यूपी में जातिगत महिमामंडन पर रोक! FIR, अरेस्ट मेमो और सरकारी दस्तावेज जाति लिखना बैन, योगी सरकार का आदेश

उत्तर प्रदेश सरकार ने जाति आधारित रैलियों, सोशल मीडिया पोस्ट और सरकारी दस्तावेजों में जाति लिखने पर सख्त पाबंदी लगाई है. अब FIR, गिरफ्तारी मेमो, चार्जशीट और NCRB रिकॉर्ड्स में जाति का उल्लेख नहीं होगा. इसके अलावा सार्वजनिक स्थानों, वाहनों और नोटिस बोर्डों पर भी जातिगत नारों या महिमामंडन पर रोक लागू होगी. एससी/एसटी एक्ट जैसी कानूनी आवश्यकताओं को छोड़कर जाति का किसी भी रूप में उल्लेख नहीं किया जाएगा. यह कदम जातिगत भेदभाव को खत्म करने और समानता सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम है.;

( Image Source:  sora ai )
Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On :

उत्तर प्रदेश सरकार ने जातिगत भेदभाव को खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. अब राज्य में न सिर्फ जाति आधारित रैलियों और सभाओं पर रोक होगी, बल्कि सरकारी दस्तावेज़ों, पुलिस एफआईआर और गिरफ्तारी मेमो में भी किसी की जाति का उल्लेख नहीं किया जाएगा. यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट के हालिया फैसले के अनुपालन में जारी किया गया है.

सरकार ने साफ कर दिया है कि अब यूपी में यादव, ब्राह्मण, बनिया या किसी भी जाति के नाम पर राजनीतिक रैलियों का आयोजन पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा. यह कदम न केवल चुनावी राजनीति में जातिगत ध्रुवीकरण पर रोक लगाएगा बल्कि समाज में समानता को भी बढ़ावा देगा. अब कोई भी संगठन या नेता जाति के नाम पर भीड़ जुटाकर राजनीति नहीं कर सकेगा.

पुलिस रिकॉर्ड और दस्तावेज़ों में बदलाव

मुख्य सचिव दीपक कुमार के आदेश के मुताबिक अब एफआईआर, गिरफ्तारी मेमो, चार्जशीट और कोर्ट में दाखिल होने वाले सभी पुलिस दस्तावेजों से जाति का कॉलम पूरी तरह हटाया जाएगा. आरोपी की पहचान के लिए पिता के नाम के साथ-साथ मां का नाम अनिवार्य किया जाएगा. यह बदलाव जातिगत प्रोफाइलिंग को रोकने और कानून व्यवस्था को निष्पक्ष बनाने की दिशा में बेहद अहम माना जा रहा है.

NCRB और CCTNS सिस्टम में अपडेट

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के क्राइम क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (CCTNS) में भी जाति वाले कॉलम को हटाने का आदेश दिया गया है. अब पुलिस विभाग इसके लिए NCRB को पत्र लिखकर तकनीकी बदलाव करवाएगा. इससे पूरे देश के अपराध रिकॉर्ड सिस्टम में एकरूपता आएगी और जाति आधारित डेटा एंट्री पर रोक लगेगी.

सार्वजनिक स्थलों से हटेंगे जातिगत संकेत

यूपी सरकार ने निर्देश दिया है कि थानों के नोटिस बोर्ड, गाड़ियों, साइनबोर्ड और सार्वजनिक जगहों पर लिखे जातीय नारे या प्रतीक अब हटाए जाएंगे. यदि कोई वाहन मालिक अपनी कार या बाइक पर जाति का महिमामंडन करता पाया गया, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. सरकार का कहना है कि इस कदम से समाज में समानता का संदेश जाएगा.

सोशल मीडिया पर भी निगरानी

अब केवल जमीनी स्तर पर ही नहीं बल्कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी जाति का इस्तेमाल रोकने के निर्देश दिए गए हैं. सोशल मीडिया पर जाति का महिमामंडन करने या नफरत फैलाने वाले कंटेंट पर आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई होगी. यह निगरानी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बढ़ते जातिगत उकसावे और नफरत को रोकने के लिए की जाएगी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट का कड़ा रुख

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि जातिगत महिमामंडन राष्ट्र-विरोधी है और अगर भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना है तो जाति व्यवस्था को समाप्त करना होगा. कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि सभी सार्वजनिक स्थलों, गाड़ियों और दस्तावेज़ों से जाति आधारित कॉलम और संकेत हटाए जाएं. इसी आदेश को आधार बनाकर योगी सरकार ने नया फरमान जारी किया.

एससी/एसटी एक्ट मामलों में रहेगी छूट

हालांकि सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि एससी/एसटी एक्ट जैसे मामलों में जाति का उल्लेख किया जाएगा क्योंकि यह कानूनी प्रक्रिया के लिए आवश्यक है. इसके अलावा बाकी किसी भी सरकारी दस्तावेज़, रैली या सार्वजनिक कार्यक्रम में जाति का इस्तेमाल पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा. यह कदम जातिगत भेदभाव को जड़ से खत्म करने की दिशा में ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है.

Similar News