हर चीज का क्रेडिट... ट्रंप ने फिर भारत-पाक का तनाव सुलझाने का किया दावा, किसने मांगी थी मध्यस्थता?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को उन्होंने व्यापार के जरिये सुलझाया. लेकिन भारत ने कभी मध्यस्थता की पेशकश को स्वीकार नहीं किया. ट्रंप के इन बयानों को अमेरिका के भीतर से भी आलोचना मिली. सवाल उठता है कि क्या यह दावा संप्रभु राष्ट्रों की नीति पर प्रभाव डालने की कोशिश है या महज प्रचार?;

Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On :

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव को ‘व्यापार के माध्यम से’ सुलझा दिया. दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के साथ बैठक में ट्रंप ने कहा, "हमने वह मामला सुलझा दिया, और मुझे लगता है, व्यापार के ज़रिये किया." लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह दावा घरेलू राजनीति और चुनावी लाभ के लिए किया गया प्रचार मात्र है.

रामाफोसा के साथ बातचीत में ट्रंप ने कहा कि भारत उनका 'दोस्त' है और पाकिस्तान में भी अच्छे लोग हैं. इसपर दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति ने चुटकी लेते हुए कहा, "मोदी, साझा दोस्त हैं." इस दौरान यह बात स्पष्ट नहीं हुई कि आखिर ट्रंप की 'मध्यस्थता' की असली भूमिका क्या रही. भारत ने न तो आधिकारिक तौर पर अमेरिका की किसी पहल की पुष्टि की, न ही पाकिस्तान ने.

जबरन क्रेडिट लेने की पुरानी आदत

यह पहला मौका नहीं है जब डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाक संघर्ष में अपने हस्तक्षेप का दावा किया हो. इससे पहले भी उन्होंने आधिकारिक घोषणाओं से पहले सोशल मीडिया पर लिखा कि वह शांति स्थापित करने में "अहम भूमिका" निभा चुके हैं. सवाल उठता है कि क्या यह वैश्विक कूटनीति है या महज पब्लिक रिलेशन रणनीति?

अमेरिका के भीतर ही हुई आलोचना

ट्रंप के इन बयानों पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने भी तंज कसा. उन्होंने कहा कि ट्रंप को हर चीज़ का श्रेय लेने की आदत है. बोल्टन के अनुसार यह भारत के खिलाफ नहीं बल्कि ट्रंप की "राजनीतिक शैली" का हिस्सा है. वे किसी भी उपलब्धि का सेहरा अपने सिर बांधना चाहते हैं, चाहे उसमें उनकी भूमिका रही हो या नहीं.

ट्रंप के बयान बनाम ज़मीनी सच्चाई

भारत ने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद 7 मई को "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान के अंदर नौ आतंकी अड्डों पर सटीक हमले किए. पाकिस्तान ने 8 से 10 मई के बीच जवाबी हमला करने की कोशिश की, जिसका भारतीय वायुसेना और सेना ने कड़ा प्रत्युत्तर दिया. इस तनाव के बीच 10 मई को युद्धविराम की घोषणा हुई, जो कि भारत और पाकिस्तान के सैन्य और कूटनीतिक अधिकारियों के बीच सीधे संवाद का परिणाम था.

भारत ने कभी मध्यस्थता नहीं मानी

भारत हमेशा से इस बात पर कायम रहा है कि भारत-पाकिस्तान मसले द्विपक्षीय हैं और किसी तीसरे पक्ष की आवश्यकता नहीं है. ट्रंप की बार-बार की गई मध्यस्थता की पेशकश को भारत पहले भी कई बार खारिज कर चुका है. इसलिए ट्रंप का ‘व्यापार से समाधान’ वाला दावा न केवल संदेहास्पद है, बल्कि भारत की संप्रभु विदेश नीति के सिद्धांतों के विपरीत भी.

Similar News