क्या केंद्र सरकार आदिवासी नेता शिबू सोरेन को देगी 'भारत रत्न'? झारखंड विधानसभा से प्रस्ताव पास, विपक्ष का भी मिला समर्थन
झारखंड विधानसभा ने दिवंगत आदिवासी नेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) संस्थापक शिबू सोरेन के लिए भारत रत्न का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है. शिबू सोरेन ने पूरे जीवन आदिवासियों, किसानों और श्रमिकों के अधिकारों और सम्मान के लिए संघर्ष किया और झारखंड राज्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. प्रस्ताव में विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों का समर्थन था, और भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने झारखंड आंदोलन के अन्य नेताओं जयपाल सिंह मुंडा और बिनोद बिहारी महतो के नाम भी शामिल करने का सुझाव दिया.;
Shibu Soren Bharat Ratna Proposal: झारखंड विधानसभा ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया, जिसके तहत केंद्र सरकार से दिग्गज आदिवासी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को भारत रत्न देने की सिफारिश की जाएगी. यह प्रस्ताव परिवहन मंत्री दीपक बिरुआ ने पेश किया, जिसे वॉइस वोट से मंजूरी मिली.
बिरुआ ने कहा कि सोरेन ने आदिवासियों, किसानों, मजदूरों और वंचितों के अधिकार और सम्मान की रक्षा के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. उन्होंने अलग राज्य की मांग के लिए लंबा संघर्ष किया और झारखंड के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया.
बिरुआ ने कहा, “शिबू सोरेन का योगदान सामाजिक न्याय और लोकतांत्रिक मूल्यों की दिशा में ऐतिहासिक है. वे सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि दूरदर्शी व्यक्तित्व थे. उन्हें भारत रत्न प्रदान करना सच्ची श्रद्धांजलि होगी.”
विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने भी किया प्रस्ताव का समर्थन
विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक निर्णय के साथ मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा और बिनोद बिहारी महतो के नाम भी शामिल किए जाएं, जिन्होंने झारखंड आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई थी.
4 अगस्त को हुआ शिबू सोरेन का निधन
झामुमो (JMM) संस्थापक शिबू सोरेन का निधन 4 अगस्त को दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में हुआ था. 81 वर्षीय सोरेन को ‘दिशोम गुरु’ (धरती के नेता) के नाम से जाना जाता था. उनका जीवन आदिवासी अधिकारों और क्षेत्रीय अस्मिता की लड़ाई को समर्पित रहा.
1973 में की JMM की स्थापना
1944 में रामगढ़ जिले के नेमरा गांव (तत्कालीन बिहार, वर्तमान झारखंड) में जन्मे शिबू सोरेन ने 1973 में ए.के. राय और बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना की. वे कई बार दुमका से लोकसभा के लिए चुने गए और 2020 में राज्यसभा पहुंचे. सोरेन ने यूपीए सरकार में केंद्रीय कोयला मंत्री के रूप में भी कार्य किया और झारखंड की राजनीति को राष्ट्रीय पटल पर स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई. उनका निधन आदिवासी आंदोलन और झारखंडी राजनीति के एक युग का अंत माना जा रहा है.