दिल्ली-यूपी सीमा पर क्या है वोटर्स का मिजाज, केजरीवाल की योजनाओं का चल पाएगा सिक्का?
Delhi Assembly Election 2025: उत्तर प्रदेश की जनता ने दिल्ली के स्कूलों और अस्पतालों की खुब तारीफ की, लेकिन पूर्वी दिल्ली की सीटें अब भी तंग गलियों, बदतर सड़कों और सीवेज की मैर झेल रही है. ऐसे में वहां के वोटर्स में नाराजगी देखने को मिली है. ये सीट दिल्ली-यूपी सीमा पर है.;
Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी और बीजेपी सीधे तौर पर मैदान में आमने-सामने दिख रही है. वहीं दिल्ली-यूपी सीमा वोटर्स के मिजाज की बात करें तो यहां की स्थिति कई मामलों में अरविंद केजरीवाल के हाथों से फिसलती दिख रही है. दिल्ली में मयूर विहार फेज III और उत्तर प्रदेश में खोड़ा कॉलोनी इन दोनों राज्यों के बॉर्डर पर है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान तेज़ होने के साथ ही मयूर विहार फेज III में हलचल देखने को मिल रही है, तो खोड़ा कॉलोनी में सन्नाटा है. खेड़ा कॉलोनी में पानी, सीवरेज, अस्पताल, स्कूल और पार्क जैसी सुविधाओं का डेवलपमेंट नजर नहीं आता. ये 150 साल पुराना गांव है, जो अब धिरे-धिरे कॉलोनी बन गया.
मयूर विहार फेज-3 के लोग बिजली बिल से परेशान
हालांकि, मयूर विहार फेज-3 और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे दिल्ली के अन्य इलाकों के निवासियों के लिए सुविधाओं की कमी नहीं है. यहां अच्छे स्कूल, अस्पताल, सड़कें और नालियां सब कुछ है. हालांकि, इन क्षेत्रों के लोगों का बिजली बिल को लेकर कई शिकायतें हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मयूर विहार फेज-3 के लोग बताते हैं कि यहां सबसे बड़ी समस्या कूड़े के ढेर से हो रही है. अगर 5 मिनट भी बारिश हो जाए तो पूरा इलाके में पानी भर जाता है.
सुरक्षा बन रहा बड़ा मुद्दा
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मयूर विहार और आस-पास के इलाकों के निवासियों का कहना है कि यहां झपटमारी की घटनाएं बहुत बढ़ गई हैं. लगभग हर दिन हम सुनते हैं कि किसी का फोन या चेन झपट ली गई है. ऐसे में सीमा पर दिल्ली में सुरक्षा भी एक बड़ा मुद्दा बनती दिख रही है. हालांकि, आप सरकार ये कहकर पल्ला झाड़ती है कि सुरक्षा सरकार के दायरे में नहीं आता है.
त्रिलोकपुरी का हाल
वहीं त्रिलोकपुरी निर्वाचन क्षेत्र का चिल्ला गांव दिल्ली के इन इलाकों जैसी समस्याओं से जूझ रहा है, जहां पानी की कमी और सीवर लाइनों का अभाव है. यहां के लोगों का कहना है कि वह चुनावों से थक चुके हैं. कुछ भी नहीं बदलता. ये स्कूल, अस्पताल और मुफ़्त बिजली सब हमें बेवकूफ़ बनाने के लिए हैं. गलियों का हाल बुरा है. ऐसे में इस बार वोटर्स चुनाव को लेकर अपना मन बदलने की तैयारी में हैं.