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शंघाई एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन का भारत विरोधी चेहरा! चीनी अफसर बोले- 'अरुणाचल चीन का हिस्सा है'

शंघाई एयरपोर्ट पर चीनी इमिग्रेशन अधिकारियों द्वारा एक भारतीय महिला को घंटों रोककर अरुणाचल प्रदेश को लेकर आपत्तिजनक बयान देने का मामला सामने आया है. घटना के बाद भारत में नाराजगी और कूटनीतिक स्तर पर प्रतिक्रिया की मांग उठी है. महिला ने केंद्र सरकार के कई विभागों के लेटर मेल कर इस मामले में सख्त कदम उठाने की मांग की है.

शंघाई एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन का भारत विरोधी चेहरा! चीनी अफसर बोले- अरुणाचल चीन का हिस्सा है
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भारत-चीन तनाव के बीच शंघाई एयरपोर्ट पर भारतीय महिला यात्री के साथ दुर्व्यवहार का नया मामला सामने आया है. आरोप है कि चीनी इमिग्रेशन अधिकारियों ने एक भारतीय महिला को कई घंटों तक हिरासत में रखकर न सिर्फ अपमानजनक सवाल पूछे बल्कि यह भी कहा कि 'अरुणाचल प्रदेश चीन का हिस्सा है.' महिला के अनुसार, "पूछताछ के दौरान उसका मानसिक उत्पीड़न किया गया. घटना के उजागर होते ही भारत में विरोध की लहर फैल गई है और विदेश मंत्रालय से कार्रवाई की मांग की जा रही है."

अरुणाचल प्रदेश में जन्मी महिला प्रेमा वांगजोम थोंगडोक ने आरोप लगाया कि शंघाई पुडोंग एयरपोर्ट पर चीनी इमिग्रेशन अधिकारियों ने उनके भारतीय पासपोर्ट को इनवैलिड घोषित कर दिया. उन्हें घंटों तक कस्टडी में रखा और जापान जाने में देरी की. कुछ भी खाने पीने नहीं दिया गया.

थोंगडोक ने कहा कि शंघाई एयरपोर्ट पर चीनी इमिग्रेशन अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि ट्रांजिट हॉल्ट के दौरान उनके भारतीय पासपोर्ट को पहचानने से इनकार करने के बाद उन्होंने उन्हें घंटों तक कस्टडी में रखा और हैरेसमेंट किया.

ब्रिटेन में रहती हैं कि थोंगडोक

यूनाइटेड किंगडम में रहने वाली प्रेमा वांगजोम थोंगडोक 21 नवंबर को शंघाई पुडोंग एयरपोर्ट पर तीन घंटे के लेओवर के साथ लंदन से जापान जा रही थीं. उन्होंने आरोप लगाया कि इमिग्रेशन काउंटर पर अधिकारियों ने उनके पासपोर्ट को "इनवैलिड घोषित कर दिया क्योंकि उसमें अरुणाचल प्रदेश उनके जन्म की जगह के तौर पर लिखा था और अधिकारियों ने उनसे कहा, अरुणाचल प्रदेश चीन का हिस्सा है.

अरुणाचल का पासपोर्ट वैलिड नहीं

इंडिया टुडे टीवी के मुताबिक, "इमिग्रेशन के बाद, मैंने अपना पासपोर्ट जमा किया और सिक्योरिटी में इंतजार कर रही थी. तभी एक अधिकारी आया और मेरा नाम लेकर 'इंडिया, इंडिया' चिल्लाने लगा और मुझे अलग से बुलाया. जब मैंने पूछा, तो वह मुझे इमिग्रेशन डेस्क पर ले गया और कहा, 'अरुणाचल, पासपोर्ट वैलिड नहीं है."

जब उसने पूछा कि उसका इंडियन पासपोर्ट वैलिड क्यों नहीं है, तो अधिकारी ने बस इतना जवाब दिया, "अरुणाचल चीन का हिस्सा है. आपका पासपोर्ट इनवैलिड है."

