2030 तक कार्यकाल, तीनों सेनाओं और न्यूक्लियर कमांड पर पूरा नियंत्रण... कैसे आसिम मुनीर बने पाकिस्तान के ‘सुपर आर्मी चीफ’?

पाकिस्तान में 27वें संवैधानिक संशोधन के बाद पहली बार Chief of Defence Forces (CDF) का पद बनाया गया है, जिसे संभालते ही जनरल आसिम मुनीर देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन गए हैं. अब उनके पास तीनों सेनाओं का एकीकृत कमांड, न्यूक्लियर हथियारों पर प्रत्यक्ष नियंत्रण, 5 साल का नया कार्यकाल और आजीवन कानूनी प्रतिरक्षा जैसे अभूतपूर्व अधिकार हैं. मुनीर के पास अब पाकिस्तान के पूरे शक्ति ढांचे को री-डिज़ाइन करने की क्षमता है, लेकिन आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता उनकी सबसे बड़ी चुनौतियां होंगी.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 27 Nov 2025 5:10 PM IST

Field Marshal Asim Munir:  पाकिस्तान की राजनीति और सैन्य ढांचे में एक ऐतिहासिक बदलाव हो गया है. सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर अब Chief of Defence Forces (CDF) के रूप में सभी तीनों सेनाओं, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स, के सर्वोच्च कमांडर बन गए हैं. यह पद पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार बनाया गया है और इसके साथ मिलने वाले अधिकारों ने मुनीर को देश का सबसे शक्ति-संपन्न व्यक्ति बना दिया है, वो भी बिना किसी सैन्य तख्तापलट के...

यह सब संभव हुआ है 27वें संवैधानिक संशोधन के जरिए... जिसे पाकिस्तान की संसद ने 1 नवंबर को पास किया. इसके बाद दशकों से मौजूद Chairman Joint Chiefs of Staff Committee (CJCSC) का पद खत्म कर दिया गया है. मौजूदा CJCSC जनरल साहिर शामशाद मिर्ज़ा के रिटायरमेंट के साथ यह भूमिका अब इतिहास बन गई.

 मुनीर के पास क्या-क्या पावर होगी? 

  • तीनों सेनाओं का एकीकृत कमांड-  पहली बार सेना प्रमुख खुद तीनों सर्विसेज का सुप्रीम कमांडर है.
  • पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियारों पर प्रत्यक्ष नियंत्रण- न्यूक्लियर कमांड की देखरेख अब राष्ट्रपति या कैबिनेट नहीं, बल्कि CDF के पास केंद्रित हो गई है.
  • 2027 नहीं, अब 2030 तक कार्यकाल : मुनीर के कार्यकाल की घड़ी री-सेट हो गई. पहले उन्हें 2027 में रिटायर होना था, लेकिन अब नए पद पर 5 साल का नया कार्यकाल मिल गया यानी अब 2030 में रिटायर होंगे.
  • आजन्म कानूनी प्रतिरक्षा (Lifetime Immunity): CDF को राष्ट्रपति जैसी कानूनी सुरक्षा यानी किसी भी केस में कोई मुकदमा नहीं चल सकेगा. यह सुरक्षा एयरफोर्स और नेवी चीफों को भी दे दी गई है.
  • VCOAS (Vice Chief of Army Staff) नियुक्ति की शक्ति- पहले यह अधिकार सिविल सरकार के पास था, अब CDF की सिफारिश पर नियुक्ति होगी.
  • राष्ट्रीय रणनीतिक कमांड (NSC) के प्रमुख की नियुक्ति पर भी प्रभाव- NSC पाकिस्तान का न्यूक्लियर कमांड ढांचा नियंत्रित करता है. इसके प्रमुख की नियुक्ति भी अब आर्मी की सलाह पर होगी..  इससे साफ है कि पाकिस्तान में सैन्य शक्ति अब इतिहास के किसी भी दौर से ज्यादा केंद्रित हो गई है.

