बिश्नोई का साथी, अमन का खास, 50 केस और मंत्री से रंगदारी करने वाला खूंखार गैंगस्टर मयंक सिंह कौन?
मयंक सिंह को झारखंड एटीएस ने अजरबैजान के दातू शहर से प्रत्यर्पित कर भारत लाने में सफलता हासिल की है. उस पर झारखंड, राजस्थान, पंजाब समेत कई राज्यों में 50 से ज्यादा गंभीर आपराधिक मामलों में शामिल होने का आरोप है. मलेशिया से लेकर अमेरिका तक उसने अपने नेटवर्क फैलाए और रंगदारी, हत्या और गैंग वॉर जैसी घटनाओं को अंजाम दिया.
अपराध की दुनिया में कई नाम गुमनाम रह जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जो राज्यों की सीमाएं लांघकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुलिस के रडार पर आ जाते हैं. गैंगस्टर मयंक सिंह उर्फ सुनील मीणा ऐसा ही एक नाम है. अजरबैजान से प्रत्यर्पण कर उसे झारखंड लाया गया है.
इस पूरे ऑपरेशन को झारखंड पुलिस की अब तक की सबसे बड़ी सफलता माना जा रहा है. मयंक सिंह सिर्फ एक अपराधी नहीं, बल्कि एक ऐसा चेहरा बन चुका है जो देशभर के कई राज्यों में फैले आपराधिक नेटवर्क की कड़ियों को जोड़ता है. वह कुख्यात अमन साहू गिरोह का हिस्सा रहा है और लॉरेंस बिश्नोई जैसे अंतरराष्ट्रीय गैंगस्टर्स से भी उसके संबंध रहे हैं. चलिए जानते हैं मयंक सिंह की पूरी क्राइम कुंडली.
मयंक कैसे बना इंटरनेशनल गैंगस्टर?
सुनील मीणा उर्फ मयंक सिंह का आपराधिक सफर तब शुरू हुआ जब वह मलेशिया में काम करने गया था. वहीं उसकी मुलाकात भारत के कुख्यात गैंगस्टरों रोहित गोदारा, गोल्डी बरार और संपत नेहरा से हुई, जो लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से जुड़े हैं. यहीं से उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा.
विदेशी सरजमीं से रचे गए साजिशों के जाल
मलेशिया में रहते हुए उसने लॉरेंस बिश्नोई के इशारों पर राजस्थान और पंजाब में कई हत्याओं, फायरिंग और रंगदारी की घटनाओं को अंजाम दिया. वह धीरे-धीरे बिश्नोई गिरोह का भरोसेमंद बन गया और इंटरनेशनल स्तर पर ऑपरेशन चलाने लगा.
राजनीतिज्ञों और कारोबारियों को बनाया निशाना
सुनील पहली बार तब चर्चा में आया जब उसने राजस्थान के तत्कालीन राहत एवं आपदा प्रबंधन मंत्री गोविंद राम मेघवाल से रंगदारी मांगी. इसके बाद उसने एक पेट्रोल पंप मालिक से 5 करोड़ मांगे और पैसे न देने पर फायरिंग करवा दी. यह घटनाएं उसके बढ़ते दुस्साहस का प्रतीक थीं.
डंकी रूट से अमेरिका तक का सफर
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि पासपोर्ट रद्द होने के बाद वह 'डंकी रूट' यानी अवैध रास्ते से सिंगापुर, ईरान, मेक्सिको होते हुए अमेरिका पहुंचा. वहां से वह भारत के गैंगस्टरों के साथ ऑनलाइन संपर्क में रहा और अपराधों को संचालित करता रहा.
अमन साहू का सबसे भरोसेमंद साथी
मयंक सिंह को झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू का बेहद करीबी माना जाता है. दोनों ने मिलकर झारखंड, बंगाल और छत्तीसगढ़ में कोयला व्यापारियों और ट्रांसपोर्ट कंपनियों से रंगदारी वसूलने की योजनाएं बनाईं.
अजरबैजान में गिरफ्तारी और ऐतिहासिक प्रत्यर्पण
अक्टूबर 2024 में अजरबैजान के दातू शहर में उसे इंटरपोल के सहयोग से गिरफ्तार किया गया. इसके बाद झारखंड एटीएस ने प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू की और एसपी ऋषव कुमार झा की अगुवाई में उसे रांची लाया गया. यह झारखंड पुलिस के इतिहास का पहला सफल प्रत्यर्पण है. पुलिस अब उससे पूछताछ कर रही है. जांच एजेंसियों को उम्मीद है कि मयंक सिंह से पूछताछ के बाद कई राज्यों में फैले आपराधिक सिंडिकेट की जानकारी सामने आएगी. साथ ही अन्य फरार अपराधियों तक पहुंचने में भी यह गिरफ्तारी मददगार साबित होगी।





