दिल्ली चुनाव में क्या है बीजेपी का प्लान, महाराष्‍ट्र और हरियाणा की रणनीति से मिलेगा फायदा?

दिल्ली में भी झारखंड जैसी गलतियां हुईं, तो बीजेपी को और भी बड़ी हार झेलनी पड़ सकती है. पिछले दो विधानसभा चुनावों के नतीजे इस बात को साफ दिखाते हैं. 2015 में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीती थीं और 2020 में भी AAP ने 62 सीटों पर कब्जा किया था. ऐसे में इस बार के चुनाव में बीजेपी के सामने AAP एक बड़ी चुनौती बनकर खड़ी है.;

Curated By :  नवनीत कुमार
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महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों के बाद अब दिल्ली में चुनाव होने वाले हैं, जिनमें करीब दो महीने का वक्त बचा है. हाल ही में हुए चुनावों में महाराष्ट्र में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की, लेकिन झारखंड में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. झारखंड में हार के कारणों पर चर्चा हो रही है जिनमें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित न करना, गलत मुद्दे उठाना और जयराम कुमार महतो से गठबंधन न करना शामिल है. अब बीजेपी दिल्ली में इन गलतियों को दोहराने से बचना चाहेगी.

अगर दिल्ली में भी झारखंड जैसी गलतियां हुईं, तो बीजेपी को और भी बड़ी हार झेलनी पड़ सकती है. पिछले दो विधानसभा चुनावों के नतीजे इस बात को साफ दिखाते हैं. 2015 में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीती थीं और 2020 में भी AAP ने 62 सीटों पर कब्जा किया था. ऐसे में इस बार के चुनाव में बीजेपी के सामने AAP एक बड़ी चुनौती बनकर खड़ी है.

लागू हो सकता है हरियाणा-महाराष्ट्र फॉर्मूला

हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों में बीजेपी की जीत के बाद अब दिल्ली में भी पार्टी नेताओं का उत्साह बढ़ा है. दिल्ली विधानसभा चुनाव करीब हैं और पार्टी अपनी रणनीतियां तैयार कर रही है. एक विचार ये है कि दिल्ली में महाराष्ट्र जैसा फॉर्मूला लागू किया जाए, जिसमें लाडली बहना योजना जैसी स्कीम शामिल हो. दूसरी ओर, बीजेपी बिना मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए भी चुनाव में उतर सकती है. पार्टी के सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में चुनाव प्रचार की रणनीति को आगे भी जारी रखा जाएगा.

बीजेपी के पास है क्षेत्रीय मुद्दा

दिल्ली में रोहिंग्या मुसलमान और भ्रष्टाचार का मुद्दा है. अब इन मुद्दों को उठाकर वह केजरीवाल को घेर सकती है. इसके अलावा बीजेपी केजरीवाल के शीश महल का मुद्दा भी उठा सकती है जिससे फायदा मिलने की उम्मीद है. इसके अलावा महिला सुरक्षा, पानी की किल्लत, गंदगी और भी क्षेत्रीय मुद्दा है जिसको आधार बनाकर बीजेपी मैदान में उतर सकती है.

नहीं होगा कोई सीएम फेस

बीजेपी की इस रणनीति के पीछे यह वजह है कि पिछले एक साल में महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा, तेलंगाना, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी पार्टी ने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया था. इनमें से पांच राज्यों में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की जिसमें महाराष्ट्र भी शामिल है. पार्टी का कहना है कि मुख्यमंत्री का चेहरा न घोषित करने से आंतरिक मतभेद नहीं होते और चुनाव का फोकस नीतिगत मुद्दों पर रहता है, न कि किसी एक व्यक्ति पर. बीजेपी नेताओं का मानना है कि आम आदमी पार्टी के पास कोई मजबूत चेहरा नहीं है और वह इस बार चुनाव को सड़क की हालत, सीएम आवास के खर्च जैसे मुद्दों पर केंद्रित करना चाहते हैं.

अगर इस बार बीजेपी बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के चुनाव में उतरती है, तो AAP द्वारा यह सवाल उठाया जाएगा कि अरविंद केजरीवाल के सामने बीजेपी का कौन चेहरा है. हालांकि बीजेपी का मानना है कि इस बार स्थिति अलग होगी और उनकी रणनीति काम करेगी.

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