अमेरिका-भारत संबंधों को खतरे में डाल रहा ट्रंप का दूसरा कार्यकाल, US कांग्रेस की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा; बताई गई ये बड़ी वजहें

अमेरिकी कांग्रेस की शोध इकाई CRS ने अपनी रिपोर्ट में चेताया है कि डोनाल्ड ट्रंप का दूसरा कार्यकाल अमेरिका-भारत संबंधों को गहरे संकट में डाल रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ, पाकिस्तान सेना प्रमुख को व्हाइट हाउस में बुलाना और मई 2025 के भारत-पाक संघर्ष का श्रेय खुद को देना नई दिल्ली को नाराज़ कर चुका है. CRS ने कहा कि कांग्रेस के सामने बड़ा सवाल है- क्या वह भारत के साथ संबंधों को बचाएगी या ट्रंप की टैरिफ और पाकिस्तान नीति को अमेरिका की नई दिशा बनने देगी.;

( Image Source:  Sora )
Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 30 Aug 2025 12:14 AM IST

CRS Report 2025 on US India Relations: अमेरिकी कांग्रेस की अपनी शोध इकाई Congressional Research Service (CRS) ने चेतावनी दी है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दूसरा कार्यकाल पिछले 25 सालों से बन रही अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी को अस्थिर कर रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, 50% तक के भारी टैरिफ, पाकिस्तान की सेना प्रमुख के साथ व्हाइट हाउस में दोपहर का भोजन, और मई 2025 के भारत-पाक संघर्ष पर ट्रंप का 'क्रेडिट लेने' वाला बयान, ये सभी घटनाएं नई दिल्ली को गहरी निराशा में डाल रही हैं।

25 साल का निवेश खतरे में

CRS ने सांसदों को याद दिलाया कि साल 2000 से अब तक दोनों देशों के रिश्ते लगातार मज़बूत हुए—

  • 2000: बिल क्लिंटन की ऐतिहासिक भारत यात्रा
  • 2008: जॉर्ज बुश का परमाणु समझौता
  • 2016: बराक ओबामा द्वारा भारत को 'मेजर डिफेंस पार्टनर' का दर्जा
  • 2017–2021: ट्रंप के पहले कार्यकाल में क्वाड संस्थागत रूप से मज़बूत
  • 2021–2024: जो बाइडेन ने इंडो-पैसिफिक साझेदारी को गहराया

हालांकि,  मई 2025 से ट्रंप की नीतियों ने इस साझेदारी पर गंभीर खतरा पैदा किया है.

टैरिफ वॉर: सबसे बड़ा झटका

ट्रंप ने आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए 7 अगस्त को रूस से तेल आयात पर भारत-विशेष 25% टैरिफ लगाया. 27 अगस्त को एक और 25% टैरिफ बढ़ा दिया. इस तरह भारत पर कुल 50% अतिरिक्त शुल्क लगाया गया. CRS इसे 'गंभीर व्यापारिक आघात' बताता है, खासकर इसलिए कि यूरोप को ऐसे दंडात्मक टैरिफ से छूट दी गई.

पाकिस्तान पर 'बराबरी का व्यवहार'

रिपोर्ट के अनुसार, भारत इस बात से भी नाराज़ है कि ट्रंप ने मई 2025 के चार दिन के भारत-पाक युद्ध को खत्म कराने का श्रेय खुद को दिया, जबकि नई दिल्ली इस दावे को पूरी तरह खारिज करती है. पाकिस्तान सेना प्रमुख को व्हाइट हाउस में आमंत्रित करना भारत के लिए और बड़ा झटका था. CRS का कहना है कि यह कदम 'भारत और पाकिस्तान को बराबरी पर रखने' जैसा है, जबकि भारत पाकिस्तान को आतंकवाद का ज़िम्मेदार मानता है.

तकनीक और रक्षा में असमंजस

  • टेक्नोलॉजी: iCET को रीब्रांड कर TRUST (AI, क्वांटम, सेमीकंडक्टर सहयोग) बनाया गया, लेकिन ट्रंप की NSC में स्टाफ आधा कर दिए जाने से इसकी क्षमता कमजोर पड़ रही है.
  • डिफेंस: अब तक $24 बिलियन के हथियार सौदे और बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास हुए हैं, लेकिन 10 साल का डिफेंस फ्रेमवर्क इस साल खत्म हो रहा है और नया समझौता अब तक अधूरा है.

इमिग्रेशन और भारतीय डायस्पोरा

CRS ने यह भी रेखांकित किया कि भारत सिर्फ नीतिगत साझेदार नहीं बल्कि 'लोगों का साझेदार' है. H-1B वीज़ा में 2/3 हिस्सेदारी भारतीयों की है. ग्रीन कार्ड और रोजगार-आधारित इमिग्रेशन में भारत शीर्ष स्रोत देश है. छात्र संख्या में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है. फिर भी, वॉशिंगटन ने भारत को 'डिपोर्टेशन में असहयोगी' कहा है और H-1B सुधार पर कांग्रेस बंटी हुई है.

कांग्रेस के सामने विकल्प

CRS के मुताबिक अब अमेरिकी सांसदों को बड़े फैसले लेने होंगे:

  • क्या भारत के लिए टेक और डिफेंस एक्सपोर्ट कंट्रोल्स को आसान किया जाए?
  • क्या क्वाड को और संसाधन देकर एशिया रणनीति में भारत को केंद्रीय भूमिका दी जाए?
  • क्या भारत में लोकतांत्रिक चुनौतियों को नीति पर असर डालने दिया जाए?
  • रूस और ईरान से भारत के रिश्तों को अमेरिकी हितों से कैसे संतुलित किया जाए?

कांग्रेस के सामने बड़ा सवाल

CRS सीधे संपादकीय नहीं लिखता, लेकिन उसका संदेश साफ है- पिछले दो दशकों का निवेश, ट्रंप के टैरिफ, पाकिस्तान-फ्रेंडली कदम और शेख़ी के चलते खतरे में है. कांग्रेस को तय करना होगा कि वह साझेदारी को बचाएगी या ट्रंप की प्रवृत्तियों को अमेरिका की भारत नीति पर हावी होने देगी. भारत के लिए चेतावनी और गहरी है, “अगर दोस्ती ऐसी दिखती है, तो फिर विश्वासघात कैसा होगा?”

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