चमोली में बादल फटने से हाहाकार, मलबे में 16 घंटे तक फंसा रहा शख्स, रेस्क्यू टीम ने जिंदा निकाला
उत्तराखंड का पहाड़ी इलाका एक बार फिर बादलों के फटने की त्रासदी से हिल गया. देर रात आए इस कहर ने कई घर उजाड़ दिए, लोगों की ज़िंदगी छीन ली और पूरे इलाके को मातम में डुबो दिया. लेकिन इसी मलबे और मायूसी के बीच उम्मीद की एक किरण भी दिखाई दी, जब नंदानगर में 16 घंटे तक मलबे के नीचे दबे एक शख्स को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.;
चमोली में बादल फटने की घटना ने इलाके में हाहाकार मचा दिया है. तेज बारिश और अचानक आए पानी के तेज बहाव ने कई घर और सड़कें तबाह कर दीं, जबकि लोगों की ज़िंदगी खतरे में पड़ गई. इसी बीच नंदानगर में एक व्यक्ति 16 घंटे तक मलबे के नीचे फंसा रहा. परिवार और पड़ोसियों की चिंताओं के बीच राहत और बचाव दलों ने लगातार खोजबीन की.
आख़िरकार एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय पुलिस की कोशिशों के बाद उसे जिंदा बाहर निकाला गया. इस बचाव ने प्रभावित परिवारों और बचावकर्मियों में राहत और उम्मीद की किरण जगा दी.
नंदानगर में ज़िंदगी की जीत
चमोली पुलिस ने शुक्रवार को जानकारी दी कि नंदानगर में राहत और बचाव अभियान के दौरान एक व्यक्ति को मलबे से जिंदा निकाला गया. यह सफलता लगभग 16 घंटे की मशक्कत के बाद मिली. पुलिस ने सोशल मीडिया पर भी इस क्षण को साझा करते हुए लिखा 'नंदानगर आपदा में जीवन की जीत– 16 घंटे बाद मलबे से सुरक्षित निकाला गया.' इस बचाव ने न सिर्फ राहतकर्मियों के मनोबल को बढ़ाया, बल्कि प्रभावित परिवारों में भी उम्मीद जगाई कि शायद और लोग भी जिंदा मिल सकें.
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बचाव कार्यों में जुटी टीमें
बादल फटने के बाद से ही चमोली जिले के कुंतारी और धूर्मा गांवों में हालात बेहद नाजुक बने हुए हैं. एनडीआरएफ (NDRF), एसडीआरएफ (SDRF), आईटीबीपी (ITBP), स्थानीय पुलिस और प्रशासन लगातार राहत कार्यों में जुटे हुए हैं. शुक्रवार को बचाव कार्य दूसरे दिन भी जारी रहा. सैकड़ों जवान मलबे में दबे लोगों को ढूंढने, फंसे लोगों को निकालने और प्रभावित परिवारों को सुरक्षित जगहों पर ले जाने के काम में लगे हैं.
ढांचागत नुकसान और राहत उपाय
इस आपदा ने बुनियादी ढांचे को भी गहरी चोट पहुंचाई है. कई सड़कें टूट गईं, पुल बह गए और दर्जनों मकान ढह गए. देहरादून-मसूरी हाईवे पर बने एक पुल को नुकसान पहुंचने के बाद लोक निर्माण विभाग ने अस्थायी बैली ब्रिज तैयार किया है. अभी इस पुल पर सिर्फ छोटे वाहनों को ही आवाजाही की अनुमति दी गई है. जिला प्रशासन ने राहत शिविर भी स्थापित किए हैं, जहां विस्थापित परिवारों को अस्थायी आश्रय और भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है.
मुख्यमंत्री धामी का दौरा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चमोली, रायपुर और मसूरी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया और हालात का जायज़ा लिया. मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया कि करीब 200 लोग इस आपदा से प्रभावित हुए हैं. लगभग 35 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, 20 लोग घायल हुए हैं और कम से कम 14 लोग अब भी लापता हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी घायलों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है और गंभीर रूप से घायल लोगों को एम्स ऋषिकेश रेफर किया जाएगा. धामी ने राहत कार्यों में जुटी टीमों की सराहना की और कहा कि सरकार हर संभव प्रयास कर रही है कि प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाए. उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि टूटे हुए रास्तों की मरम्मत प्राथमिकता पर होगी.
सितंबर तक अलर्ट पर प्रशासन
मुख्यमंत्री धामी ने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि सितंबर महीने तक पूरी तरह अलर्ट मोड में रहें, क्योंकि मानसून खत्म होने तक आपदा का खतरा बना रहेगा. उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा जारी है, लेकिन श्रद्धालु मौसम विभाग की चेतावनियों को ध्यान में रखकर ही अपनी यात्रा की योजना बनाएं.
तबाही के निशान और आगे की चुनौती
क्लाउडबर्स्ट से आई बाढ़ और भूस्खलन ने न सिर्फ घरों और सड़कों को तबाह किया, बल्कि लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी और आजीविका पर भी गहरी चोट की है. खेतों में खड़ी फसल बह गई, पशुधन का नुकसान हुआ और कई परिवारों की ज़िंदगी पूरी तरह बिखर गई. हालांकि बचाव दल लगातार खोज अभियान चला रहे हैं, लेकिन लापता लोगों के परिवारों की बेचैनी कम नहीं हो रही. राहत शिविरों में ठहराए गए लोगों को अब अपने भविष्य की चिंता सता रही है कि वे फिर से कैसे अपने घर और रोज़गार खड़ा करेंगे.