केजरीवाल की तरह ही करोड़पति हैं मनीष सिसोदिया, पर अब भी चलाते हैं ALTO

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जंगपुरा सीट से अपना नामांकन दाखिल कर दिया है. अब तक पटपड़गंज सीट से विधायक चुने जाते रहे सिसोदिया ने इस बार नामांकन के साथ जो हलफनामा दायर किया है, उसमें उनकी संपत्ति का विवरण सामने आया है.;

Edited By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 17 Jan 2025 12:00 PM IST

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जंगपुरा सीट से अपना नामांकन दाखिल कर दिया है. अब तक पटपड़गंज सीट से विधायक चुने जाते रहे सिसोदिया ने इस बार नामांकन के साथ जो हलफनामा दायर किया है, उसमें उनकी संपत्ति का विवरण सामने आया है. करीब 10 साल तक दिल्ली के उपमुख्यमंत्री रहे सिसोदिया ने अपनी कुल चल-अचल संपत्ति 1.4 करोड़ लाख रुपये घोषित की है. 

हलफनामे के अनुसार, मनीष सिसोदिया ने अपने परिवार की कुल संपत्ति 1.4 करोड़ रुपये घोषित की है. चल संपत्ति में उनके नाम पर 34.43 लाख रुपये और उनकी पत्नी सीमा सिसोदिया के नाम पर 12.87 लाख रुपये की संपत्ति है. इसके अलावा, हलफनामे में यह भी बताया गया है कि मनीष सिसोदिया पर बच्चों की पढ़ाई के लिए लिया गया 1.5 करोड़ रुपये का एजुकेशन लोन है. अचल संपत्ति के तहत, सिसोदिया के नाम पर दो फ्लैट हैं. एक गाजियाबाद में, जिसकी कीमत 23 लाख रुपये है, और दूसरा मयूर विहार में, जिसकी कीमत 70 लाख रुपये है. 

सिसोदिया से ज्यादा अमीर केजरीवाल

मनीष सिसोदिया के पास संपत्ति के मामले में आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तुलना में काफी कम संपत्ति है. नई दिल्ली सीट से नामांकन दाखिल करते हुए अरविंद केजरीवाल ने अपनी कुल संपत्ति 1.73 करोड़ रुपये घोषित की है. यदि उनकी पत्नी की संपत्ति को भी शामिल किया जाए, तो यह कुल 4.23 करोड़ रुपये हो जाती है. केजरीवाल के इस हलफनामे से पता चलता है कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मनीष सिसोदिया के मुकाबले कहीं अधिक मजबूत है.

मनीष सिसोदिया पटपड़गंज सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्हें यहां से भाजपा के रविंद्र सिंह नेगी से कड़ी टक्कर मिली थी. यह एक बेहद करीबी मुकाबला था, जिसमें सिसोदिया महज 3,207 वोटों के अंतर से जीत हासिल कर पाए थे. चुनाव के शुरुआती चरण में सिसोदिया बढ़त बनाए हुए थे, लेकिन बाद में भाजपा उम्मीदवार ने जोरदार मुकाबला करते हुए उन्हें कड़ी चुनौती दी. इस तगड़े चुनावी संघर्ष ने पटपड़गंज सीट को उस समय चर्चा का केंद्र बना दिया था.

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