हरिद्वार में गंगा तट पर क्रिसमस पर बवाल, हिंदू संगठनों के विरोध के बाद होटल ने रद्द किए सभी कार्यक्रम, मांगी माफ़ी
उत्तराखंड के हरिद्वार में गंगा तट पर स्थित एक होटल द्वारा क्रिसमस से जुड़े कार्यक्रमों के प्रचार के बाद विवाद खड़ा हो गया. श्री गंगा सभा और RSS समेत कई हिंदू संगठनों ने इसे हरिद्वार की धार्मिक परंपराओं के खिलाफ बताया. विरोध बढ़ने पर होटल प्रबंधन ने 24 दिसंबर को प्रस्तावित सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए. होटल ने स्पष्ट किया कि गंगा आरती पहले की तरह जारी रहेगी और परिसर में केवल शुद्ध शाकाहारी भोजन ही परोसा जाएगा. यह मामला धार्मिक आस्था और पर्यटन गतिविधियों के बीच संतुलन को लेकर नई बहस छेड़ रहा है.;
धर्मनगरी हरिद्वार में गंगा तट से जुड़ी हर गतिविधि केवल आयोजन नहीं, बल्कि आस्था और परंपरा का विषय मानी जाती है. ऐसे में जब गंगा किनारे स्थित एक होटल में क्रिसमस से जुड़े कार्यक्रमों के प्रचार की खबर सामने आई, तो यह मामला सामान्य इवेंट मैनेजमेंट से निकलकर सीधे धार्मिक पहचान और सांस्कृतिक मर्यादा की बहस में बदल गया. सोशल मीडिया पोस्ट से शुरू हुआ यह विवाद कुछ ही घंटों में हिंदू संगठनों के तीखे विरोध तक पहुंच गया.
स्थिति तब और संवेदनशील हो गई जब विरोध करने वालों ने साफ शब्दों में कहा कि “गंगा तट पर सिर्फ आरती होगी, कोई विदेशी त्योहार नहीं”. बढ़ते दबाव और संभावित टकराव को देखते हुए आखिरकार होटल प्रबंधन को कदम पीछे खींचना पड़ा और क्रिसमस से जुड़े सभी कार्यक्रम रद्द करने पड़े. अब यह मामला केवल एक होटल के फैसले तक सीमित नहीं, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि धार्मिक शहरों में पर्यटन और परंपरा के बीच संतुलन कैसे बने.
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होटल का प्लान क्या था?
गंगा नदी के तट पर स्थित होटल भागीरथी ने क्रिसमस के मौके पर बच्चों के लिए विशेष गतिविधियां, प्ले शो और डीजे नाइट जैसे कार्यक्रमों का सोशल मीडिया पर प्रचार किया था. यह होटल उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की संपत्ति है, जिसे एक निजी होटल चेन द्वारा संचालित किया जाता है. जैसे ही यह प्रचार सामने आया, स्थानीय धार्मिक संगठनों की नजर इस पर पड़ी और आपत्ति शुरू हो गई.
सबसे पहले किसने उठाई आवाज
हर की पौड़ी पर गंगा आरती आयोजित करने वाली संस्था Shri Ganga Sabha ने इस आयोजन पर सबसे पहले कड़ा विरोध जताया. संस्था के सचिव उज्ज्वल पंडित ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि गंगा तट पर क्रिसमस जैसे आयोजनों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने इसे हरिद्वार की पवित्रता और सनातन परंपरा का अपमान बताया.
“विदेशी संस्कृति” का तर्क और चेतावनी
उज्ज्वल पंडित ने साफ शब्दों में कहा कि हरिद्वार कोई पर्यटन पार्टी डेस्टिनेशन नहीं, बल्कि एक मोक्ष नगरी है. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कार्यक्रम रद्द नहीं किए गए, तो विरोध और तेज किया जाएगा. इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई—कुछ लोग इसे धार्मिक भावनाओं का सम्मान बता रहे थे, तो कुछ इसे असहिष्णुता कह रहे थे.
RSS भी मैदान में उतरा
मामले में Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) की एंट्री के बाद विवाद और गंभीर हो गया. RSS नेता पदमजी ने कहा कि हरिद्वार की पहचान सदियों पुरानी धार्मिक परंपराओं से है और यहां किसी भी तरह की गतिविधि शहर की गरिमा के खिलाफ नहीं होनी चाहिए. उन्होंने उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग और होटल प्रबंधन से धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने की अपील की.
24 दिसंबर को होने थे कार्यक्रम
होटल प्रबंधन के अनुसार, 24 दिसंबर को बच्चों के लिए कुछ मनोरंजक गतिविधियां और सजावट की योजना थी. होटल मालिक नीरज गुप्ता ने बताया कि इन आयोजनों का मकसद किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना नहीं था. उनके अनुसार, होटल रिसेप्शन पर सिर्फ एक क्रिसमस ट्री लगाया गया था और कार्यक्रम सीमित स्तर पर रखे गए थे.
विरोध के बाद होटल का यू-टर्न
तेज विरोध और संभावित तनाव को देखते हुए होटल प्रबंधन ने सभी क्रिसमस से जुड़े कार्यक्रम पूरी तरह रद्द करने की घोषणा कर दी. नीरज गुप्ता ने कहा कि होटल प्रशासन किसी भी तरह का विवाद नहीं चाहता और हरिद्वार की धार्मिक संवेदनशीलता का सम्मान करता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि अब कोई भी क्रिसमस एक्टिविटी नहीं होगी.
गंगा आरती रहेगी, नियम वही
होटल ने यह भी साफ किया कि गंगा तट पर होने वाली गंगा आरती पहले की तरह जारी रहेगी. होटल परिसर में पहले से ही शुद्ध शाकाहारी भोजन परोसा जाता है और मांसाहार व शराब पूरी तरह प्रतिबंधित है. प्रबंधन के मुताबिक, हरिद्वार की परंपरा के अनुरूप केवल धार्मिक गतिविधियों को ही प्राथमिकता दी जाएगी.
आस्था बनाम पर्यटन
यह पूरा विवाद एक बड़े सवाल की ओर इशारा करता है कि क्या धार्मिक शहरों में आधुनिक पर्यटन आयोजनों की कोई सीमा होनी चाहिए? हरिद्वार में क्रिसमस कार्यक्रम रद्द होना यह दिखाता है कि यहां आस्था सर्वोपरि है. होटल प्रबंधन का पीछे हटना प्रशासन, कारोबार और धार्मिक संगठनों के बीच संतुलन की एक मिसाल भी बन गया है.