ईशनिंदा या भीड़ का इंसाफ? बांग्लादेश में 6 महीनों में हिंदुओं पर 71 हमले - HRCBM की रिपोर्ट में क्या-क्या

Bangladesh Crisis: HRCBM का दावा है कि पिछले 6 महीनों में कथित ईशनिंदा से जुड़े 71 मामलों में हिंदुओं पर जानलेवा हमले हुए. इन आरोपियों ने अल्पसंख्यक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. इन घटनाओं की वजह से दुनिया भर में बांग्लादेश की छवि खराब हुई है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 27 Dec 2025 7:15 PM IST

बांग्लादेश में जारी राजनीतिक अस्थिरता के बीच अल्पसंख्यकों की सुरक्षा एक बार फिर सवालों के घेरे में है. ह्यूमन राइट्स कांग्रेस फॉर बांग्लादेश माइनॉरिटीज (HRCBM) के अनुसार पिछले छह महीनों में कथित ईशनिंदा से जुड़े 71 मामलों में हिंदुओं को निशाना बनाया गया. इन घटनाओं में भीड़ की हिंसा, घर–दुकानों पर हमले और सामाजिक बहिष्कार जैसी शिकायतें शामिल बताई जा रही हैं.

हालांकि, यह आंकड़े दावे के तौर पर सामने आए हैं, लेकिन इन्होंने कानून के राज, धार्मिक सहिष्णुता और अल्पसंख्यक अधिकारों पर गहरी बहस छेड़ दी है. रिपोर्ट ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या ईशनिंदा के आरोप हिंसा का ट्रिगर बनते जा रहे हैं?

HRCBM की रिपोर्ट के मुताबिक रंगपुर, चांदपुर, चट्टोग्राम, दिनाजपुर, लालमोनिरहट, सुनामगंज, खुलना, कोमिला, गाजीपुर, तंगेल और सिलहट सहित  30 से ज्यादा जिलों के मामलों का दस्तावेजीकरण किया गया है. यह बताता है कि हिंदुओं के खिलाफ ईशनिंदा से जुड़े आरोपों में समानता बांग्लादेश में सिस्टमैटिक टारगेटिंग की ओर इशारा करती है. यह रिपोर्ट पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगातार दुश्मनी के बारे में भारत में बढ़ती चिंता के बीच आई है.यहां पर इस बात का जिक्र कर दें कि बांग्लादेश में ईशनिंदा के आरोपों के कारण अक्सर पुलिस कार्रवाई, भीड़ हिंसा और सामूहिक सजा होती है.

ईशनिंदा के आरोप में निशाने पर हिंदू

19 जून, 2025 को, तमाल बैद्य (22) को पैगंबर मुहम्मद के बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणियों के आरोप में अगलझारा, बरिशाल में गिरफ्तार किया गया था. सिर्फ तीन दिन बाद, शांतो सूत्रधार (24) को इसी तरह के आरोपों के बाद मतलब, चांदपुर में विरोध प्रदर्शन और अशांति का सामना करना पड़ा.

सबसे हिंसक घटनाओं में से एक 27 जुलाई को रिपोर्ट की गई, जब रंजन रॉय (17) को बेतगारी यूनियन, रंगपुर में गिरफ्तार किया गया. रंजन रॉय की गिरफ्तारी के बाद 22 हिंदू घरों में तोड़फोड़ की गई, जो इस बात का प्रतीक है कि ये आरोप अक्सर व्यक्ति से आगे बढ़कर पूरे समुदायों को निशाना बनाते हैं.

आरोपियों में 90 फीसदी अल्पसंख्यक

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन 71 घटनाओं को लेकर ने पुलिस गिरफ्तारी की और मुकदमा दर्ज किया. मामला सामने आने के बाद भीड़ द्वारा पीड़ित की पिटाई, हिंदू घरों में तोड़फोड़, शैक्षणिक संस्थानों से निलंबन और निष्कासन और जून 2025 और दिसंबर 2025 के बीच भीड़ के हमलों के बाद मौतें शामिल हैं. नामजद आरोपियों में से 90% से ज्यादा हिंदू हैं, जिनमें 15 से 17 साल के नाबालिग भी शामिल हैं.

