धर्मांतरण कानून के बाद उत्तराखंड में UCC पर भी लगी रोक, धामी सरकार को झटका! इसलिए राज्यपाल ने लौटाए विधेयक
उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार के दो अहम विधायी विधेयकों को वापस भेज दिया. इनमें समान नागरिक संहिता (यूसीसी) में संशोधन और धर्मांतरण विरोधी कानून में बदलाव से जुड़े प्रस्ताव शामिल हैं.;
उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार के दो अहम विधायी विधेयकों को वापस भेज दिया. इनमें समान नागरिक संहिता (यूसीसी) में संशोधन और धर्मांतरण विरोधी कानून में बदलाव से जुड़े प्रस्ताव शामिल हैं. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक राज्यपाल की ओर से यह कदम विधेयकों में पाई गई टाइपिंग और तकनीकी गलतियों के चलते उठाया गया है.
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राज्य सरकार के अधिकारियों के मुताबिक, दोनों विधेयकों को अंतिम मंजूरी से पहले दुरुस्त किया जाएगा और फिर दोबारा अनुमोदन के लिए पेश किया जाएगा. इस घटनाक्रम ने एक बार फिर राज्य की कानून बनाने की प्रक्रिया और विधायी सतर्कता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
धर्मांतरण विरोधी विधेयक में पाई गई खामियां
मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों के अनुसार, जबरन धर्मांतरण के मामलों में सख्त सजा का प्रावधान करने वाले धर्मांतरण विरोधी विधेयक के मसौदे में कई लिपिकीय और टाइपिंग संबंधी गलतियां सामने आई हैं. इन्हीं कारणों से राजभवन ने विधेयक को सुधार के लिए संबंधित विभाग को लौटा दिया है.
मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया, "उत्तराखंड में पहले से लागू सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून से संबंधित विधेयक के मसौदे में कुछ टाइपिंग की गलतियां थीं इन कमियों को दूर करने के लिए राजभवन ने विधेयक को प्रशासनिक विभाग, यानी धार्मिक मामलों और संस्कृति विभाग को वापस भेज दिया है. विभाग अब इन गलतियों को सुधारकर विधेयक को मंजूरी के लिए राजभवन को वापस भेजेगा, जिसके बाद इसे अध्यादेश के माध्यम से लागू किया जाएगा."
UCC संशोधन विधेयक भी लौटा
इसी तरह उत्तराखंड में पहले से लागू समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से जुड़े संशोधन विधेयक में भी तकनीकी और Clerical Errors पाई गई हैं. इस संशोधन में विवाह पंजीकरण को लेकर प्रावधान शामिल है, जिसका उद्देश्य विवाह पंजीकरण के लिए दी गई एक वर्ष की अतिरिक्त समय सीमा को बढ़ाना है
जनवरी 2024 में लागू हुआ था UCC
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को जनवरी 2024 में पारित किया गया था. इसके बाद अगस्त 2025 के मानसून सत्र में इसमें और संशोधनों पर विचार किया गया, ताकि झूठे बहाने से संबंध बनाने पर दंड और रजिस्ट्रार जनरल को नई शक्तियां देने जैसे पहलुओं को शामिल किया जा सके.