प्रेमा ने कहा कि अधिकारी के जवाब से वह कन्फ्यूज हो गईं, उन्हें याद आया कि वह पिछले साल बिना किसी दिक्कत के शंघाई से गुजरी थीं और उन्होंने लंदन में चीनी एम्बेसी से भी कन्फर्म किया था कि शहर से गुजरने वाले भारतीयों को कोई दिक्कत नहीं होगी.

अरुणाचल की महिला का उड़ाया मजाक

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई इमिग्रेशन कर्मचारियों और चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस के स्टाफ ने उनका मजाक उड़ाया, उन पर हंसे, और यहां तक कि उन्हें "चीनी पासपोर्ट के लिए अप्लाई करने" का सुझाव भी दिया. जो एक छोटा सा ट्रांजिट होना था, वह एयरपोर्ट के अंदर 18 घंटे की परेशानी में बदल गया, जिसके दौरान उन्होंने दावा किया कि उन्हें साफ जानकारी, सही खाना या एयरपोर्ट की सुविधाओं तक पहुंच नहीं दी गई.

इसके अलावा, प्रेमा ने आरोप लगाया कि उनका पासपोर्ट रोक लिया गया था? और वैलिड वीजा होने के बावजूद उन्हें जापान जाने वाली आगे की फ्लाइट में चढ़ने से रोक दिया गया.

चाइना ईस्टर्न के लिए टिकट लेने का डाला दबाव

ट्रांजिट एरिया में बंद होने के कारण, उन्होंने कहा कि वह टिकट दोबारा बुक नहीं कर पा रही थीं, खाना नहीं खरीद पा रही थीं या टर्मिनल के बीच आ-जा नहीं पा रही थीं. उन्होंने आगे दावा किया कि अधिकारियों ने उन पर सिर्फ चाइना ईस्टर्न के लिए नया टिकट खरीदने का दबाव डाला और कहा कि ऐसा करने के बाद ही उनका पासपोर्ट वापस किया जाएगा, जिससे फ्लाइट छूटने और होटल बुकिंग से उन्हें पैसे का नुकसान हुआ.

कॉन्सुलेट से ऐसे की संपर्क

आखिरकार वह UK में एक दोस्त के जरिए शंघाई में भारतीय कॉन्सुलेट पहुंचने में कामयाब रहीं. बाद में भारतीय अधिकारियों ने उन्हें देर रात चीनी शहर से निकलने के लिए एस्कॉर्ट किया.

भारतीय संप्रभुता का अपमान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीनियर अधिकारियों को भेजे एक लेटर में प्रेमा ने अपने साथ हुए बर्ताव को भारत की सॉवरेनिटी और अरुणाचल प्रदेश के नागरिकों का सीधा अपमान बताया.

उन्होंने भारत सरकार से बीजिंग के सामने यह मामला उठाने, इसमें शामिल इमिग्रेशन और एयरलाइन स्टाफ के खिलाफ जवाबदेही और डिसीप्लिनरी एक्शन लेने और मुआवजे के लिए दबाव डालने को कहा है. उन्होंने यह भी भरोसा मांगा है कि अरुणाचल प्रदेश के भारतीयों को आगे इंटरनेशनल ट्रैवल के दौरान ऐसी मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा.

केंद्र सरकार से की बड़ी अपील

प्रेमा वांगजोम थोंगडोक कहती हैं, "मैंने विदेश मंत्रालय, PMO, अरुणाचल प्रदेश के CM, विदेश सचिव को ईमेल लिखा कि ऐसी घटना किसी आम नागरिक के साथ नहीं होनी चाहिए. इतने घंटों तक परेशान किया जाना, मुझे लगता है कि यह चीनी सरकार का भारत के नागरिकों, खासकर अरुणाचल प्रदेश के नागरिकों को परेशान करने का एक तरीका हो सकता है. मैं भारतीय दूतावास की टीम की शुक्रगुजार हूं जिन्होंने आखिरकार रात करीब 10.30 बजे मुझे वहां से निकलने में मदद की."

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