बिहार में बदलेगी सत्ता या नीतीश जनता का भरोसा जीतने में होंगे कामयाब? JDU सांसद बोले- 'PK है क्या'

Bihar CM Nitish Kumar News: नालंदा से जेडीयू सांसद कौशलेंद्र कुमार का कहना है कि जो लोग यह कह रहे हैं कि बिहार में बदलाव तय है, उनसे पूछिए प्रदेश का विकास किसके कार्यकाल में हुआ? क्या सीएम नीतीश कुमार का विकल्प किसी के पास है. सीएम ने बिहार के लिए वो काम किया है, जिसका जवाब विपक्ष के किसी भी दल के पास नहीं है.;

Curated By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 2 July 2025 5:37 PM IST

बिहार में चुनाव नजदीक आते ही चौक चौराहों पर लोग यही चर्चा करते मिल जाते हैं कि इस बार प्रदेश का सीएम कौन बनेगा? क्या नीतीश कुमार चुनाव बाद 10वीं बार सीएम बन अपना ही रिकॉर्ड तोड़ेंगे या किसी और को सीएम बनने का मौका मिलेगा. वहीं, एक तबका दूसरा है, जिसका कहना है कि बिहार की जनता के बीच अब जेडीयू प्रमुख और सीएम को लेकर भरोसे में कमी आई है. वह भाषण देते वक्त यह भूल जाते हैं कि देश का पीएम कौन है? ऐसे में जनता उसी शख्स को फिर सीएम क्यों बनाएगी?

 

ऐसा कहने वालों का तर्क है कि ताजा सी-वोटर सर्वे का लेटेस्ट रुझान को ही देख लीजिए. सी-वोटर सर्वे में सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेता के रूप में तेजस्वी यादव उभरकर सामने आए हैं. नीतीश का समर्थन 18 प्रतिशत लोगों ने ही किया है. तीसरे नंबर पर जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर का नाम और चौथे नंबर पर सम्राट चौधरी हैं.

76 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं ने इंडिया गठबंधन को किया था वोट

वैसे भी, साल 2019 के बाद से जेडीयू के मुस्लिम समर्थकों के कमी आई है. साल 2020 विधानसभा और 2024 लोकसभा चुनाव में जेडीयू का एक भी मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया. जबकि साल 2005 और 2010 के चुनाव में नीतीश कुमार को जिताने में मुसलमानों ने अहम भूमिका निभाई थी. साल 2015 से बिहार के मुसलमान आरजेडी और कांग्रेस को वोट देते हैं. साल 2020 विधानसभा चुनाव में 76 प्रतिशत मुसलमानों ने महागठबंधन को वोट किया था.

दरअसल, मुसलमान मूल रूप से 'अशराफ', 'अजलाफ', और 'अरजाल' में बंटे हुए हैं, जिनमें अलग-अलग जातियां शामिल हैं. हिंदुओं में जैसे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र वर्ण होते हैं, वैसे ही अशराफ,अजलाफ और अरजाल को सियासी दलों के नेता अलग-अलग जाति के रूप में बांटकर चल रहे हैं.

जनता जानती है, नीतीश ही हैं विकास पुरुष: जेडीयू सांसद

नालंदा से जेडीयू सांसद कौशलेंद्र कुमार का कहना है कि जो लोग यह कहते हैं बिहार में सीएम नीतीश कुमार की लोकप्रियता कम हो गई है, उन्हीं से आप ये पूछिए कि क्या विकास का किसने किया, वह जवाब देगा कि ये बात तो सही है कि उन्होंने जो काम किया है, उसे बिहार वाले भूल नहीं सकते हैं. उन्होंने कहा कि बिहार के मतदाता पूरी तरह से गोलबंद हैं. कुर्मी वोट नीतीश के अलावा किसी को नहीं मिलेगा. महिलाएं नीतीश को ही वोट करेंगी. बिहार में सरकारी नौकरी में लगातार भर्ती जारी है. पटना सहित बिहार के किसी भी शहर में चले जाइए, आप ओवरब्रिज के सहारे बिना जाम रुके शहर से बाहर निकल सकते हैं. इसलिए, ये कहना है कि नीतीश कुमार के प्रति लोगों के भरोसे में कमी आई है तो यह पूरी तरह सच को झुठलाने जैसा होगा. जहां तक 'पीके' के दावों की बात है तो उनसे पूछिए कि उन्हें कौन देगा वोट?

बिहार में बदलाव तय है - प्रशांत किशोर

जन सुराज पार्टी के अध्यक्ष प्रशांत किशोर का कहना है कि इस बार बिहार में बदलाव तय है. नीतीश कुमार नवंबर के बाद मुख्यमंत्री नहीं होंगे. बदलाव की इच्छा रखने वाले लोगों को यह तय करना है कि वह जन सुराज जैसे नए विकल्प को चुनते हैं या फिर पिटी पिटाई पुरानी व्यवस्था में जाना चाहते हैं. जो लोग भी बीजेपी के नेतृत्व और उनकी कार्यशैली को जानते और समझते हैं वह ये जानते हैं कि नीतीश सीएम नहीं बनेंगे.

पीके के मुताबिक पूरा बिहार जानता है कि नीतीश कुमार की शारीरिक और मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. अब वह सही तरीके से काम नहीं कर पा रहे हैं. वह मंच पर बैठे पीएम नरेंद्र मोदी का नाम तक भूल जाते हैं. वह ये भूल जाते हैं कि राष्ट्रगान चल रहा है या कव्वाली.

मतदाताओं पर नीतीश की पकड़ बरकरार - अंशु प्रियंका मिश्रा

लोक जनशक्ति पार्टी बिहार की प्रवक्ता अंशु प्रियंका मिश्रा का कहना है कि नीतीश कुमार की लोकप्रियता में कमी की बात करना बेमानी है. उन्होंने बिहार के लिए जो काम किया है, वो किसी ने नहीं किया है. महिलाओं और युवाओं, अति पिछड़ों एवं मुसलमानों के एक बड़े तबके में उनकी पकड़ पहले की तरह बरकरार है. विरोधी पार्टियों को उनकी आलोचना व विरोध करने अधिकार है, लेकिन उनके पास नीतीश जैसा चेहरा है क्या? ऐसे में बिहार की जनता किसे वोट देगी ये भी साफ है.

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