EXCLUSIVE: सरकारी एजेंसियां 'अकाल-मौतों' का इंतजाम कर सो गईं, नेता-मंत्री मकानों को 'कब्रिस्तान' बनता हुआ ही देखते रह गए!
दिल्ली में भ्रष्टाचार और लापरवाही ने मिलकर मौत की इमारतें खड़ी कर दीं. विधानसभा उपाध्यक्ष ने चेताया था, लेकिन किसी ने नहीं सुनी. सीलमपुर में ढही छह मंजिला इमारत और लील गईं 6 ज़िंदगियां. बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट की आंखों देखी भविष्यवाणी सच हुई. सरकारी एजेंसियों की चुप्पी पर अब जनता का आक्रोश. क्या यही है विकास की दिल्ली?;
“आदरणीय अध्यक्ष जी (दिल्ली में 2025 में बनी बीजेपी सरकार के विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गोयल) ...मैं (मौजूदा समय में दिल्ली विधानसभा उपाध्यक्ष और मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र के बीजेपी विधायक) आपके माध्यम से, दिल्ली विधानसभा सदन-पटल को संबोधित करते हुए बताना चाहता हूं कि, पूरी दिल्ली अकाल-मौत के मुहाने पर खड़ी है. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) दिल्ली नगर निगम यानी एमसीडी (Municipal Corporation of Delhi MCD) व दिल्ली विकास प्राधिकरण (Delhi Development Authority DDA) यानी डीडीए के स्टाफ ने मिल-जुलकर कथित रूप से मोटी रिश्वत वसूली करके, विकास के नजरिए से पिछड़ी हुई दिल्ली की गरीब और हजारों मलिन-बस्तियों में 30-35-40-50-100 गज के प्लाटों पर, अवैध निर्माण करवा कर अकाल मौत के अनिगिनत घर बनवा डाले हैं.
अध्यक्ष जी मैं सदन को आगाह कर देना चाहता हूं कि इन घटिया मटीरियल से बने, “दड़बा” और “पिंजरानुमा” अवैध मकानों में रहने वाले लाखों बेकसूर-अनजान लोगों को पता ही नहीं है कि, कैसे उन्होंने अपनी ही खून-पसीने की गाढ़ी कमाई रिश्वत के रूप में कथित रूप से दिल्ली की सरकारी एजेंसियों (दिल्ली पुलिस, दिल्ली नगर निगम और दिल्ली विकास प्राधिकरण) के ऊपर “लुटाकर” इन मकानों में रहते हुए अपनी “अकाल-मौत” की जाने-अनजाने ‘वसीयत’ खुद ही लिखवा ली है. दिल्ली में अगर मामूली सा भी भूकंप आ गया तो इन घटिया हाल कमजोर और अवैध रूप से बने बहुमंजिला मकानों के मलबे में दबकर कितने लोग बे-मौत ही मारे जाएंगे? इसका अंदाजा आज किसी को नहीं है.
ताकि मेरी आत्मा पर लाशों का बोझ न पड़े...!
अगर आप पूरी दिल्ली में बने ऐसे घटिया और खस्ताहाल बहुमंजिला मकानों को ढहवा कर नए मकान बनवाने का इंतजाम नहीं करवा सकते हैं तो कृपा करके, मेरे विधानसभा क्षेत्र (मुस्तफाबाद, उत्तर पूर्वी दिल्ली जिला) में मौजूद ऐसे खस्ताहाल-अवैध निर्माणित मकानों पर बुलडोजर जितनी जल्दी हो सके चलवा ही दीजिए. ताकि अपने इलाके में बने ऐसे जानलेवा मकानों में अकाल मौत मरने वालों की लाशों का बोझ, कम से कम मेरी आत्मा पर को तो नहीं उठाना पड़ेगा. पूरी दिल्ली का जब आपसे इंतजाम हो सके तब करवा लेना. फिलहाल तो जल्दी से जल्दी आप इस ओर कोई सकारात्मक कदम उठाकर, मुझे और मेरे विधानसभा क्षेत्र को बदनाम होने से बचाने के लिए तत्काल कदम उठवा लीजिए.”
आंखों देखी और कानों सुनी...
“स्टेट मिरर हिंदी” के पाठकों और दिल्ली की जनता को बताना जरूरी है कि यह जबरदस्त मगर चीख-चीख कर अंदर की सच्चाई बयान करता वक्तव्य, किसी मुंबईया फिल्म की स्क्रिप्ट में लिखे मन-भावन डायलॉग्स के बीच से नहीं लिया गया है. यह बेबाक वक्तव्य था दिल्ली विधानसभा के मौजूदा उपाध्यक्ष और उत्तर पूर्वी दिल्ली के मुस्ताफाबाद विधानसभा क्षेत्र के खौफजदा बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट (Deputy Speaker, Delhi Legislative Assembly, MLA Mustafabad) का. दिल्ली विधानसभा उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट यह सब जहां बेबाकी से बयान कर रहे थे वह जगह भी दिल्ली का कोई गली-गलियारा या आम-जनता को लुभाने के लिए सजे मंच के सामने मौजूद भाषण सुनने आई भोली-भाली जनता की जनसभा नहीं थी.