घटना के बाद इस्लाम के अपमान का केस

HRCBM का कहना है कि कई मामले कथित फेसबुक पोस्ट से जुड़े हैं, जो अक्सर विवादित, मनगढ़ंत या हैक किए गए खातों से जुड़े होते हैं. अन्य घटनाएं बिना फोरेंसिक जांच के लगाए गए मौखिक आरोपों पर आधारित हैं. कई मामलों में किसी भी औपचारिक जांच से पहले ही भीड़ के दबाव में गिरफ्तारियां की गईं.

साइबर सुरक्षा अधिनियम के तहत बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज की गईं. खासकर छात्रों के खिलाफ. विश्वविद्यालय और कॉलेज हिंसा के केंद्र बन गए, जिसमें प्रणय कुंडू (PUST), बिकोर्नो दास दिव्या, टोनॉय रॉय (खुलना विश्वविद्यालय) और अपूर्बो पाल (नॉर्थ साउथ विश्वविद्यालय) जैसे छात्रों को इस्लाम का अपमान करने के आरोपों के बाद सस्पेंशन, निष्कासन या पुलिस रिमांड का सामना करना पड़ा. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पुलिस हिरासत के बाद भी कभी-कभी हिंसा जारी रही, जिससे राज्य सुरक्षा की विफलता पर चिंताएं बढ़ गई हैं.

जानलेवा हमलों ने माहौल को किया खराब

रिपोर्ट में कई जानलेवा घटनाओं का जिक्र है. 18 दिसंबर, 2025 को दीपू चंद्र दास (30) को मैमनसिंह के भालुका में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला और ईशनिंदा के आरोपों के बाद उसके शव को आग लगा दी.

इससे पहले, 4 सितंबर 2024 को उत्सव मंडल (15) पर खुलना के सोनाडांगा में कथित तौर पर पुलिस, अंसार और RAB कर्मियों की मौजूदगी में बेरहमी से हमला किया गया था, जिससे कानून-प्रवर्तन जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठे.

सभी हमलों का पैटर्न एक

HRCBM रिपोर्ट में मानवाधिकार पर्यवेक्षकों ने इस बात पर जोर दिया है कि बार-बार होने वाला पैटर्न सोशल मीडिया आरोप, तेजी से गिरफ्तारियां, भीड़ जुटाना और हिंदू इलाकों को निशाना बनाना, यह बताता है कि ईशनिंदा के आरोपों का इस्तेमाल उत्पीड़न, धमकी और सामाजिक बहिष्कार के लिए एक ट्रिगर के रूप में किया जा रहा है.

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि जवाबदेही और सुरक्षा उपायों के बिना, ऐसे आरोप बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों को खतरे में डालते रहेंगे. भारत ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा पर चिंता जताई है. 

विदेश मंत्रालय (MEA) ने शुक्रवार को कहा कि वह बांग्लादेश में दो हिंदू पुरुषों की हालिया लिंचिंग से बहुत परेशान है. MEA के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगातार दुश्मनी बहुत चिंता का विषय है. हम बांग्लादेश में एक हिंदू युवक की हालिया हत्या की निंदा करते हैं और उम्मीद करते हैं कि अपराध के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा."

यूनुस के काल में हिंदुओं पर हिंसा की 2900 घटनाएं

दरअसल, बांग्लादेश में हिंदू पुरुषों की लिंचिंग की दो अलग-अलग घटनाओं के बाद ये रिपोर्ट आई हैं. दीपू चंद्र दास की लिंचिंग के कुछ ही दिनों बाद बुधवार देर रात राजबाड़ी जिले में भीड़ ने एक और हिंदू आदमी को पीट-पीटकर मार डाला. पुलिस ने पीड़ित की पहचान 30 साल के अमृत मंडल के रूप में की, जिसे सम्राट के नाम से भी जाना जाता था. स्थानीय अधिकारियों के अनुसार हिंसा कथित तौर पर जबरन वसूली से जुड़ी गतिविधियों के कारण हुई.

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कार्यकाल के दौरान अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगभग 2,900 हिंसा की घटनाएं हुई हैं.

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