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MLA बदलने के बाद साहिबगंज में बढ़ा मंदिर-मस्जिद विवाद? हिंदू पक्ष बोला- जमीन पर कब्जे की हो रही कोशिश; मुस्लिमों ने किया खारिज

झारखंड के साहिबगंज जिले के राजमहल नवाबडेढ़ी सैदबाजार में मंदिर-मस्जिद की जमीन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. हिंदू पक्ष का आरोप है कि पहले से मौजूद मंदिर को तोड़कर उसकी जमीन पर जबरन कब्जा किया जा रहा है, जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि जमीन रैयती है और उन्हीं की है. विवाद बढ़ने पर पुलिस ने हस्तक्षेप कर माहौल शांत कराया और दोनों पक्षों से जमीन के कागजात जमा करने को कहा है. प्रशासनिक जांच के बाद ही जमीन की वास्तविक स्थिति स्पष्ट होगी.

MLA बदलने के बाद साहिबगंज में बढ़ा मंदिर-मस्जिद विवाद? हिंदू पक्ष बोला- जमीन पर कब्जे की हो रही कोशिश; मुस्लिमों ने किया खारिज
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( Image Source:  Sora )

Sahibganj Temple Mosque Dispute: अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है, लेकिन देशभर में कई धर्मस्थल अब भी जमीन और स्वामित्व को लेकर टकराव का केंद्र बने हुए हैं. ताजा मामला झारखंड के साहिबगंज जिले के राजमहल के नवाबडेढ़ी सैदबाजार से सामने आया है, जहां एक मंदिर-मस्जिद विवाद ने तनाव पैदा कर दिया.

सूत्रों के मुताबिक, विवादित जमीन को लेकर हिंदू और मुस्लिम समुदाय आमने-सामने आ गए. स्थिति बिगड़ने पर राजमहल थाना पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों को समझाकर माहौल शांत कराया. पुलिस ने जमीन से जुड़े कागजात थाने में मंगवाकर जांच शुरू कर दी है.

'मंदिर की जमीन पर जबरन की जा रही है घेराबंदी'

हिंदू पक्ष का आरोप है कि विवादित स्थल पर पहले मंदिर और मस्जिद दोनों मौजूद थे. उनका कहना है कि लंबे समय से मंदिर में पूजा-पाठ नहीं हो रहा था, जिसे धीरे-धीरे तोड़ दिया गया और अब मंदिर की जमीन पर जबरन घेराबंदी की जा रही है.

'विवादित जमीन रैयती है'

ग्रामीणों ने यह भी दावा किया कि इस क्षेत्र में कई मंदिर-मस्जिद मुगलकालीन दौर के हैं और वे पुरातत्व विभाग के संरक्षण क्षेत्र में शामिल हैं. साथ ही, आरोप है कि विधायक बदलने के बाद संबंधित पक्ष को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है, जिससे जमीन हड़पने की कोशिश हो रही है. वहीं, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि विवादित जमीन रैयती है और उस पर उनका मालिकाना हक है.

पुलिस ने की दोनों समुदायों से संयम बरतने की अपील

फिलहाल पुलिस ने दोनों समुदायों से संयम बरतने की अपील की है. उसने साफ किया है कि जमीन के असली मालिकाना हक का फैसला कागजातों की जांच के बाद ही होगा,

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