लापरवाही की हदें पार! कोटा में बेटे का इलाज कराने गए पिता की डॉक्टरों ने कर डाली सर्जरी, फिर जो हुआ...

Kota News: कोटा के एक सरकारी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां बेटे इलाज कराने गए पिता की ही सर्जरी कर दी गई. पीड़ित की एक बार भी बात नहीं सुनी और डॉक्टर सर्जरी करते रहे. यह घटना 12 अप्रैल की है, लेकिन स्टाफ अपनी गलती को छिपाने की कोशिश करते रहे अब 16 अप्रैल को मामले का खुलासा हुआ है. अस्पताल से पीड़ित पिता-बेटा पिछले तीन दिनों से अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन यहां कोई उनकी बात ही सुनने को तैयार नहीं है.;

( Image Source:  canava )
Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 17 April 2025 8:45 AM IST

Kota News: राजस्थान के कोटा से अस्पताल की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां पर बेटे का इलाज कराने गए पिता की ही सर्जरी कर दी गई. सरकारी मेडिकल कॉलेज सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक का यह मामला है. बुजुर्ग पिता को डॉक्टर ने ऑपरेशन थिएटर में बुलाया और एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाकर बाहर भेज दिया. साथ ही हाथ पर 6 टांके भी लगाए. हैरानी की बात यह है कि उन्हें कोई बीमारी नहीं थी वो तो बेचारे अपने बेटे का इलाज कराने आए थे.

जानकारी के अनुसार, पीड़ित व्यक्ति ने बार-बार डॉक्टर को सच बताने की कोशिश की कि वह मरीज नहीं हैं. लेकिन डॉक्टरों ने उसे बोलने ही नहीं दिया और बस ट्रीटमेंट करते चले गए. जब उनकी सर्जरी करके ऑपरेशन थिएटर से बाहर भेजा फिर होश आते ही पता चला कि होना क्या था और कर क्या दिया गया. इस लापरवाही का खुलासा होते ही परिजनों में गुस्सा देखने को मिल रहा है.

पीड़ित ने की शिकायत

अस्पताल से पीड़ित पिता-बेटा पिछले तीन दिनों से अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन यहां कोई उनकी बात ही सुनने को तैयार नहीं है. बड़ी कोशिशों के बाद मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य संगीता सक्सेना ने बुधवार को पीड़ितों की अपील सुनी और 3 सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है. आरोप है कि नर्स ने जबरदस्ती पीड़ित को एनेस्थीसिया दिया था. इसके बाद वह बेहोश हो गए और डॉक्टर ने उनके हाथ में चीरा लगाकर 6 टांके लगा दिए.

क्या है मामला?

12 अप्रैल को कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी डिपार्टमेंट में जगदीश नाम के मरीज, जिसकी डायलिसिस फिस्टुला सर्जरी होनी थी, उसका नाम पुकारा गया. मरीज जगदीश ओटी के बाहर था, फिर स्टाफ की आवाज सुनकर दूसरे मरीज के पिता, ने हाथ ऊपर उठाया. इसके बाद स्टाफ उन्हें ओटी में ले गए. बता दें कि वह पैरालाइज्ड की समस्या से जूझ रहे हैं और ठीक से बोल नहीं पाते.

बिना मरीज की जांच किए उसके कागज देखे, ओटी स्टाफ ने उन्हें ऑपरेशन थिएटर के बेड पर लिटा दिया. जब सच पता लगा तो पीड़ित के हाथ में टांके लगाकर बाहर भेज दिया गया. अस्पताल में मरीज के साथ इतनी बड़ी लापरवाही की घटना को छिपाने की डॉक्टर्स और स्टाफ ने बहुत कोशिश की. 12 अप्रैल की घटना 16 अप्रैल को प्रशासन को पता चली. वह इस मामले की जांच हो रही है.

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