184 लोगों की मौत, बड़ी संख्या में हिंदुओं का पलायन... 46 साल पहले संभल में आखिर हुआ क्या था?

Sambhal Riots1978: यूपी का संभल जिला इस समय सुर्खियों में है. पहले हिंसा और फिर प्राचीन मंदिरों के मिलने को लेकर... बताया जाता है कि यह मंदिर 46 साल से बंद था. विधानसभा में भी सीएम योगी ने इस बात का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि सपा के लोगों ने मंदिर को खुलने नहीं दिया. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर 1978 में संभल में हुआ क्या था...;

Sambhal Riots 1978: संभल में अतिक्रमण हटाने के दौरान दो प्राचीन मंदिर मिले हैं. पहला मंदिर राधा कृष्ण मंदिर है, जो सरायतरीन इलाके में मिला है. वहीं, दूसरा मंदिर श्री कार्तिक महादेव (भस्म शंकर) मंदिर है, जो खग्गू सराय इलाके में मिला है. बताया जाता है कि ये मंदिर 1978 में हुए दंगों के बाद से बंद पड़े थे.

राधा कृष्ण मंदिर का निर्माण 1982 में सैनी समाज के लोगों ने कराया था. इस मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति भी है. वहीं, श्री कार्तिक महादेव मंदिर (भस्म शंकर मंदिर) के पास एक कुएं की खुदाई से तीन खंडित मूर्तियां बरामद हुई थीं. ये मूर्तियां माता पार्वती, भगवान गणेश और मां लक्ष्मी जी की हैं.

'सपा के लोगों ने मंदिर खोलने की अनुमति नहीं दी थी'

इसे लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 16 दिसंबर को विधानसभा में बोलते हुए समाजवादी पार्टी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सपा के लोगों ने 1978 से कभी भी बंद मंदिर को खोलने की अनुमति नहीं दी, जिसे अब खोला जा रहा है.

संभल में एक समय रहते थे 45 से ज्यादा हिंदू परिवार

इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक, एक समय पर संभल में 45 से ज्यादा हिंदू परिवार रहते थे, लेकिन 1978 में हुए दंगों के बाद उन्होंने डर के चलते पलायन करना शुरू कर दिया. कहा जाता है कि इस दंगे के बाद से संभल हिंदुओं के लिए सुरक्षित नहीं रहा. ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर 1978 में संभल में दंगा क्यों हुआ था और इसकी वजह से कितने लोगों ने पलायन किया. आइए इन सबके बारे में जानते हैं...

1978 में संभल में क्या हुआ था?

29 मार्च 1978... यह वह तारीख है जिस दिन संभल में हिंदू और मुस्लिमों के बीच भाईचारे को डोर टूट गई थी. पलायन कर चुके हिंदुओं का कहना है कि कभी संभल नगरपालिका में 45 फीसदी हिंदू रहते थे, लेकिन आज सिर्फ 10 फीसदी हिंदू ही बचे हैं. डीएम और एसपी की मानें तो आजादी के वक्त संभल नगरपालिका में 45 फीसदी हिंदू रहते थे, जो आज 15 से 20 प्रतिशत बचे हैं. स्थानीय मुसलमानों का कहना है कि हिंदुओं ने डर की वजह से नहीं, बल्कि अपनी मर्जी से यहां से गए हैं.

दंगों में 184 लोगों की हुई मौत

संभल में 1978 में हुए दंगे में 184 लोगों की मौत हो गई थी. कुल 169 केस दर्ज किए गए थे. इससे पहले भी संभल में कई दंगे हुए थे. आजादी के बाद से अब तक 16 दंगे हो चुके हैं, जिसमें 113 लोगों की मौत हुई है. मरने वालों में 209 हिंदू , जबकि 4 मुस्लिम हैं. बता दें कि दंगों की वजह से 1947 में 1, 1948 में 6, 1958 और 1976 में 7, 1978 में 184, 1980 में 1 की मौत हुई थी. इसके अलावा, 1982, 1986,1992,1995 और 2019 में भी यहां दंगे हुए थे, जिसमें कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी.

संभल में दंगा क्यों भड़का?

आज संभल में 70 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम रहते हैं, लेकिन एक दौर था जब यहां पर हिंदुओं की आबादी काफी ज्यादा दी. साल 1976 और 1978 में यहां हुए दंगों के बाद से हिंदुओं का पलायन शुरू हुआ. एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 1976 में जामा मस्जिद के इमाम मुहम्मद हुसैन की हत्या कर दी गई थी. 1979 में प्रकाशित किताब मॉब वायलेंस इन इंडिया और संसदीय रिकॉर्ड के मुताबिक, इमाम की हत्या एक हिंदू ने की थी. इस वजह से मुस्लिम आक्रोशित हो उठे और दंगे शुरू हो गए.


एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, महात्मा गांधी मेमोरियल डिग्री कॉलेज नगर पालिका कार्यालय के पास था. कॉलेज के संविधान के मुताबिक, कोई भी 10 हजार रुपये देकर इसका आजीवन सदस्य बन सकता था. ट्रक यूनियन की तरफ से 10 हजार रुपये का चेक इस कॉलेज के लए भेजा गया. इसकी रसीद मंजर शफी के नाम पर थी, जो कॉलेज प्रबंध समिति के आजीवन सदस्य बनना चाहते थे. हालांकि, ट्रक यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा कि उन्होंने अभी तक किसी को भी इसके लिए अधिकृत नहीं किया है. ऐसे में एसडीए ने मंजर शफी को मान्यता नहीं थी. एसडीए कॉलेज की प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष थे.



कहा जाता है कि इससे गुस्साए मंजर शफी के समर्थकों ने अलग-अलग जगहों पर जाकर अफवाह फैलाना शुरू कर दिया कि मंजर शफी को मार डाला गया और मस्जिद में भी तोड़फोड़ की गई. कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया. इन अफवाहों को सच मानकर लोग सड़कों पर उतर आए, जिसकी वजह से स्थिति बेकाबू हो गई. प्रशासन को तत्काल प्रभाव से इलाके में कर्फ्यू लगाना पड़ा.

सीएम योगी ने संभल दंगों का किया जिक्र

सीएम योगी ने संभल दंगों का जिक्र करते हुए विधानसभा में कहा कि दंगाइयों ने एक कारोबारी की निर्मम तरीके से हत्या कर दी. वे लोगों की मदद किया करते थे. दंगा के दौरान हिंदुओं ने उनके घर में शरण मांगी थी. इस वजह से दंगाइयों ने पहले उनका हाथ काटा और फिर पैर-गला काट डाला. इसके बाद लोग सद्भाव की बात करने का साहस कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि बजरंग बली का मंदिर अब दोबारा खोला गया है. इन लोगों के विरोध के कारण 1978 से मंदिर बंद था. सीएम ने सवाल किया कि 22 कुओं को किसने पाटा था? संभल में तनावपूर्ण माहौल किसने बनाया था? उन्होंने कहा कि दंगाइयों को बख्शा नहीं जाएगा.

Similar News