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पाकिस्तान की आतंकी फैक्ट्री का पर्दाफाश करने जापान-UAE पहुंचा भारत का डेलिगेशन; जानिए कितने पन्नों की है डोजियर

भारत ने पाकिस्तान की आतंकवाद-प्रायोजित गतिविधियों को वैश्विक मंच पर बेनकाब करने के लिए सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल दुनिया के विभिन्न देशों में भेजे हैं. दस्तावेज़ी साक्ष्य, रणनीतिक संवाद और ऑपरेशन सिंदूर की कार्रवाई के जरिए भारत अब केवल पीड़ित नहीं, बल्कि निर्णायक कूटनीतिक ताकत के रूप में उभर रहा है. सभी प्रमुख दल इस प्रयास में एकजुट हैं, जो राष्ट्रीय एकता का भी संकेत है.

पाकिस्तान की आतंकी फैक्ट्री का पर्दाफाश करने जापान-UAE पहुंचा भारत का डेलिगेशन; जानिए कितने पन्नों की है डोजियर
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नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Published on: 22 May 2025 8:16 AM

भारत ने आतंकवाद पर पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए एक ठोस और बहुस्तरीय कूटनीतिक अभियान शुरू किया है. जेडीयू सांसद संजय झा के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जापान पहुंचा है, जबकि शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे यूएई में मोर्चा संभाल चुके हैं. यह प्रयास केवल बयानबाज़ी नहीं, बल्कि प्रमाण और रणनीति के साथ दुनिया के सामने भारत का पक्ष रखने की एक सुनियोजित पहल है.

इन प्रतिनिधिमंडलों को विदेश मंत्रालय की ओर से तीन अलग-अलग प्रकार के दस्तावेज़ सौंपे गए हैं. पहले में यात्रा और मुलाक़ातों का कार्यक्रम है, दूसरे में भारत की स्थिति और विचार साझा करने के लिए बिंदुवार संवाद सामग्री है, और तीसरे में वह डोज़ियर शामिल है जिसमें पाकिस्तान की आतंक गतिविधियों का विस्तृत दस्तावेजी सबूत मौजूद है. यह सब कुछ सिर्फ़ राजनयिक औपचारिकता नहीं, बल्कि ठोस रणनीतिक हमले जैसा है.

आतंकी ढांचे की परत-दर-परत जानकारी

150 पन्नों वाले इस डोज़ियर में न केवल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में चल रहे आतंकी प्रशिक्षण शिविरों की जानकारी है, बल्कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में हुए हमलों में पाकिस्तान की भूमिका को भी प्रमाणों के साथ दर्शाया गया है. यही नहीं, विदेशों में हुए कुछ आतंकवादी हमलों में भी पाकिस्तान के नेटवर्क का जिक्र किया गया है, जिससे यह साबित होता है कि यह खतरा सीमित नहीं, वैश्विक है.

एक जवाब और उसका संदेश

पहलगाम में हुए भीषण हमले में 26 लोगों की जान जाने के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया था. अब उसी कार्रवाई को दुनिया के सामने रखकर भारत यह संदेश दे रहा है कि वह आतंक के खिलाफ सिर्फ बोलता नहीं, ज़मीन पर सख्त जवाब भी देता है. प्रतिनिधिमंडल इन कार्रवाइयों की पृष्ठभूमि और न्यायिक पुष्टि से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अवगत करा रहे हैं.

संसद से परे एकजुटता

इस कूटनीतिक अभियान की खास बात यह है कि इसमें भारत की राजनीति से विभिन्न दलों के नेता शामिल हैं. जेडीयू, बीजेपी, कांग्रेस, तृणमूल, माकपा सभी दलों के प्रतिनिधि एक मंच पर आकर आतंक के विरुद्ध भारत की साझा आवाज़ बन रहे हैं. पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद से लेकर माकपा के जॉन ब्रिटास तक, सभी इस मंच पर एक उद्देश्य के साथ शामिल हैं. भारत की छवि और सुरक्षा के लिए एकजुट होकर बोलना.

सात दिशाओं में फैलाया गया राजनयिक मोर्चा

पहले प्रतिनिधिमंडल की यात्रा जापान, कोरिया, मलेशिया, सिंगापुर और इंडोनेशिया तक सीमित है, लेकिन दूसरा दल यूएई, लाइबेरिया, कांगो और सिएरा लियोन जैसे अफ्रीकी और खाड़ी देशों में भी पाकिस्तान की साजिशों को बेनकाब करेगा. कुल सात प्रतिनिधिमंडल इस काम में लगाए गए हैं, जो यह दर्शाता है कि भारत अब आतंकवाद के मुद्दे पर सिर्फ जवाब नहीं, एक वैश्विक विमर्श तैयार करने की दिशा में बढ़ चुका है.

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