घरों से नहीं निकल रहे लोग, ठप पड़ा व्यापार, अब तक 82 लोग गिरफ्तार, बरेली में 'I Love Muhammad' को लेकर अब तक क्या-क्या हुआ?
बरेली में “I Love Muhammad” विवाद ने शहर के पुराने हिस्सों में भय और अशांति का माहौल पैदा कर दिया है. हिंसा के बाद से कई इलाके सुनसान हैं, लोग घरों से बाहर निकलने में डर रहे हैं और बाजारों में व्यापार पूरी तरह ठप पड़ गया है. दुकानदार और नागरिक डर के साये में जी रहे हैं, जबकि पुलिस ने प्रभावित क्षेत्रों में कड़ा सुरक्षा कवच तैनात कर रखा है.;
बरेली शहर में 'I Love Muhammad' विवाद ने पिछले हफ्ते हिंसा और भय का ऐसा माहौल बना दिया कि इलाके में आम जनजीवन ठहर सा गया है. बाजार सुनसान हैं, कुछ घर बंद हैं और कई परिवार अपने अपनों की गिरफ्तारी के बाद डर और अनिश्चितता में जी रहे हैं. पांच दिन पहले हुई हिंसा के बाद प्रशासन ने इलाके में कड़ा सुरक्षा कवच तैनात किया है और लोग घरों से बाहर निकलने में हिचकिचा रहे हैं.
अब तक इस केस में 82 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं. वहीं, लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाने का काम शुरू कर दिया है. चलिए जानते हैं इस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ है.
पुलिस की कड़ी कार्रवाई और नए गिरफ्तारियां
पुलिस ने Ittehad-e-Millat Council (IMC) के प्रमुख मौलाना तौकीर खान के कई सहयोगियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें दो लोग पिछले मुठभेड़ में पैर में गोली लगने के बाद अब अस्पताल में भर्ती हैं. बुधवार को हुई कार्रवाई में गिरफ्तार होने वालों की संख्या अब 82 हो गई है. बरेली एसपी अनुराग आर्या ने कहा कि ये सभी लोग हिंसक प्रदर्शन में शामिल थे और उन्हें नदीम खान ने इकट्ठा किया था, जो पहले गिरफ्तार हो चुका है.
जब पुलिस पर हुई फायरिंग
पुलिस का कहना है कि इदरिश और इकबाल ने 26 सितंबर को एक कांस्टेबल की एंटी-रायट फायरआर्म छीनकर पुलिस पर फायरिंग की थी. पुलिस ने उनके कब्जे से हथियार, कारतूस, बाइक और मोबाइल फोन जब्त किए हैं. इदरिश और इकबाल को उत्तर प्रदेश पुलिस की एसओजी और सीबी गंज टीम ने घेरकर मुठभेड़ के दौरान पैर में गोली लगी.
बाजार और गलियों में सन्नाटा
पुलिस ने नौमेहला मस्जिद और दरगाह-ए-अला हज़रत के आसपास भारी सुरक्षा तैनात कर रखी है. बाजारों में दुकानदार बैठे-बैठे परेशान हैं. इस्लामिया मार्केट के किताबों और साइकिल की दुकानों के मालिक ने बताया कि ग्राहक नहीं आ रहे हैं और व्यापार लगभग ठप हो गया है. रज़ा-उर-रहमान 1995 से किताबों की दुकान चला रहे हैं. उन्होंने कहा कि 'लोग डर रहे हैं, पुलिस हर जगह है, कोई बाहर नहीं निकलना चाहता.' इसी तरह अग्रवाल ने बताया कि साइकिल की दुकान में कारोबार कम से कम 30% घट गया है. आसपास के घर भी बंद हैं और लोग हिंसा के डर से बाहर नहीं निकल रहे हैं.
परिवारों की बेचैनी और अपनों की गिरफ्तारी
आईएमसी के सदस्यों और उनके सहयोगियों के परिवार भय और अनिश्चितता में जी रहे हैं. मोईन और मुबीन अहमद सिद्दीकी के घर में उनकी बड़ी बहन ने बताया कि दोनों भाई गिरफ्तार हो चुके हैं और परिवार पुलिस थाने का चक्कर काट रहा है लेकिन अभी तक उन्हें उनके घरवालों से मिलवाया नहीं गया. अनिस एक आईएमसी काउंसिलर के परिवार ने भी कहा कि उनके बेटे और पति गिरफ्तारी के बाद लापता हैं और घर में केवल महिलाएं बची हैं.
घरों की सीलिंग और विध्वंस
स्थानीय प्रशासन ने तौकीर के सहयोगियों के घरों की सीलिंग और विध्वंस की कार्रवाई शुरू कर दी है. तौकीर के भाई तौसीफ रजा ने प्रशासन से अपील की है कि निर्दोष लोगों को रिहा किया जाए और घरों की तोड़फोड़ को रोका जाए. बरेली में यह घटनाक्रम न केवल प्रशासन की कड़ी कार्रवाई बल्कि जनता की भयभीत स्थिति को भी उजागर करता है. हिंसा के पांच दिन बाद भी इलाके में शांति नहीं लौट सकी है और लोगों का जीवन अस्थिरता और डर के साए में गुजर रहा है.