फिर टूटा पंजाब का बांध, खेत बने समंदर और किसानों का हाल- बेहाल, सरकार ने पूरा नहीं किया मुआवजे का वादा

पूरे देश में बारिश कहर बनकर बरस रही है. भारी बारिश के कारण देश के ज्यादातर राज्यों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. पंजाब भी इससे अछूता नहीं है. जहां सुल्तानपुर लोधी बांध एक फिर टूट गया, जिसके कारण किसान परेशान हैं.;

( Image Source:  Meta AI: Representative Image )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 19 Oct 2025 6:49 PM IST

पंजाब में मूसलाधार बारिश का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है, खासकर ब्यास नदी के किनारे बसे गांवों में बाढ़ की स्थिति बन रही है. कपूरथला जिले के सुल्तानपुर लोधी क्षेत्र में स्थित आहली कलां गांव का एडवांस आरजी बांध दोबारा टूट गया है, जो स्थानीय लोगों के लिए बड़ा सदमा साबित हुआ है.

इस घटना ने किसानों के लिए फिर से खतरे के घंटी बजा दी है, क्योंकि इसी बांध के टूटने से दो साल पहले भारी नुकसान हुआ था. सवाल उठता है कि क्या प्रशासन ने किसानों की सुरक्षा और उनकी फसलों के संरक्षण के लिए समय रहते सही कदम उठाए हैं?

क्या हुआ है घटना स्थल पर?

गांव वालों के मुताबिक, भारी बारिश के कारण बांध पर पानी का दबाव इतना ज्यादा हो गया था कि वह टूट गया. जैसे ही बांध टूटा, तेज़ बहाव वाला पानी खेतों में घुस गया और फसलें पूरी तरह डूबने लगीं. किसान अपनी मेहनत बचाने के लिए मिट्टी और कच्ची बोरियों से बांध को रोकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पानी का तेज बहाव उनकी कोशिशों को नाकाम कर रहा है. इस बाढ़ ने उनकी आर्थिक हालत पर गहरा असर डाला है क्योंकि फसलें पूरी तरह बर्बाद हो रही हैं.

पहले भी टूट चुका है यह बांध

यह पहला मौका नहीं है जब यह बांध टूटा हो. दो साल पहले भी यही बांध टूट चुका था, जिससे हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो गई थी. उस वक्त सरकार ने मुआवज़े का वादा किया था, लेकिन कई किसान आज तक मुआवज़ा पाने से वंचित हैं.  सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन ने इस समस्या को गंभीरता से लिया? क्या समय रहते बांध की मरम्मत और मजबूती पर ध्यान दिया गया? या केवल वादे करके मामला टाला गया? इन सवालों के जवाब के बिना किसानों की चिंता और बढ़ती ही जाएगी.

प्रशासन पर उठ रहे सवाल

पंजाब के किसान पहले ही बदलते मौसम, आर्थिक दबाव और महंगाई जैसी कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. गांव के सरपंच और किसानों ने प्रशासन की ओर उंगली उठाई है. उनका कहना है कि जब दो साल पहले यही बांध टूटा था, तो उसकी मरम्मत के लिए पुख्ता कदम क्यों नहीं उठाए गए. अब अगर प्रशासन की लापरवाही से उनकी फसलें बर्बाद होती हैं, तो यह उनके लिए दोहरी मार होगी. 

किसानों की मांग क्या है?

ग्रामीणों और किसानों की मांगें सीधी और साफ हैं. उन्होंने कहा कि सरकार तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू करे. साथ ही, बांध की स्थायी मरम्मत की योजना बनाई जाए. जिन किसानों की फसलें डूबी हैं, उन्हें तुरंत और पूरा मुआवज़ा दिया जाए. भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न हो, इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था पक्की की जाए.

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