अब अपराधियों की खैर नहीं! गृह मंत्रालय मिलने के बाद एक्टिव हुए सम्राट चौधरी, क्राइम को लेकर क्या दिए आदेश?

बिहार में नई एनडीए सरकार और गृह मंत्री सम्राट चौधरी के कार्यभार संभालते ही पुलिसिंग व्यवस्था में बड़ा बदलाव लागू हो गया है. DGP विनय कुमार ने संगठित अपराध की परिभाषा को बेहद व्यापक बना दिया है. अब चोरी, स्नैचिंग, धोखाधड़ी, अवैध सट्टा, टिकट ब्लैकिंग और छोटी ठगी भी संगठित अपराध की श्रेणी में दर्ज होगी. छोटे अपराधों में शामिल नेटवर्क की पहचान कर शुरुआत से ही कड़ी कार्रवाई की जाएगी. सरकार ने साफ कहा, "बिहार अपराधियों की शरणस्थली नहीं बनेगा.";

Edited By :  नवनीत कुमार
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बिहार में नई एनडीए सरकार के गठन के साथ ही कानून-व्यवस्था की तस्वीर तेजी से बदलने लगी है. सम्राट चौधरी के गृह मंत्री बनते ही पुलिस तंत्र में बड़ा बदलाव लागू किया गया है. अब अपराध की परिभाषा सिर्फ उसके आकार और वित्तीय नुकसान के आधार पर नहीं होगी, बल्कि इस बात पर निर्भर करेगी कि क्या यह किसी नेटवर्क का हिस्सा है. राज्य सरकार का साफ संदेश है कि बिहार में अपराध की जड़ को वहीं काट दिया जाएगा, जहां से वह उगने की कोशिश कर रही है. अपराध की शुरुआत चाहे छोटी चोरी से हो या साइबर ठगी से. अब हर शुरुआत पर पुलिस की नजर पहले से ज्यादा कड़ी होगी.

इस नए मॉडल में 'छोटा अपराध' नाम की कोई श्रेणी अब बची ही नहीं. बिहार पुलिस इसे इस तरह देख रही है कि अपराध की हर छोटी हरकत बड़े गिरोहों को जन्म देती है, और इसीलिए अपराध के हर छोटेस्तर को उसी समय ख़त्म कर दिया जाएगा. सुशासन का नया चरण यह साफ कर चुका है कि अपराधी किसी भी स्तर पर छूट नहीं पाएंगे. राज्य प्रशासन का यह रुख बताता है कि जनता की सुरक्षा और अपराध नियंत्रण अब सबसे प्राथमिक मुद्दा है और इसे किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाएगा.

छोटी चोरी भी संगठित अपराध

बिहार पुलिस के इस नए फ्रेमवर्क के अनुसार अब चोरी, पॉकेटमारी, स्नैचिंग, टिकट ब्लैकिंग, अवैध सट्टा, प्रश्नपत्र बिक्री, जुआ और धोखाधड़ी जैसे अपराधों को भी संगठित अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा. कारण यह कि ऐसे मामलों में अक्सर दो या अधिक लोग मिलकर लगातार अपराध को अंजाम देते हैं, जो आगे जाकर एक बड़े गैंग या क्रिमिनल नेटवर्क में बदल जाते हैं. इसलिए अब इन मामलों को मामूली समझकर नजरअंदाज नहीं किया जाएगा, बल्कि हर शिकायत को गंभीर अपराध मानकर उसी स्तर की कार्रवाई होगी जिससे अपराध का नेटवर्क जड़ से खत्म किया जा सके.

अपराधियों का मनोबल तोड़ने की कोशिश 

डीजीपी विनय कुमार ने स्पष्ट कहा है कि यदि दो या अधिक लोग किसी भी अपराध को बार-बार मिलकर करते हैं, तो वह कार्रवाई सीधे संगठित अपराध के तहत होगी. इसमें अपहरण, वाहन चोरी, जमीन कब्जा, साइबर फ्रॉड, मानव तस्करी, अवैध हथियार कारोबार, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग और लूट जैसे अपराध शामिल हैं. पुलिस का उद्देश्य अब सिर्फ अपराध में शामिल व्यक्ति को पकड़ना नहीं है, बल्कि उन गिरोहों को शुरुआती चरण में ही खत्म करना है, जो आगे चलकर बड़े अपराध सिंडिकेट का रूप ले लेते हैं. इस रणनीति से अपराधियों के मनोबल को वहीं तोड़ने की कोशिश है, जहां से उनका नेटवर्क बनना शुरू होता है.

