिका को होने वाले निर्यात में 10.1 प्रतिशत की गिरावट शामिल है. अमेरिका को जापान से मोटर वाहनों का निर्यात 28.4 फीसदी तक गिर गया. जबकि ऑटो पार्ट्स का निर्यात 17.4 फीसदी गिरा. इससे अमेरिका के ऑटो बाजार में हलचल मच गई.
पार्टी और विपक्ष को हल्के में लेना पड़ा महंगा
प्रधानमंत्री इशिबा की मुख्य चूक पार्टी के इनसाइडर और विपक्षी दलों के दबाव और चुनावी हार को हल्के में लिया. जबकि व्यापार वार्ता में 'stacking' जैसी तकनीकी त्रुटियां सामने आईं. सौदा घोषित होने के बाद कोई लिखित समझौता उपलब्ध नहीं था, जिससे अस्पष्टता बनी रही और विपक्ष व पार्टी के भीतर सवाल उठे कि इशिबा ने शर्तों की स्पष्ट परिभाषा क्यों नहीं करवाई. जापान के शीर्ष व्यापार वार्ताकार ने संयुक्त अमेरिकी अधिकारियों से कहा कि टैरिफ stacking का मुद्दा बड़ी गलती थी, जिसे अमेरिका ने सुधारने व रिफंड का भरोसा दिया. राजनीतिक रूप से इशिबा ने नेतृत्व जारी रखा लेकिन चुनावी असफलताओं और आर्थिक विवाद ने उनकी पकड़ को कमजोर कर दिया.
टैरिफ के बाद समर्थन खोने लगे थे पीएम
राजनीतिक मोर्चे पर जापान के प्रधानमंत्री घरेलू समर्थन खोने लगे थे. टैरिफ विवाद, महंगाई और सामाजिक योजनाओं के कमजोर क्रियान्वयन ने जनता को नाराज कर दिया था. नतीजा यह रहा कि विपक्ष ने इस मौके को भुनाया और प्रधानमंत्री को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा.