तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर थ्री गॉर्जेस डैम से भी बड़ा बांध बनाएगा चीन, भारत की बढ़ेगी चिंता
चीन की सरकार ने तिब्बत की सबसे लंबी नदी यारलुंग त्सांगपो पर बनने वाले बांध के निर्माण को मंजूरी दे दी है. आपको बता दें कि इसके लिए कई 1 ट्रिलियन युआन यानी 137 बिलियन अमेरिकी डॉलर से भी अधिक रूपये खर्च करने वाला है.;
चीन ने तिब्बत में बनने वाले सबसे बड़े हायड्रोपावर प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है. ये बांध थ्री गॉर्जेस डैम से भी तीन गुना अधिक पावर जनरेट कर सकता है. इसे तैयार करने में 1 ट्रिलियन युआन यानी (137 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से भी अधिक का खर्च आने की उम्मीद है. बता दें कि इस बांध को चीन के सबसे अधिक बारिश होने वाले इलाके में तैयार किया जाने वाला है.
वहीं इस प्रोजेक्ट को तैयार करना आसान नहीं होने वाला है. इसके निर्माण में तकनीकी से लेकर इंजीनियरिंग चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. वहीं इस प्रोजेक्ट से सालाना 300 kWh बिजली पैदा होने की उम्मीद जताई जा रही है. अब तक सबसे अधिक बिजली पैदा करने वाले थ्री गॉर्जेस डैम की कैपेसिटी 88.2 बिलियन kWh है.
सबसे अधिक हाइड्रोपावर जनरेट करने वाले एरिया में एक
साल 2024 में चीनी पावर कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन के अध्यक्ष यान झियोंग ने कहा था कि यारलुंग त्सांगपो दुनिया के सबसे अधिक हाइड्रोपावर जनरेट करने वाले क्षेत्रों में से एक है. हालांकि इसके बनने का असर कई लोगों पर पड़ने वाला है. सरकार की ओर से ये वादा किया गया था कि यदि 80 प्रतिशत लोगों की सहमति मिलेगी तभी इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जाएगा. लेकिन सहमति मिली है या नहीं, इसे लेकर कुछ स्पष्ट नहीं है.
पर्यावरण को रखा जाएगा सुरक्षित
इस प्रोजेक्ट के तैयार करने के दौरान पर्यावरण संरक्षण का खास ख्याल रखा जाएगा. इसकी मदद से सोलर और विंड एनर्जी के विकास को भी बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. वहीं ये कदम चाइना के ग्रीन और लो कार्बन एनर्जी में भी बदलाव लाने में मदद करेगा. यह देश की कार्बन पीकिंग और कार्बन तटस्थता की रणनीति को आगे बढ़ाने और वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है. हालांकि फिलहाल इस पर जानकारी सामने नहीं आई कि इस प्रोजेक्ट का निर्माण कब से शुरू किया जाने वाला है.
पृथ्वी की रफ्तार धीमी कर रहा थ्री गॉर्जेस डैम
NASA की रिसर्च के अनुसार चीन के थ्री गॉर्जेस डैम का असर पृथ्वी की रोटेशन पर पड़ रहा है. ये पृथ्वी की रफ्तार को धीमा कर रहा है. ऐसे में इससे भी अधिक पावर वाला बांध जिसे चीन तैयार करने का फैसला ले चुका है, अगर उसे तैयार किया जाता है तो पृथ्वी पर इसका कितना असर पड़ सकता है. दरअसल कई चीजों से पृथ्वी की रफ्तार पर प्रभाव पड़ता है. इसके कारण पृथ्वी घूमते समय अपना मोमेंटम खो देती है.
भारत-बांग्लादेश की बढ़ेंगी चिंताएं?
तिब्बत की सबसे लंबी यारलुंग जांग्बो नदी तिब्बत से निकलकर दक्षिण में भारत के अरुणाचल प्रदेश और असम राज्यों से होकर गुजरती है. इसे भारत में ब्रह्मपुत्र नदी के नाम से जाना जाता है. वहीं भले ही चीन ने पर्यावरण को सुरक्षित रखने की बात कही हो लेकिन इससे कई लोगों को परेशानी हो सकती है. भारत और बांग्लादेश में करोड़ों लोग इस नदी पर ही अपना जीवन बिताते हैं. इसे बांग्लादेश में सूरमा नदी कहा जाता है. ऐसे में अगर निर्माण के समय अगर चीन पानी रोकता है तो इन दोनों देशों में सूखा आ सकता है यदि अचानक से पानी छोड़ता है तो बाढ़ आने का खतरा है. इसलिए भारत-बांग्लादेश के लिए चिंता स्वाभाविक है.