अपराध की जड़ पर वार

भारत की नई न्याय संहिता (BNS-2023) के प्रावधानों के अनुसार अब अपराध के पीछे के पैटर्न, कनेक्शन और संगठित तरीके से अपराध होने की संभावनाएं भी जांच के दायरे में आएंगी. पुलिस शुरुआत से ही ऐसे अपराधियों और उनके नेटवर्क की पहचान करेगी, उनकी हिस्ट्री-शीट खोलेगी और निगरानी को लगातार बनाए रखेगी. यानी अपराध को बढ़ने का मौका ही नहीं दिया जाएगा. अपराध यदि छोटा है तो वह शुरू से ही काबू में रहेगा और अगर उसमें संगठित गैंग बनने का लक्षण दिखे तो उसे समय रहते कुचल दिया जाएगा.

स्मॉल ऑर्गनाइज्ड क्राइम- अपराध की नई भाषा

बिहार पुलिस ने छोटे अपराधों के लिए नई कैटेगरी बनाई है 'स्मॉल ऑर्गनाइज्ड क्राइम'. इस कैटेगरी में आने वाले अपराधों को स्पेशल रिपोर्टेड (SR) केस दर्ज किया जाएगा. इसका मतलब है कि इनकी फाइल अलग बनेगी, इनकी मॉनिटरिंग अलग होगी और इन अपराधों पर नियमित रिव्यू होगा. अब अगर कोई जेबकतरा है या छोटी ठगी करता है, तो वह पुलिस रिकॉर्ड में संगठित अपराध की ट्रैकिंग लिस्ट में दर्ज हो जाएगा और उसकी हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी. यानी छोटी चोरी अब बड़े अपराध की चेतावनी मानी जाएगी.

SP को अलर्ट मोड में काम का आदेश

डीजीपी ने सभी जिलों के एसएसपी-एसपी को पत्र लिखकर स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कोई भी FIR हल्के में न ली जाए और हर छोटे अपराध की जांच उसी गंभीरता से हो जैसे किसी बड़े केस की होती है. पुलिस को अब हर अपराध में यह जांच करनी होगी कि क्या यह किसी सिंडिकेट का हिस्सा है या किसी समूह की ओर से संगठित ढंग से किया जा रहा है. यह बदलाव पुलिस की कार्यप्रणाली को पूरी तरह परिणाम आधारित बना देगा, जिसमें अपराध के होने के बाद नहीं, बल्कि अपराध के होने से पहले उसकी जड़ की पहचान की जाएगी.

अपराधियों के लिए नहीं है बिहार: सम्राट चौधरी

गृह मंत्री सम्राट चौधरी ने अपराधियों के खिलाफ एक बेहद सख्त बयान देकर अपराध रोकथाम अभियान की शुरुआत कर दी है. उन्होंने कहा, “बिहार अपराधियों के लिए नहीं है. जंगलराज हमेशा के लिए खत्म हो गया है. पाँच- सात दिन रुकिए, एक भी अपराधी यहां रहने नहीं दिया जाएगा.” उनका यह बयान साफ बताता है कि बिहार में अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति लागू है और अब किसी भी अपराध को सहन नहीं किया जाएगा, चाहे वह छोटा हो या बड़ा.

नई सरकार का कानून-व्यवस्था सुधार

नीतीश सरकार के नवीनतम कार्यकाल में लागू यह पहला बड़ा सुधार है, जो दिखाता है कि सुरक्षा और कानून व्यवस्था सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. यह नई नीति पुलिस की जवाबदेही को बढ़ाती है, आम जनता में सुरक्षा का विश्वास मजबूत करती है और यह सुनिश्चित करती है कि कोई छोटा-सा अपराध भी आने वाले समय में खतरे का रूप न ले सके. यह सुधार बिहार को एक ऐसे राज्य के रूप में स्थापित करने की कोशिश है, जहां कानून की पकड़ अपराध से ज्यादा तेज काम करेगी.

संगठित अपराध मुक्त हो बिहार

इस नई पुलिसिंग नीति का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य यह है कि अपराध को बनने ही न दिया जाए. यानी अपराध यदि जन्म ले भी तो वही दम तोड़ दे. अपराधियों के नेटवर्क को प्रारंभिक स्तर पर तोड़कर राज्य सरकार इस बात को सुनिश्चित करना चाहती है कि आने वाले वर्षों में बिहार संगठित अपराध से पूरी तरह मुक्त हो सके. यह सुरक्षा को सिर्फ आज के लिए नहीं, भविष्य के लिए सुरक्षित करने की कोशिश है.

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