कानपुर के DM-CMO ने योगी राज का बनाया मजाक! HC के फैसले के बाद एक ही दफ्तर में भिड़े 2-2 CMO, अब किसकी होगी जांच?

कानपुर डीएम-सीएमओ विवाद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद नया मोड़ ले लिया है. इस फैसले के बाद कानपुर में अचानक दो अधिकारी डॉ. हरिदत्त नेमी और डॉ. उदय नाथ ने सीएमओ होने का का दावा किया. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चार हफ्ते में जवाब देने को कहा. अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी. तब सीएमओ पद पर काम कौन करेगा, यह अभी तय नहीं है?;

Curated By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 10 July 2025 12:59 PM IST

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के डीएम-सीएमओ विवाद ने अब प्रशासनिक दफ्तर नहीं सियासी अखाड़ा बन बया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद इस मामले ने और ज्यादा तूल पकड़ लिया. ऐसा इसलिए कि हाईकोर्ट ने सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी के खिलाफ जारी निलंबन आदेश को रद्द कर दिय है. अगला आदेश आने तक काम करने को कहा है. हाईकोर्ट के इस आदेश से समस्या यह उठ खड़ी हुई कि कानपुर में सीएमओ का दफ्तर तो एक है, लेकिन सीएमओ दो हैं. दोनों लगातार दूसरे दिन इस पद पर काम कर रहे हैं. बुधवार को इसको लेकर बवाल मचा और पुलिस बल को दफ्तर में पहुंचकर स्थिति को संभालने पड़े.

गुरुवार को भी वही नजारा देखने को मिला. डॉ. हरिदत्त नेमी पहले दफ्तर पहुंचकर बतौर सीएमओ काम करने लगे तो नवनियुक्त सीएमओ डॉक्टर उदयनाथ अपनी टीम के साथ शहर और ग्रामीण क्षेत्र के सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में निरीक्षण कर रहे हैं.

वहीं, इन घटनाक्रमों के बाद कानपुर डीएम-सीएमओ विवाद ने अब यूपी की राजनीति का बड़ा मुद्दा बन गया है. यह मामला अब सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंच गया है. मुख्यमंत्री कार्यालय ने दोनों अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है. जबकि विपक्ष ने इसको लेकर सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं.

सीएमओ विवाद पर अखिलेश यादव का बयान

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले की हाई लेवल जांच की मांग है. उन्होंने कहा कि एक ईमानदार अफसर ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकता है. उन्होंने योगी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार में हर ओर झगड़े चल रहे हैं. वहीं, के कांग्रेस नेताओं ने इस विवाद को प्रशासनिक विफलता और स्वास्थ्य व्यवस्था से जनता को वंचित करने वाला करार दिया है.

क्या हैं निलंबित सीएमओ हरिदत्त नेमी का आरोप ?

कानपुर के सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी का डीएम पर आरोप है कि वह सीएमओ से पैसा चाहते थे, सिस्टम में आने की सलाह देते रहे. जब हम उनके सिस्टम में नहीं आए तो निलंबन की संस्तुति कर दी. उन्होंने कहा कि 16 दिसंबर 2024 को कार्यभार ग्रहण करने के बाद से डीएम हर बैठक में उन्हें जाति सूचक शब्दों के जरिए उत्पीड़न करते आए हैं.

डीएम का दावा

दूसरी तरफ कानपुर के जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने नेमी पर वित्तीय अनियमितता बरतने का आरोप लगाया है. डीएम ने डॉ. नेमी पर अस्पतालों से वसूली करने के गंभीर आरोप लगाते हुए सीएम को पत्र भी लिखा था, जिसको संज्ञान में लेकर कार्रवाई के साथ इनके खिलाफ विजिलेंस जांच भी शुरू हो गई है. फिलहाल, सीएमओ को महानिदेशालय लखनऊ से संबद्ध कर दिया गया है.

सीएमओ के एक पद पद दो-दो अफसर दावेदार

इस बीच डीएम के आदेश के खिलाफ सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका कर रोक लगाने की मांग की थी. उनकी याचिका पर सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ. नेमी के निलंबन पर रोक लगा दी है. साथ ही यूपी सरकार से इस मसले पर हलफनामा दाखिल करने को कहा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद 9 जुलाई 2025 को कानपुर सीएमओ दफ्तर में असमंजस की स्थिति बन गई, जब डॉक्टर हरिदत्त नेमी दोबारा बतौर सीएमओ अपने दफ्तर पहुंच गए. इस दौरान उनके बगल ही बीते दिनों नियुक्त किए गए सीएमओ डॉक्टर उदयनाथ भी मौजूद थे.

