अयोध्या में बनने वाली मस्जिद में क्यों हो रही देरी? एडीए ने लेआउट प्लान किया खारिज

अयोध्या में राम मंदिर के बदले दी गई 5 एकड़ जमीन पर प्रस्तावित मस्जिद का नक्शा अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) ने खारिज कर दिया है. RTI से खुलासा हुआ कि विभिन्न विभागों से एनओसी और जरूरी दस्तावेज पूरे न होने के कारण लेआउट प्लान को मंजूरी नहीं मिली. अग्निशमन विभाग ने सड़क की चौड़ाई पर आपत्ति जताई. जबकि राम मंदिर निर्माण अंतिम चरण में है, मस्जिद परियोजना अभी शुरुआती पायदान पर ही अटकी हुई है.;

( Image Source:  sora ai )
Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On :

अयोध्या में धन्नीपुर गांव की पांच एकड़ जमीन पर बनने वाली प्रस्तावित मस्जिद का लेआउट प्लान अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) ने खारिज कर दिया है. आरटीआई से सामने आई जानकारी के अनुसार मस्जिद निर्माण के लिए जरूरी अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) विभिन्न सरकारी विभागों से प्राप्त नहीं हो सके. यही कारण है कि एडीए ने योजना को मंजूरी देने से इनकार कर दिया.

बता दें कि 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ किया था. इसी आदेश के तहत मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन आवंटित की गई. 3 अगस्त 2020 को यह जमीन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को ट्रांसफर की गई थी.

ट्रस्ट ने क्या कहा?

इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट, जिसे मस्जिद निर्माण की जिम्मेदारी दी गई है, ने जून 2021 में एडीए को नक्शा पास कराने का आवेदन दिया था. ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन का कहना है कि उन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि एनओसी क्यों नहीं दी गई. उनका कहना है कि अग्निशमन विभाग ने सड़क की चौड़ाई को लेकर आपत्ति जताई थी, लेकिन बाकी विभागों की आपत्ति की उन्हें कोई जानकारी नहीं मिली.

अप्रोच रोड बना सबसे बड़ा रोड़ा

अग्निशमन विभाग की जांच रिपोर्ट के अनुसार प्रस्तावित मस्जिद और अस्पताल भवन की ऊंचाई के हिसाब से सड़क की चौड़ाई 12 मीटर होनी चाहिए. लेकिन मौके पर अप्रोच रोड सिर्फ 4 से 6 मीटर चौड़ी पाई गई. इस कमी को दूर किए बिना एनओसी जारी नहीं की जा सकती. यही सबसे बड़ी वजह बताई जा रही है कि लेआउट प्लान को मंजूरी नहीं मिली.

ढाई साल बाद भी अधूरे दस्तावेज

आरटीआई कार्यकर्ता ओमप्रकाश सिंह को दिए गए जवाब में एडीए ने साफ किया कि ढाई साल बाद भी ट्रस्ट जरूरी दस्तावेज और एनओसी जमा कराने में नाकाम रहा. हालांकि आवेदन के साथ ट्रस्ट ने 1,68,515 रुपये विकास शुल्क और 23,413 रुपये आवेदन शुल्क जमा किया था. इसके बावजूद अपूर्ण दस्तावेजों के चलते आवेदन खारिज कर दिया गया.

राम मंदिर निर्माण में तेजी, मस्जिद अटकी

जहां एक ओर राम मंदिर का निर्माण निर्धारित समयसीमा के भीतर अंतिम चरण में पहुंच चुका है, वहीं मस्जिद परियोजना अभी भी शुरुआती पायदान पर अटकी हुई है. यह विरोधाभास लगातार सुर्खियों में बना हुआ है और मुस्लिम पक्ष पर सवाल उठ रहे हैं कि ढाई साल में जरूरी औपचारिकताएं क्यों पूरी नहीं की जा सकीं.

प्राधिकरण की चुप्पी

एडीए ने इस मामले में आगे की प्रक्रिया या नई समयसीमा को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की है. इससे यह साफ नहीं हो पा रहा कि मस्जिद परियोजना आगे कब और कैसे बढ़ पाएगी. इस बीच, पूरे मुद्दे पर सुन्नी वक्फ बोर्ड और मस्जिद ट्रस्ट की ओर से भी अब तक कोई ठोस आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.

अयोध्या की सियासत पर असर

राम मंदिर और मस्जिद निर्माण की रफ्तार में दिख रही असमानता से अयोध्या की सियासत भी गर्म हो गई है. जानकार मानते हैं कि मस्जिद निर्माण में देरी मुस्लिम पक्ष की साख पर असर डाल सकती है, जबकि मंदिर निर्माण बीजेपी और हिंदू संगठनों के लिए बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है. आने वाले समय में यह मुद्दा यूपी की राजनीति में अहम भूमिका निभा सकता है.

Similar News