20 किलो की 'राम नाम की चाबी' लेकर महाकुंभ में पहुंचने वाले कौन हैं हरिश्चंद्र विश्वकर्मा कबीरा?

महाकुंभ 2025 में भाग लेने के लिए हरिश्चंद्र विश्वकर्मा कबीरा नाम के बाबा सुर्खियों में बने हुए हैं. मेले में शामिल होने के लिए वो अपने साथ 20 किलो की चाबी लेकर चल रहे हैं. उन्होंने चाबी को 'राम नाम की चाबी' बताया है. अब हर कोई जानने को उत्सुक है कि आखिर ये बाबा है कौन और इतनी चाबी लेकर चलने का उद्देश्य क्या है? आज हम आपको इस बारे में बताएंगे.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 5 Jan 2025 12:42 PM IST

Mahakumbh Mela 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इस साल महाकुंभ मेले का आयोजन होने का रहा है. 13 जनवरी से 26 फरवरी तक मेला चलेगा. इसमें शामिल होने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. चारों ओर लोग भक्ति में डूबे नजर आ रहे हैं. इस बीच 'चाबी वाले बाबा' चर्चा का विषय बन गए हैं.

जानकारी के अनुसार, महाकुंभ 2025 में भाग लेने के लिए हरिश्चंद्र विश्वकर्मा कबीरा नाम के बाबा सुर्खियों में बने हुए हैं. मेले में शामिल होने के लिए वो अपने साथ 20 किलो की चाबी लेकर चल रहे हैं. उन्होंने चाबी को 'राम नाम की चाबी' बताया है. अब हर कोई जानने को उत्सुक है कि आखिर ये बाबा है कौन और इतनी चाबी लेकर चलने का उद्देश्य क्या है? आज हम आपको इस बारे में बताएंगे.

राम की चाबी लेकर पहुंचे प्रयागराज

हरिश्चंद्र विश्वकर्मा कबीरा को सोशल मीडिया पर लोग चाबी वाले बाबा के नाम से बुला रहे हैं. बाबा ने कहा कि उनके पास एक चाबी है, इस चाबी के जरिए वे लोगों का अहंकार तोड़ते हैं और उन्हें अध्यात्म का मार्ग दिखाते हैं. उन्होंने कहा, "जब मैं अयोध्या में था, तो मैंने लता मंगेशकर चौक पर चाभी बनाई थी. हर चीज का समाधान ही कुंजी है. बाबा मने कहा कि मेरे साथ एक दिन, एक घंटा बैठो आपका जीवन बदल जाएगा."

कौन हैं चाबी वाले बाबा?

न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, हरिश्चंद्र विश्वकर्मा उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने वाले हैं और महाकुंभ मेले में शामिल होने प्रयागराज आए हैं. वह समाज की बुराइयों से परेशान थे. इसलिए उन्होंने 16 साल की उम्र में समाज में फैली बुराइयों और नफरत से लड़ने का फैसला किया और घर छोड़ दिया. बाबा ने बताया कि मैंने बहुत सारी पदयात्राएं की हैं और अपने जीवन में बहुत सारी कठिनाइयां झेली हैं, लेकिन मैं आगे बढ़ता रहा. भगवान राम के आशीर्वाद से मैं यहाँ प्रयागराज में हूं. यह 'राम नाम की चाबी' है. राम मुक्तिदाता हैं. उन्होंने कहा, मैं यहां चाबी लेकर आया हूं."

बता दें कि इससे पहले 32 वर्षों से स्नान न करने वाले गंगापुरी महाराज महाकुंभ मेले में आकर्षण का केंद्र बन गए हैं. निरंजनी अखाड़े के विभिन्न साधु-संत हाथी और घोड़ों पर सवार होकर प्रयागराज के विभिन्न इलाकों से होते हुए आज संगम घाट पहुंचे. जहां प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने साधु-संतों का माला पहनाकर स्वागत किया.

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