बिहार की राजनीति में युवाओं की धमाकेदार एंट्री, हर सीट पर 5,700 से ज्यादा नए मतदाता करेंगे फैसला, कितना बदल सकता है नतीजा?
बिहार की राजनीति में इस बार युवा मतदाताओं की ताकत साफ नजर आने वाली है. हर विधानसभा सीट पर लगभग 5,700 से अधिक पहली बार वोट करने वाले मतदाता चुनावी मैदान में कदम रखने जा रहे हैं. ये युवा न केवल संख्या में बड़ी तादाद रखते हैं, बल्कि अपने फैसले और राजनीतिक रुझानों से चुनाव के नतीजों को भी पूरी तरह प्रभावित कर सकते हैं.;
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां शुरू हो गई हैं और इस बार चुनावी परिदृश्य में पहले बार वोट देने वाले मतदाता अहम भूमिका निभा सकते हैं. चुनाव आयोग (EC) ने सोमवार को मतदान शेड्यूल की घोषणा करते हुए बताया कि राज्य में इस बार 14.01 लाख नए मतदाता हैं, जिनकी उम्र 18 से 19 वर्ष के बीच है. यह संख्या 2020 में 11.17 लाख थी, लेकिन 2015 में यह रिकॉर्ड 24.13 लाख थी.
नए मतदाताओं की संख्या में उतार-चढ़ाव के बावजूद, जब चुनाव मुकाबले के बने रहते हैं और जीत के अंतर कम होते हैं, ये युवा मतदाता किसी भी सीट के नतीजे बदलने में निर्णायक साबित हो सकते हैं.
हर सीट पर 5 हजार से ज्यादा नए वोटर्स
बिहार के कुल 243 विधानसभा क्षेत्रों में इस साल औसतन 5,765 नए मतदाता हैं. 2020 में यह औसत 4,597 था, जबकि 2015 में औसतन 9,930 नए मतदाता थे. 2020 विधानसभा चुनाव में 56 सीटें ऐसी थीं, जहां इस साल के औसत नए मतदाता संख्या (5,765) उस समय के जीत के अंतर से ज्यादा थी. उस समय राज्य में औसत जीत का अंतर 16,825 वोट था.
2015 में नए मतदाताओं का प्रभाव
समान तुलना 2015 के लिए करें तो उस साल 41 सीटें ऐसी थीं, जहां नए मतदाताओं की संख्या जीत के अंतर से अधिक थी. वास्तव में 2015 के चुनावों में 73 सीटें ऐसी थीं, जहां नए मतदाताओं की औसत संख्या जीत के अंतर से ज्यादा थी. उदाहरण के लिए, टारारी में CPI(ML)(L) उम्मीदवार ने LJP के उम्मीदवार को केवल 272 वोटों से हराया था, जबकि उस साल औसत नए मतदाता 9,930 थे.
पार्टी जीत और नए मतदाता
2015 में उन 73 सीटों में बीजेपी ने 30, JD(U) ने 16, RJD ने 13, कांग्रेस ने नौ और अन्य पार्टियों ने पांच सीटें जीतीं. वहीं 2020 में 49 ऐसी सीटें थीं, जहां नए मतदाता जीत के अंतर से अधिक थे. इस बार JD(U) और RJD ने 13-13 सीटें जीतीं, कांग्रेस ने नौ, बीजेपी ने आठ और अन्य पार्टियों ने छह सीटें अपने नाम कीं.
जीत का अंतर और मतदाता प्रतिशत
2015 में औसत जीत का अंतर 18,108 वोट था, जो उस साल प्रत्येक सीट के नए मतदाताओं की औसत संख्या का लगभग दो गुना था. 2020 में यह अंतर घटकर 16,825 वोट रह गया, जो उस समय के औसत नए मतदाताओं से लगभग चार गुना अधिक था. पहले बार वोट देने वालों की संख्या कुल मतदाताओं के अनुपात में 2015 में 3.61%, 2020 में 1.53%, और 2025 में 1.88% है. इस वृद्धि ने यह संकेत दिया है कि नए मतदाता अब राजनीति में और अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं.
नए मतदाता बदलेंगे नतीजा
बिहार में इस बार चुनाव मुकाबला काफी करीबी होने वाला है, और ऐसे में पहले बार वोट देने वाले 14.01 लाख मतदाता किसी भी पार्टी की जीत की कुंजी बन सकते हैं. इतिहास से यह साफ है कि नए मतदाता कई सीटों के नतीजे बदल सकते हैं, और उनका मतदान पैटर्न इस बार की चुनावी रणनीतियों और जीत के अंतर को प्रभावित करेगा. इसलिए राजनीतिक दलों के लिए यह महत्वपूर्ण चुनौती है कि वे युवा मतदाताओं को आकर्षित करने और उनके मुद्दों को प्राथमिकता देने में सफल हों, क्योंकि उनके वोट से बिहार की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं.