रीवा के दो सगे भाइयों ने उत्तराखंड के जंगल में जहर खाकर क्यों की आत्महत्या, संपत्ति का था मामला या कुछ और?

मध्य प्रदेश के रीवा जिले के दो सगे भाइयों ने उत्तराखंड के नैनीताल जिले में जंगल में जहर खाकर कथित तौर पर आत्महत्या का प्रयास किया, जिसमें बड़े भाई की मौत हो गई और छोटा भाई अस्पताल में जिंदगी-मौत की जंग लड़ रहा है। घटना के पीछे माता-पिता की हालिया मौत और पारिवारिक संपत्ति को लेकर बुआ व अन्य रिश्तेदारों की कथित प्रताड़ना सामने आ रही है.;

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Edited By :  रूपाली राय
Updated On : 2 Nov 2025 10:13 AM IST

मध्य प्रदेश के रीवा जिले के दो भाइयों की जिंदगी में बीते कुछ महीनों से लगातार दुखों का सिलसिला जारी था. पहले उन्होंने अपने माता-पिता को खोया और अब उन्हीं भाइयों में से एक ने भी जिंदगी से हार मान ली. दोनों ने कथित तौर पर जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की. यह दिल दहला देने वाली घटना उत्तराखंड के नैनीताल जिले के काठगोदाम क्षेत्र की है, जहां जंगल में दोनों भाई बेहोशी की हालत में पाए गए. घटना 30 अक्टूबर की है, काठगोदाम थाना क्षेत्र के बलूटी रोड किनारे स्थानीय मजदूरों ने जब जंगल में दो युवकों को बेसुध पड़ा देखा, तो उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों को तुरंत हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंचाया.

जांच में सामने आया कि दोनों ने सल्फास की गोलियां खाई थी. डॉक्टरों ने बड़े भाई शिवेश मिश्रा (22 वर्ष) को मृत घोषित कर दिया, जबकि छोटे भाई बृजेश मिश्रा (20 वर्ष) की हालत गंभीर बनी हुई है. दोनो भाई मूल रूप से मध्य प्रदेश के रीवा जिले के रहने वाले थे. परिजनों ने बताया कि करीब छह महीने पहले उनके माता-पिता की भी मौत हुई थी. दुखद बात यह थी कि माता-पिता ने भी पारिवारिक विवाद से परेशान होकर जहर खा लिया था. अब वही त्रासदी दोबारा इन बेटों के साथ दुहराई गई.

रिश्तेदार हड़पना चाहते थे संपत्ति

मामा अंबिका पांडे ने दावा किया कि भाइयों की बुआ और कुछ अन्य रिश्तेदार उनकी संपत्ति हड़पना चाहते थे. माता-पिता की मौत के बाद दोनों बच्चे अकेले रह गए थे, बेरोजगार थे और मानसिक तनाव में जी रहे थे. उनका कहना है कि बुआ और दूसरे रिश्तेदारों ने बच्चों पर मानसिक दबाव डाला, क्योंकि उनके पास जमीन-जायदाद थी. बुआ की नजर उसी संपत्ति पर थी, वे लगातार डर और तनाव में थे. यही कारण रहा कि उन्होंने व्यथा से तंग आकर आत्महत्या का कदम उठाया. 

पोस्टमार्टम में निकला जहर 

मामा ने बताया कि दोनों भाई 26 अक्टूबर को घर से यह कहकर निकले कि वे नौकरी की तलाश में पुणे जा रहे हैं. लेकिन इसके बाद वे 700 किलोमीटर दूर उत्तराखंड कैसे पहुंचे, इसका अभी तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है. माना जा रहा है कि उन्होंने पहले से तय योजना के तहत यह कदम उठाया. अस्पताल में चले इलाज के बीच पुलिस ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी हासिल की है, जिसमें जहर की मौजूदगी की पुष्टि हुई है. फिलहाल बृजेश की हालत नाजुक है और वह इलाज के अधीन है. पुलिस उसके बयान का इंतजार कर रही है ताकि घटना के असली कारण और साजिश का पता लगाया जा सके. रीवा लौटने पर मामा अंबिका पांडे ने कहा कि वह जल्द ही पुलिस में इस पूरे मामले की शिकायत दर्ज कराएंगे.

मानसिक रूप से किया गया परेशान 

उन्होंने आरोप लगाया कि बुआ ने अपनी बहनों के साथ मिलकर बच्चों को मानसिक रूप से इतना परेशान किया कि वे टूट गए.  उन्होंने कहा कि यह सिर्फ पारिवारिक कलह नहीं, बल्कि लालच और अनाथ बच्चों के साथ अत्याचार का मामला है. पुलिस को यह जांच करनी चाहिए कि संपत्ति के लालच में इन बच्चों को किस तरह निशाना बनाया गया. इस घटना के सामने आने के बाद से पूरा इलाका सन्न है. सोशल मीडिया पर भी यह मामला चर्चा का केंद्र बन गया है. लोग इसे पारिवारिक लालच और समाज की असंवेदनशीलता का उदाहरण बता रहे हैं. कई यूजर्स ने पोस्ट किया कि अगर परिवार और समाज ऐसे लोगों का साथ नहीं देगा, तो मानसिक रूप से कमजोर लोग ऐसे कदम उठाने को मजबूर होंगे. मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि समाज में बढ़ती मानसिक टूटन और आर्थिक दबाव की गंभीर तस्वीर है. 

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