हाथ-पैर तोड़ने से बेहतर था मार देते... अनुज चौधरी और मशकूर रजा का Audio Viral, यूट्यूबर बोला- जब तक न्याय नहीं मिलेगा चैन से नहीं बैठूंगा
फिरोजाबाद के एएसपी और यूट्यूबर मशकूर रज़ा के बीच बातचीत का एक ऑडियो इंटरनेट पर लीक हुआ है, जहां यूट्यूबर एएसपी से कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि आपने मेरे हाथ पैर तोड़ दिए, इससे अच्छा आप मार ही देते, लेकिन अब मैं तब तक चुप नहीं रहूंगा, जब तक मुझे न्याय नहीं मिल जाता है.;
इंटरनेट पर एक पुराना ऑडियो लीक हुआ है, जिसमें यूट्यूबर मशकूर रज़ा और फिरोजाबाद के एएसपी अनुज चौधरी के बीच बात हो रही है. ऑडियो में मशकूर रज़ा आरोप लगाते हुए कहते हैं कि चौधरी ने उनका करियर बर्बाद कर दिया और इतना पीटा कि उनके हाथ-पैर बेकार हो गए हैं.
इससे अच्छा होता कि वह उन्हें जान से मार ही देते. वायरल क्लिप में मशकूर यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, वे चैन से नहीं बैठेंगे, जबकि अनुज चौधरी ने आरोपों को खारिज करने की कोशिश की है.
क्या है मामला?
यह विवाद पिछले साल 2024 से चला आ रहा है. दरअसल 24 नवंबर 2024 को संभल में हुई हिंसा के बाद मशकूर रज़ा ने अनुज चौधरी का इंटरव्यू लेने की कोशिश की थी. जबकि उन्होंने इंटरव्यू देने से मना कर दिया, जिससे उनके बीच बहस हो गई. बहस में मशकूर ने अनुज चौधरी को धमकाया और मुख्यमंत्री, डीजीपी और एसएसपी का नाम लेकर कहा कि वह उच्च अधिकारियों से बात करवा सकते हैं.
फोन पर तीखी बहस
जब अनुज चौधरी ने मशकूर रज़ा की धमकियों के बावजूद इंटरव्यू देने से इनकार किया, तब फोन पर तीखी बहस हुई. इस बहस का ऑडियो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. ऑडियो में मशकूर की नाराजगी और एएसपी के ठोस जवाब साफ सुनाई देते हैं.
गिरफ्तारी और जमानत
इसके बाद मशकूर रज़ा को 24 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया और जेल भेजा गया. बाद में उन्हें जमानत पर रिहा किया गया. हालांकि, उन्होंने अनुज चौधरी को बाद में फिर से कॉल किया, लेकिन इस नए वायरल ऑडियो की तारीख साफ नहीं है.
यूट्यूबर और ASP का प्रोफ़ाइल
मशकूर रज़ा मुरादाबाद के ताहरपुर गांव, मैनाथर थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं. एएसपी अनुज चौधरी फिलहाल फिरोजाबाद में तैनात हैं. विवाद और ऑडियो ने दोनों के बीच जारी तनातनी को सार्वजनिक कर दिया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है, और दोनों पक्षों की प्रतिक्रिया पर ध्यान रखा जा रहा है. यह मामला सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है और कानून व पत्रकारिता के बीच के तनाव को फिर से उजागर करता है.