बनना चाहता था IAS, कर बैठा ये कांड! गूगल से सीखा और लड़की बनने की चाहत में काट डाला प्राइवेट पार्ट

प्रयागराज से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां युवक की लड़की बनने की चाहत में उसने गूगल से जानकारी जुटाई और बिना किसी डॉक्टर की सलाह लिए खुद ही अपना प्राइवेट पार्ट काट डाला, जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. यह मामला न सिर्फ हैरान करने वाला है बल्कि यह भी दिखाता है कि अधूरी जानकारी और गलत फैसले इंसान की जिंदगी को किस कदर खतरे में डाल सकते हैं.;

( Image Source:  Canva )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 13 Sept 2025 6:15 PM IST

प्रयागराज में UPSC की तैयारी कर रहे एक 17 साल के छात्र की जिंदगी अचानक दर्द से भर गई. वह लड़का, जिसने IAS बनने का सपना देखा था, अपनी पहचान की उलझन में ऐसा कदम उठा बैठा जिसने परिवार, समाज और डॉक्टरों को भी हिला दिया. दरअसल लड़के को एहसास हुआ कि वह लड़की है.

ऐसे में उसने गूगल ने जानकारी जुटाकर खुद से ही अपने प्राइवेट पार्ट को काट डाला, जिसके बाद वह अस्पताल में भर्ती है. डॉक्टर ने बताया कि यह जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर है.

14 साल की उम्र में पहली बार अहसास

14 साल की उम्र में जब वह अपने गांव के एक कार्यक्रम में लड़कियों के साथ नाच रहा था, तभी पहली बार उसे महसूस हुआ कि उसका मन किसी लड़की जैसा है. उसके बाद से यह अहसास और गहरा होता चला गया. वह अपने परिवार का इकलौता बेटा था, पिता किसान और मां हाउस वाइफ है. दोनों का सपना था कि बेटा IAS बने और परिवार का नाम रोशन करे. लेकिन उस किशोर के भीतर एक और दुनिया पल रही थी, जो किसी से बताने की हिम्मत वह कभी नहीं जुटा पाया.

UPSC की तैयारी और भीतर का संघर्ष

CBSE बोर्ड से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह प्रयागराज आया और UPSC की तैयारी शुरू की. लेकिन किताबों के पन्ने उसके लिए बोझ जैसे हो गए. उसकी सोच, उसकी एकाग्रता सब एक ही सवाल पर अटक गई कि 'मैं आखिर कौन हूं? लड़का या लड़की?' जितना वह पढ़ाई पर ध्यान लगाने की कोशिश करता, उतना ही यह सवाल उसे परेशान करता.

इंटरनेट पर खोज और गलत राह

अपनी बेचैनी का जवाब पाने के लिए उसने गूगल और यूट्यूब का सहारा लिया. वहां उसे कई वीडियो और आर्टिकल मिले, जिनमें बताया गया था कि कैसे सर्जरी करके लड़का लड़की बन सकता है. इसी दौरान उसकी मुलाकात कटरा के एक डॉक्टर से हुई, जिसका नाम उसने ‘डॉ. ज़ेनिथ’ बताया. छात्र के मुताबिक, डॉक्टर ने उसे सलाह दी कि प्रक्रिया शुरू करने के लिए उसे खुद ही अपना प्राइवेट पार्ट काटना होगा और तरीका भी समझा दिया.

ऐसे काटा प्राइवेट पार्ट

उसने एनस्थीसिया इंजेक्शन, ब्लेड, कॉटन और अन्य सामान खरीदा. कमरे में अकेले बैठकर उसने खुद को इंजेक्शन लगाया. निचला हिस्सा सुन्न होते ही उसने ब्लेड से अपना प्राइवेट पार्ट काट डाला. शुरुआती कुछ मिनटों में उसे लगा सब कुछ कंट्रोल में है. उसने पट्टियां बांध लीं. लेकिन जैसे ही इंजेक्शन का असर खत्म हुआ, दर्द असहनीय हो गया.

1 घंटे तक तड़पता रहा

करीब एक घंटे तक वह दर्द से तड़पता रहा. दर्द निवारक दवाइयां भी बेअसर हो गईं. जब उसने पट्टी हटाई तो खून फर्श पर फैल चुका था. डर और निराशा में उसने अपने मकान मालिक से मदद मांगी. तुरंत एम्बुलेंस बुलाई गई और उसे तेज बहादुर सप्रू अस्पताल पहुंचाया गया. हालत गंभीर देखकर डॉक्टरों ने उसे स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल रेफर कर दिया. वहां डॉक्टरों ने बताया कि जरा सी देर होती तो उसकी जान चली जाती.

मां की बेबसी

जब उसकी मां अस्पताल पहुंची तो आंसुओं में डूबी हुई सिर्फ यही कहती रही कि 'मेरा बेटा पढ़ाई में होशियार था, IAS बनने वाला था. लेकिन एक गलतफहमी और गलत सलाह ने उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी." मां डॉक्टरों से बार-बार गुहार लगाती रही कि किसी तरह उसे पहले जैसा बना दें.

डॉक्टरों की चेतावनी

स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल के सर्जन डॉ. संतोष सिंह ने कहा कि यह कदम बेहद खतरनाक था और इससे जान तक जा सकती थी. फिलहाल छात्र को बचा लिया गया है, लेकिन अब उसे नया यूरिनरी पैसेज बनाना होगा ताकि वह सुरक्षित तरीके से पेशाब कर सके. यह अस्पताल के लिए भी पहला ऐसा केस था.

क्या है यह बीमारी

यह ‘जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर’ है. ऐसे लोग अक्सर खुद को गलत शरीर में कैद महसूस करते हैं. यह स्थिति इतनी गहरी हो जाती है कि व्यक्ति आत्मघाती कदम तक उठा सकता है. ऐसे मामलों में तुरंत मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मदद लेनी चाहिए और परिवार को भी शुरुआत से ही बच्चे के साथ बात कक चाहिए.

सबक और सवाल

इस घटना ने समाज के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या हम अपने बच्चों की भावनाओं को समझने के लिए तैयार हैं? क्या शिक्षा और करियर के दबाव में उनकी पहचान और मानसिक संघर्ष को नजरअंदाज कर देते हैं? और सबसे बड़ा सवाल– क्यों आज भी मानसिक स्वास्थ्य और जेंडर पहचान को लेकर जागरूकता इतनी कम है कि बच्चे गलत जानकारी के सहारे अपनी जान जोखिम में डाल दें.

प्रयागराज का यह मामला चेतावनी है कि मेंटल हेल्थ, जेंडर आइडेंटिटी और फैमिली से बात कितनी जरूरी है. एक होनहार छात्र, जो IAS बनने का सपना देख रहा था, इंटरनेट की अधूरी जानकारी और अकेलेपन की वजह से अपनी जिंदगी हमेशा के लिए बदल बैठा. 

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