मंदिर की दीवारों पर चार हिंदू युवकों ने लिखा था 'I Love Mohammad', मुस्लिमों को फंसाने की थी साजिश; पुलिस के खुलासे से बवाल

अलीगढ़ के बुलाकगढ़ी और भगवानपुर गांव के मंदिरों पर ‘आई लव मोहम्मद’ लिखने के मामले में पुलिस ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. जांच में सामने आया कि ये साजिश चार हिंदू युवकों ने रची थी ताकि मुस्लिम समुदाय को झूठा फंसाया जा सके. व्यक्तिगत जमीन विवाद के कारण युवकों ने दीवारों पर नारे लिखकर तनाव फैलाने की कोशिश की. पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.;

( Image Source:  X/SupriyaShrinate & mshahzad_pbh )
Edited By :  नवनीत कुमार
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कभी-कभी सच्चाई वही नहीं होती जो सामने दिखती है. अलीगढ़ में ‘आई लव मोहम्मद’ लिखे मंदिरों की दीवारें यही सिखाती हैं. 25 अक्टूबर को जब सुबह-सुबह लोगों ने मंदिरों की दीवारों पर ये शब्द देखे, तो गांव में तनाव की आग फैल गई. हर कोई सोचने लगा कि कहीं यह सांप्रदायिक साजिश तो नहीं? लेकिन असली कहानी कुछ और थी जो अब सामने आई है.

जांच ने जो परतें खोलीं, उसने पूरे प्रदेश को चौंका दिया. पुलिस ने जिन चार युवकों को गिरफ्तार किया, वे सभी हिंदू निकले. उन्होंने खुद ही मुस्लिम समाज को फंसाने के लिए मंदिरों पर यह नारे लिखे थे. मकान और जमीन के झगड़े ने इन्हें इतना अंधा बना दिया कि गांव की शांति को ही दांव पर लगा दिया.

मंदिरों की दीवारों पर लिखे 'I Love Mohammad'

अलीगढ़ के थाना लोधा क्षेत्र के बुलाकगढ़ी और भगवानपुर गांव की सुबह उस दिन डर और शक से भर गई, जब पांच मंदिरों की दीवारों पर “I Love Mohammad” लिखा मिला. ये शब्द गांव के लोगों के दिलों में आग की तरह उतर गए. पुलिस बल तैनात किया गया, इलाके में अफवाहें उड़ने लगीं और धार्मिक तनाव का खतरा मंडराने लगा.

पुलिस की सख्त कार्रवाई

जैसे ही मामला सामने आया, एसएसपी नीरज कुमार खुद फोर्सिक टीम और डॉग स्क्वाड के साथ मौके पर पहुंचे. आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए और आठ लोगों के खिलाफ FIR दर्ज हुई. शुरू में शक मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों पर गया, जिनके नाम रिपोर्ट में दर्ज किए गए- मुस्तकीम, गुल मोहम्मद, सुलेमान, हमीद, यूसुफ और अन्य.

एक ‘स्पेलिंग मिस्टेक’ ने खोला राज़

लेकिन पुलिस की नजर एक छोटी सी गलती पर गई. स्लोगन में “Mohammad” की स्पेलिंग हर जगह एक ही तरीके से गलत लिखी गई थी. यह वही गलती थी जो हाल में बरेली की रैलियों में नहीं देखी गई थी. बस, यही गलती जांच की दिशा बदलने वाली साबित हुई. पुलिस को लगा कि ये हाथ किसी बाहरी के नहीं, बल्कि अंदर के हैं.

तकनीकी निगरानी ने पकड़ी चाल

पुलिस ने तकनीकी सर्विलांस और मोबाइल लोकेशन की मदद से असली आरोपियों का पता लगाया. जांच में सामने आया कि चारों आरोपी हिंदू युवक हैं जिन्होंने यह काम मुस्लिम समुदाय को फंसाने के मकसद से किया था. उनका मकसद धार्मिक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत जमीन और संपत्ति का विवाद था.

करणी सेना का आरोप

इसी बीच, करणी सेना के नेता ज्ञानेंद्र सिंह चौहान ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया. उनका कहना था कि प्रशासन ने असली आरोपियों पर कार्रवाई करने की बजाय सूचना देने वाले ग्रामीण को ही हिरासत में ले लिया. चौहान ने यह भी कहा कि पुलिस ने दीवारों से नारे मिटाकर “मामले को दबाने” की कोशिश की थी.

सुलझी गुत्थी, मिली सच्चाई

कई दिनों की जांच और सबूतों की परतें खोलने के बाद सच्चाई सामने आई. गिरफ्तार चारों युवकों ने कबूल किया कि उन्होंने जानबूझकर ये साजिश रची थी ताकि गांव के मुस्लिम परिवारों को फंसाया जा सके. पुलिस ने अब उन्हें जेल भेज दिया है और पूरे क्षेत्र में शांति बहाल कर दी गई है.

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