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इस सज्जन को क्या तकलीफ है, ट्रंप लगाएंगे और टैरिफ! किसे रास नहीं आया IND-US का नजदीक रिश्ता? रूस तेल विवाद बना नया मुद्दा

अमेरिका और भारत के नज़दीक होते रिश्ते पर रूस के तेल को लेकर विवाद ने नया सवाल खड़ा कर दिया है. ट्रंप प्रशासन ने भारत के रूसी क्रूड तेल की खरीद पर 50% नया टैरिफ लगाने की बात कही है, जबकि चीन पर 145% टैरिफ लगा है. इस कदम को लेकर भारत ने पश्चिम की नीतियों पर पाखंड उजागर करने का आरोप लगाया. विशेषज्ञों के अनुसार, यह मुद्दा भारत-यूएस संबंधों में तनाव पैदा कर सकता है और अंतरराष्ट्रीय व्यापार रणनीति को प्रभावित कर सकता है.

इस सज्जन को क्या तकलीफ है, ट्रंप लगाएंगे और टैरिफ! किसे रास नहीं आया IND-US का नजदीक रिश्ता?  रूस तेल विवाद बना नया मुद्दा
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( Image Source:  Sora_ AI )
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 7 Sept 2025 11:43 PM IST

अमेरिका के ट्रेज़री सचिव स्कॉट बेसेंट ने रविवार को कहा कि रूस पर अर्थव्यवस्था के जरिए दबाव डालने से राष्ट्रपति वलादिमिर पुतिन को यूक्रेन के साथ शांति वार्ता पर मजबूर किया जा सकता है. बेसेंट ने अमेरिका और यूरोपीय संघ से आग्रह किया कि वे रूस के खिलाफ और कड़े प्रतिबंध और सेकेंडरी टैरिफ लागू करें.

बेसेंट ने भारत और चीन को भी 'खराब अभिनेता' कहते हुए उनके रूसी तेल की खरीदारी पर कटाक्ष किया और कहा कि यह रूस के युद्ध प्रयासों का समर्थन करता है. उनका मानना है कि संयुक्त प्रयासों से रूस की अर्थव्यवस्था पर ऐसा दबाव पड़ेगा कि पुतिन को वार्ता की मेज पर बैठना पड़ेगा.

रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाने का सुझाव

बेसेंट ने NBC के Meet the Press को दिए साक्षात्कार में कहा कि अगर अमेरिका और यूरोपीय संघ मिलकर अधिक प्रतिबंध और सेकेंडरी टैरिफ लगाए, तो रूसी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ढह जाएगी, और यह राष्ट्रपति पुतिन को बातचीत के लिए मजबूर करेगा. उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन रूस पर दबाव बढ़ाने के लिए तैयार है. भारत को रूस के क्रूड तेल की खरीदारी पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया, जबकि चीन पर 145 प्रतिशत का भारी शुल्क लगाया गया था, जिसे 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया.

भारत ने पश्चिम की नीतियों पर सवाल उठाया

भारत ने पश्चिम की पाखंडपूर्ण नीति को भी उजागर किया। बेसेंट ने कहा कि कई यूरोपीय देश भी रूस से ऊर्जा खरीदते हैं, लेकिन उन पर समान प्रतिबंध नहीं लगाए गए। उन्होंने जोर दिया कि 'हमें अपने यूरोपीय साझेदारों का समर्थन चाहिए. अगर अमेरिका और यूरोपीय संघ मिलकर यह कदम उठाते हैं, तो यह अब एक दौड़ है—यूक्रेनी सेना कितनी देर तक टिक सकती है बनाम रूस की अर्थव्यवस्था कितनी देर तक.

ट्रंप-पुतिन अलास्का शिखर सम्मेलन

कुछ हफ्ते पहले डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमिर पुतिन के बीच अलास्का में शिखर सम्मेलन हुआ था, जो बिना किसी युद्ध विराम समझौते के समाप्त हुआ. ट्रंप ने इसे 'उपयोगी' बताया और कहा कि दोनों नेताओं ने कई मुद्दों पर सहमति जताई, लेकिन "डील तब तक नहीं है जब तक डील नहीं होती. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बैठक पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत ने हमेशा यूक्रेन संकट के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन किया है और ट्रंप-पुतिन के नेतृत्व को शांति की दिशा में प्रशंसनीय बताया.

यूक्रेन में तनाव और हमला

रूस-यूक्रेन युद्ध में रविवार को केंद्रीय कीव में यूक्रेनी कैबिनेट भवन पर रूस के हमले से स्थिति और गंभीर हो गई. आग लगने और धमाके में कम से कम तीन लोग मारे गए. इसके जवाब में यूक्रेन ने रूस की द्रुज़्बा तेल पाइपलाइन पर हमला किया, जिससे लड़ाई में ऊर्जा अवसंरचना भी शामिल हो गई. स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, यह हमला पिछले महीनों में सबसे गंभीर वृद्धि थी, जबकि अंतरराष्ट्रीय प्रयास युद्ध समाप्ति की दिशा में जारी हैं.

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