कब्जा दे दिया, हक नहीं! नोएडा में 2 लाख घरों में रह रहे लोग, पर रजिस्ट्री सिर्फ 18 हजार की; 95 बिल्डरों को नोटिस
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में फ्लैट खरीदारों की परेशानी बढ़ती जा रही है. 2 लाख से अधिक लोगों को फ्लैट का कब्जा मिल चुका है, लेकिन अब तक केवल 18 हजार की रजिस्ट्री हुई है. डीएम मनीष वर्मा ने 95 बिल्डरों को नोटिस भेजा है. प्रशासन ने सख्त रवैया अपनाते हुए खरीदारों को भी बैठक में बुलाया है.;
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में हजारों परिवार ऐसे फ्लैट में रह रहे हैं जिनकी रजिस्ट्री आज तक नहीं हुई है. आंकड़े बताते हैं कि करीब 2 लाख फ्लैट मालिकों को कब्जा तो मिल गया है, लेकिन सिर्फ 18 हजार ने ही कानूनी तौर पर अपने घर की रजिस्ट्री करवाई है. इसका मतलब है कि लाखों लोग आज भी अपने सपनों के घर पर मालिकाना हक के कागज का इंतजार कर रहे हैं, कुछ तो बीते एक दशक से.
यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब पता चलता है कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से गठित अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों के बावजूद, बिल्डर रजिस्ट्री प्रक्रिया को टालते आ रहे हैं. खरीदारों को घर का कब्जा देकर भी उन्हें कानूनी अधिकार देने से इनकार किया जा रहा है. इससे न केवल संपत्ति पर वैध अधिकार अधर में लटक जाता है, बल्कि मकान को बेचने, गिरवी रखने या स्थानांतरण करने जैसी प्रक्रियाएं भी ठप पड़ जाती है.
प्रशासन की चेतावनी के संकेत
अब जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने इस लंबे समय से लटके मसले पर गंभीर रुख अपनाया है. उन्होंने 95 बिल्डरों को नोटिस भेजकर उनसे जवाब तलब किया है. साथ ही एक अहम बैठक भी बुलाई गई है, जिसमें फ्लैट की रजिस्ट्री न होने से परेशान खरीदारों को भी आमंत्रित किया गया है. यह बैठक खरीदारों को अपनी शिकायतें सीधे प्रशासन के सामने रखने का मौका देगी.
कार्रवाई की ओर बढ़ते कदम
सहायक पुलिस महानिदेशक बृजेश कुमार ने भी संकेत दिए हैं कि अब सिर्फ चेतावनी नहीं, बल्कि कार्रवाई का वक्त आ गया है. बिल्डरों को खरीदारों के सवालों के जवाब देने होंगे और अगर वे बैठक में हाजिर नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे. यह पहली बार है जब प्रशासन ने बिल्डरों की जवाबदेही को सार्वजनिक रूप से चुनौती दी है.
खरीदारों को राहत की उम्मीद
यह पहल उन हजारों लोगों के लिए आशा की किरण है जो अपने कानूनी अधिकार के लिए सालों से संघर्ष कर रहे हैं. यदि प्रशासन का यह हस्तक्षेप वास्तविक कार्रवाई में तब्दील होता है, तो इससे न केवल फ्लैट मालिकों को राहत मिलेगी बल्कि भविष्य में बिल्डरों की मनमानी पर भी लगाम लगेगी. नोएडा का यह मॉडल अन्य शहरी इलाकों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है, जहां रजिस्ट्री जैसे मुद्दों पर खरीदार वर्षों से पीड़ित हैं.