फार्ट का वीडियो बेचकर करोड़पति बना ऑस्ट्रेलियाई कंटेंट क्रिएटर, सोशल मीडिया पर छाई इस अजीब प्रोफेशन की कहानी
कभी वीकेंड स्ट्रिपर और बढ़ई रहे ऑस्ट्रेलियाई नाथ वाइल्ड ने अब फार्ट वीडियो बनाकर डिजिटल दुनिया में तहलका मचा दिया है. OnlyFans पर अजीबोगरीब मांगों से उन्होंने एक नया बिजनेस मॉडल खड़ा किया है. हर महीने लाखों की कमाई करने वाले वाइल्ड अब इंटरनेट की बदबूदार सनसनी बन चुके हैं और उन्हें इसका कोई पछतावा नहीं है.;
नाथ वाइल्ड नाम का शख्स जो कभी ऑस्ट्रेलिया में एक साधारण बढ़ई और वीकेंड स्ट्रिपर हुआ करते थे, आज एक इंटरनेट सेंसेशन हैं. इंस्टाग्राम पर लोकप्रियता बढ़ने के बाद उनके फॉलोअर्स ने उन्हें OnlyFans जैसी प्लेटफॉर्म पर कदम रखने को कहा, जहां उन्होंने शुरुआत में थोड़ी बोल्ड लेकिन लिमिटेड कंटेंट पोस्ट की. यह वो दौर था जब वाइल्ड अपनी दोहरी नौकरी से धीरे-धीरे डिजिटल दुनिया की ओर बढ़ रहे थे.
वाइल्ड ने जल्द ही महसूस किया कि वह कंटेंट क्रिएशन से कहीं अधिक कमाई कर सकते हैं. पहले महीने में ही उन्होंने लाखों कमाए और बढ़ई का काम छोड़ डिजिटल फुल-टाइम क्रिएटर बन गए. उनके अनुसार, “अब मैं घर से काम करता हूं, दिनभर काम या यात्रा नहीं करनी पड़ती. अब मुझे घर से काम करने की आजादी है.”
फार्ट वीडियो: मांग ने बदली दिशा
उनकी ज़िंदगी तब और बदल गई जब फैन्स ने फार्ट वीडियो की मांग शुरू की. पहले तो वाइल्ड ने इसे मना कर दिया, लेकिन जब रिक्वेस्ट की संख्या बढ़ने लगी तो उन्होंने ट्राय किया. पहला वीडियो उन्होंने अपने बेडरूम में शूट किया और चौंकाने वाले रिएक्शन मिले. एक वीडियो से ही उन्हें लगभग ₹2.3 लाख तक की कमाई हुई.
बिजनेस मॉडल बन गया ‘बदबूदार’ कंटेंट
आज वाइल्ड की कुल कमाई का करीब 20% हिस्सा केवल फार्ट वीडियो से आता है. हर महीने करीब ₹90,000 वे सिर्फ इसी खास कैटेगरी से कमाते हैं. ग्राहक न सिर्फ वीडियो खरीदते हैं, बल्कि आउटफिट, डायलॉग और कैमरा एंगल तक कस्टमाइज करने के लिए पैसे चुकाते हैं. कुछ चाहते हैं कि वो बोले, “काश आप इसे सूंघते” तो कुछ को सिर्फ चुप्पी पसंद है.
निंदा भी मिली, लेकिन संतोष ज्यादा है
चिकन और हरी सब्ज़ियां खाकर पेट फूलाना, टाइट जॉकस्ट्रैप पहनकर कैमरे के सामने बैठना. यह अब वाइल्ड की नियमित तैयारी बन गई है. आलोचना के बावजूद वह अपने काम से संतुष्ट हैं और मानते हैं कि डिजिटल युग ने उन्हें ऐसा करियर दिया है जिसकी न उन्होंने कभी कल्पना की थी, न योजना बनाई थी लेकिन अब यही उनकी पहचान और रोज़गार बन चुका है.