हम भी वहां मौजूद थे किसी ने कहा...
जर्जर गिरताऊ मकानों के हालातों से खौफजदा उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट (Mustfabad BJP MLA Mohan Singh Bisht) यह सब, दिल्ली विधानसभा में दिल्ली कैबिनेट और विपक्ष की मौजूदगी में बोल रहे थे. जहां उस दिन खुले सदन में खुद दिल्ली की नव-निर्वाचित मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (Delhi Chief Minister Rekha Gupta) भी मौजूद थीं. उस दिन “स्टेट मिरर हिंदी” के एडिटर क्राइम इनवेस्टीगेशन भी विधानसभा की उस दिन की कार्यवाही की रिपोर्टिंग के वास्ते प्रेस-दीर्घा में मौजूद थे. इसलिए विधानसभा उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट का सच को बयान करता मगर दिल दहलाने वाला वह वक्तव्य, मैंने खुद अपने कानों से सुना था. तारीख जहां तक मुझे याद आ रहा है वह 1 अप्रैल 2025 रही थी.
'जिंदगी' मांगी थी मगर मिली 'अकाल-मौत'
तब दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के मजबूत विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने न केवल, दिल्ली की इन हजारों जानलेवा अकाल मौत की पूरी-पूरी संभावनाएं प्रबल करती अवैध-जर्जर इमारतों को बनवाने वालों के खिलाफ जांच और सख्त कार्यवाही की मांग की थी. अपितु उन्होंने ऐसी बेहद खतरनाक इमारतों को तुरंत ढहाने की भी गुजारिश की थी. मगर उधर दिल्ली विधानसभा में नेता-मंत्री-विधायक इन जर्जर-खस्ताहाल मकानों को ढहाकर, इनमें रहने वाले बेकसूरों की वक्त रहते जिंदगियां महफूज कर लेने के इंतजाम करने-कराने का रोना रोते रहे. दूसरी ओर जब तक इन इमारतों को बनवाने वाली एजेंसियों को घेरकर, खस्ताहाल चार-पांच मंजिला मकानों को खाली करवा कर उन्हें ढहाए जाने की नौबत आ पाती.
मुंह की निकली सच साबित हो जाती है!
उससे पहले ही 1 अप्रैल 2025 को दिल्ली विधानसभा उपाध्यक्ष की आगाह-चेतावनी को सच सिद्ध करने के वास्ते, दिल्ली में बने ऐसे जर्जर मकानों ने अपने आप ही ढहकर, खुद को जिंदा-बेकसूरों की “कब्र” में बदलना भी शुरू कर दिया. जैसे कि 12 जुलाई 2025 की मनहूस तारीख में उत्तर पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर इलाके में स्थित जनता कालोनी में एक 4-5 मंजिला जर्जर मकान मामूली सी बारिश में ही न केवल ढह गया. अपितु एक बच्ची सहित 6 बेकसूरों की “अकाल-मौत” की वजह और “कब्र” भी बन गया.
जिससे डरते थे वही बात हो गई...
कहा जा सकता है कि गुरुवार-शुक्रवार को राजधानी में झमाझम बारिश होते ही अगर एक तरफ दिल्ली की जानलेवा गर्मी से तपते-झुलसते लोगों में खुशी की लहर दौड़ती दिखाई दी. तो वहीं दूसरी ओर दिल्ली की बस्तियों में ‘सांठगांठ’ से बनाए गए घटिया बहुमंजिला मकानों के ढहने से होने वाली “अकाल-मौतों” ने, इन खुशियों को मातम का “कफन” उढ़ाकर सब कुछ पलक झपकते तहस-नहस कर डाला. अगर यह कहूं कि दो दिन की यह बारिश दिल्ली में कहीं “खुशी कहीं ग़म” एक साथ लेकर आई तो गलत नहीं होगा.
ज्यों-ज्यों इलाज किया बीमारी त्यों-त्यों बढ़ती गई
ऐसा नहीं है कि बीते दो-तीन दिन की बारिश में ही उत्तर पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर की जनता कालोनी (Seelampur Delhi Janta Colony House Building Collapsed) में, छह मंजिला मकान 12 जुलाई 2025 यानी शनिवार को दशहरा में कागज से बने रावण के पुतले सा भरभरा कर मलबे में तब्दील हो गया होगा. इन मकानों में रहने वाले बेकसूरों की “अकाल मौत” के इंतजाम तो धनलोलुप कहिए या फिर धन-पिपासु “दिल्ली पुलिस”, “दिल्ली नगर निगम यानी एमसीडी” और दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी डीडीए, कई साल पहले ही कर चुके थे. बस इन जर्जर बहुमंजिला मकानों के ढहने से डरावना-रुह कंपाता जलजला अब अपनी आंखों से जमाने को देखने को भी मिलने लगा है.