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गौशाला बचाने गए तभी... पिताजी बह गए, हम जान बचाकर भागे; चमोली हादसे के पीड़ितों ने सुनाई आपबीती

उत्तराखंड के थराली में भयानक बाढ़ त्रासदी का सामना करना पड़ा है. बीती रात, करीब एक बजे, टूनरी गांव के ऊपर अचानक बादल फटने के बाद गदेरे का जलस्तर बढ़ गया और तेज आवाजें आने लगी. गंगादत्त जोशी, जो गांव से आधा किलोमीटर दूर बाजार में स्थित अपनी गौशाला पहुंचे थे. वह पानी के तेज बहाव में बह गए और उनकी मौत हो गई.

गौशाला बचाने गए तभी... पिताजी बह गए, हम जान बचाकर भागे; चमोली हादसे के पीड़ितों ने सुनाई आपबीती
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( Image Source:  X : @Anoopnautiyal1 )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Published on: 24 Aug 2025 11:13 AM

थराली, उत्तराखंड तहसील थराली के चेपड़ों गांव में बीती रात आई अचानक बाढ़ ने एक बुजुर्ग की जान ले ली. 80 साल के गंगादत्त जोशी अपनी गौशाला की रक्षा के लिए पहुंचे थे, लेकिन पानी और मलबे की तेज धारा में बह गए और उनकी मौत हो गई. चेपड़ों गांव पिंडर नदी के किनारे बसा है और इसके पास टूनरी गदेरा बहता है. यह गदेरा स्थानीय लोगों के लिए जीवनदायिनी है.

इसी पानी से आसपास के खेतों में सिंचाई होती है और पीढ़ी-दर-पीढ़ी लोग अपने खेतों में फसल उगाकर परिवार का गुज़ारा करते आए हैं. इसके अलावा, गदेरा पेयजल का स्रोत भी है और आस-पास के गांवों में पानी की आपूर्ति इसी गदेरे से होती है. इस साल यह गदेरा दो बार विकराल रूप ले चुका है. जून माह में भारी बारिश के दौरान मलबा बहने से आसपास के भवनों को खतरा पहुंचा था, लेकिन तब कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ था.

बदल फटने के बाद बढ़ा जलस्तर

बीती रात, करीब एक बजे, टूनरी गांव के ऊपर अचानक बादल फटने के बाद गदेरे का जलस्तर बढ़ गया और तेज आवाजें आने लगी. गंगादत्त जोशी, जो गांव से आधा किलोमीटर दूर बाजार में स्थित अपनी गौशाला पहुंचे थे, ने देखा कि गाय और अन्य मवेशी खतरे में हैं. इसके बाद उन्होंने स्वजन और आस-पड़ोस के लोगों की मदद से मवेशियों को बचाने की कोशिश की.

पानी और मलबे के साथ बह गए गंगादत्त जोशी

लेकिन जल प्रलय इतना तेज था कि गंगादत्त जोशी पानी और मलबे के साथ बह गए और लापता हो गए. उनके साथ मदद करने आए महिपाल सिंह, दर्शन सिंह, शाह, गंगा सिंह, प्रदीप बुटोला और विकास जोशी जैसे लोग अपनी जान बचाने में सफल रहे, हालांकि वे भी इस दौरान घायल हुए. गंगादत्त जोशी की चेपड़ों बाजार में राशन की दुकान है और गौशाला सड़क के ऊपर स्थित है. बाढ़ और मलबे की चपेट में आकर दुकान और गौशाला दोनों नष्ट हो गए. उनके बेटे देवीदत्त जोशी ने बताया कि उनके पिता अचानक पानी के बहाव में उनके सामने ओझल हो गए और उन्हें संभलने का कोई मौका नहीं मिला.

आपदा से परेशान हुए लोग

बाजार में स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि यहां लगभग 20 से अधिक दुकानें हैं, जिनमें ज्यादातर स्थानीय व्यापारी रहते हैं. पहले लोग दुकानों में रात बिताते थे, लेकिन जून माह में आई बाढ़ और भूकटाव के बाद अब मनसून के दौरान दुकानों में कोई रात नहीं रुकता. इस घटना ने गांव और आसपास के क्षेत्र में एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की भयावहता को उजागर किया है. लोग अब भी बाढ़ के बढ़ते खतरे और मलबे से बचाव के उपायों को लेकर चिंतित हैं.

उत्तराखंड न्‍यूज
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