पाकिस्तान का सैन्य इतिहास: हाइब्रिड शासन से 'सुपर आर्मी चीफ' तक

1947 से पाकिस्तान बार-बार सैन्य शासन और नागरिक सरकारों के बीच झूलता रहा है. आखिरी बार जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने 1999 में सत्ता पर कब्जा कर 2008 तक शासन किया. 2008 के बाद भले ही पाकिस्तान में लोकतंत्र लौटा, लेकिन सेना का प्रभाव लगातार बढ़ा. इसे विश्लेषक 'Hybrid Rule' कहते हैं. 27वां संशोधन इस हाइब्रिड व्यवस्था को एक नए चरण में ले जाता है, जहां सेना प्रमुख अब सिर्फ आर्मी के नहीं, बल्कि पूरे रक्षा ढांचे, न्यूक्लियर सिस्टम और राजनीतिक-सुरक्षा ढांचे के सर्वोच्च सत्ता केंद्र बन गए हैं. यह वह स्थिति है जहां पाकिस्तान के सैन्य इतिहास में शक्ति का सबसे बड़ा केंद्रीकरण हो रहा है, बिना किसी खुले तख्तापलट के...

आसिम मुनीर: विवाद, वापसी और सत्ता की चोटी तक का सफर

मुनीर का करियर पाकिस्तान की सत्ता संरचना के अंदर कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा है. वे पाकिस्तान के उन गिने-चुने अधिकारियों में हैं जिन्होंने Military Intelligence (MI) और Inter-Services Intelligence (ISI) दोनों की कमान संभाली. हालांकि, इमरान खान ने उन्हें ISI चीफ से सिर्फ 8 महीने में हटा दिया था. इसका कारण आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया. वहीं, इमरान खान के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद शाहबाज़ शरीफ सरकार ने नवंबर 2022 में मुनीर को आर्मी चीफ बना दिया.  मई 2025 में भारत के साथ झड़प के बाद वे Field Marshal बनाए गए. उनका रैंक अब आजीवन बना रहेगा.

क्या मुनीर अब पाकिस्तान के नए मुशर्रफ हैं?

विशेषज्ञों का कहना है कि मुनीर के पास अब मुशर्रफ जितनी सत्ता और उससे भी ज्यादा संरचनात्मक सुरक्षा आ गई है. दक्षिण एशिया विशेषज्ञ शुजा नवाज़ कहते हैं, “मुनीर के पास पाकिस्तान को री-डिज़ाइन करने की शक्ति है.” दूसरी ओर, पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल लोधी सीधे कहते हैं, “मुनीर पाकिस्तान का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन गया है. यह राजनेताओं की गलती है.” उनका कहना है कि छोटी राजनीतिक पार्टियों ने अल्पकालिक लाभ के लिए सेना को इतना अधिकार दे दिया कि देश के दीर्घकालिक हित खतरे में पड़ गए.

कूटनीतिक जीतें, लेकिन चुनौतियां बड़ी

CDF बनने से पहले ही मुनीर ने, अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के साथ निजी लंच किया, खाड़ी देशों से आर्थिक मदद दिलाने में भूमिका निभाई और सेना के भीतर समर्थन मजबूत किया... लेकिन विश्लेषक चेतावनी देते हैं कि अमेरिका के लिए भारत प्राथमिक साझेदार बना रहेगा, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गिरावट में है और राजनीतिक अस्थिरता लगातार गहराती जा रही है... यानी मुनीर की शक्ति जितनी बड़ी है, चुनौतियां उससे कहीं बड़ी हैं.

पाकिस्तान में सत्ता का असली केंद्र अब एक ही व्यक्ति

यह संशोधन सिर्फ एक पद नहीं बनाता, बल्कि पाकिस्तान की शक्ति संरचना को पूरी तरह बदल देता है. अब देश के सैन्य निर्णय, न्यूक्लियर रणनीति, सुरक्षा ढांचा और कई राजनीतिक फैसले... सब पर अंतिम मुहर एक ही व्यक्ति यानी Field Marshal Asim Munir की होगी. यह पाकिस्तान के सैन्य इतिहास की सबसे बड़ी संरचनात्मक पावर-शिफ्ट है.

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