कानपुर डीएम-सीएमओ विवाद का इतिहास

कानपुर डीएम-सीएमओ विवाद तब प्रकाश में आया जब सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी को 19 जून 2025 को डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने निलंबित कर दिया. डीएम ने उन पर सरकारी कर्मचारियों की उपस्थिति में लापरवाही और कई अन्य आरोप लगाए. डीएम के इस आदेश को डॉ. हरिदत्त नेमी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने सीएमओ के निलंबन को गैर जरूरी बताते हुए उनके संस्पेंशन पर स्टे लगा दी. हाईकोर्ट ने चार हफ्ते में विभागीय अधिकारियों से जवाब दाखिल करने को कहा है.

कानपुर के सीएमओ हरिदत्त नेमि कोर्ट से राहत मिलने के बाद 9 जुलाई को सुबह 9:30 बजे ऑफिस पहुंचकर अपनी कुर्सी पर पहले की तरह बैठ गए. इस दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियुक्त CMO डॉ. उदय नाथ भी मौके पर मौजूद थे. उन्हें वहां कुर्सी नहीं मिली, तो उन्होंने अतिरिक्त CMO ऑफिस में अपनी सीट ली. दोनों अधिकारियों के आने से कार्यालय में आने से तनाव फैल गया. दफ्तर के कर्मचारी भी दो गुटों में बंट गए.

विवाद के पीछे बीजेपी विधायकों का हाथ

इस मामले में कुछ भाजपा विधायक (जैसे सतिश महाना, सुरेंद्र मैथानी) ने डॉ. नेमी का समर्थन करते हैं. जबकि अन्य विधायक (अभिजीत सांगा, महेश त्रिवेदी) सीएमओ के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. यानी विधायकों का पहला गुट नेमि के साथ है तो दूसरा गुट डीएम के साथ.

विवाद से जुड़े 5 अहम सवाल

1. इस विवाद को लेकर कहा जा रहा है कि डीएम ने प्रशासनिक और कानूनी दृष्टि से गलती की. उन्होंने सीएमओ को निलंबित करने से पहले कोई जांच नहीं कराई. उन्होंने नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए सीएमओ को संस्पेंड कर दिया. सीएम डॉ. नेमी ने डीएम पर जातिवादी टिप्पणी और रिश्वत मांगने का आरोप लगाए हैं. ऐसे में जांच तो इस बात की भी होनी चाहिए कि डीएम ने पैसे मांगे थे या नहीं.

2. अब इस विवाद से संबंधित एक अहमल पहूल यह भी है कि यूपी स्वास्थ्य निदेशालय ने इस मामले में जल्दबाजी का परिचय देते हुए डॉ. उदय नाथ को कानपूर का आधिकारिक तौर पर सीएमओ नियुक्त कर दिया. उनको नियुक्त करने के लिए यूपी के मुख्य सचिव की ओर से नियुक्ति आदेश जारी हुए थे. दूसरी तरफ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीएमओ नेमि की याचिका पर सुनवाई के बाद मुख्य सचिव के आदेश पर रोक लगा दी. अदालत ने कहा कि जब तक नया आदेश न आए, वे पद पर बने रहेंगे.

3. इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद डॉ. नेमि बुधवार को दफ्तर पहुंच और सीएम की कुर्सी पर बैठ गए. मौक पर नवनियुक्त सीएमओ उदयनाथ भी पहुंच गए. यहां पर सवाल यह है कि सीएमओ की जिम्मेदारी कौन निभाएगा?

4. इलाबाद हाईकोर्ट में इस मसमले पर अगली सुनवाई 18 अगस्त 2025 को होगी. उसी दिन विभागीय अधिकारी अदालत में हलफनामा दायर कर अपना पक्ष रखेंगे. तब तक क्या होगा?

5. अब इस मामले ने तूल पकड़ लिया है. क्या अब डीएम और सीएमओ दोनों के खिलाफ जांच होगी? फिहला, कांग्रेस और सपा के नेताओं ने इस मामले को लपक लिया है.

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