पहली बार देश में कब और कहां लूटा गया था बूथ, बंदूक के जोर पर कहां डलवाए गए थे वोट?

Country First Booth Loot Bihar: भारतीय लोकतंत्र में बिहार का रचियाही बूथ लूट कांड लोकतंत्र का काला धब्बा है. इस कांड की कहानी बेहद चौंकाने वाली है. चुनावी प्रक्रिया को हथियारों के साये में बंधक बनाकर जबरन वोट डलवाने और लोकतंत्र का अपहरण करने की शुरुआत कब और कहां हुई, यह जानना सभी के लिए बेहद जरूरी है. ताकि लोग निडर होकर मतदान कर सकें और यह साबित कर सकें कि बूथ लूट कांड अब फिर से कभी नहीं हो सकता.;

( Image Source:  Sora_ AI )
By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 20 Aug 2025 7:00 PM IST

Begusarai Rachiyahi First Booth Loot Bihar: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आहट के बीच एक बार फिर देश का पहला बूथ लूट कांड सभी के जेहन में ताजा हो गया है. जब एक बाहुबली नेता के गुंडों ने बिहार में पूरे सिस्टम को हिलाकर रख दिया था. देश में पहली बार 1975 बिहार विधानसभा चुनाव में बंदूकों के साये में खुलेआम वोटों की लूट हुई थी. यही वजह है कि विधानसभा या लोकसभा चुनाव होने पर हर बार बेगूसराय के रचियाही बूथ लूट की चर्चा जरूर होती है. लोग यही कहते हैं, वो घटना, जब पहली बार बूथ कैप्चरिंग हुई थी.

देश में पहली बार कब और किसने बंदूक की ताकत से बूथ लूटने की घटना को अंजाम दिया, किसके इशारे पर हुआ लोकतंत्र का यह सबसे बड़ा खेल. यह सब जानिए इस रिपोर्ट में.

लोकतंत्र का काला अध्याय

आज से 68 साल पहले यानी 1957 के विधानसभा चुनाव में हुई वो घटना आज भी लोकतंत्र के काले अध्याय के तौर पर मौजूद है. उस समय बिहार में कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी का था बोलबाला था. 1952 के पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बेगूसराय विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी, लेकिन 1956 में कांग्रेस विधायक के निधन के बाद 1956 में हुए उपचुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी के चंद्रशेखर सिंह ने सभी को मात देते हुए सीट पर कब्जा कर लिया.

1957 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी आमने-सामने थीं. कांग्रेस के टिकट पर सरयुग सिंह चुनावी मैदान में थे. जबकि कम्युनिस्ट पार्टी की तरफ से 1956 में विधायक बने चंद्रशेखर प्रसाद सिंह चुनाव लड़ रहे थे. दोनों प्रत्याशियों ने जोर-शोर से चुनाव प्रचार किया और जनता-जनार्दन से जीत का आशीर्वाद मांगा.

रचियाही बूथ लूट कांड 1957 का इतिहास

बेगूसराय शहर से सिर्फ 6 किलोमीटर दूर है रचियाही, जहां पहले कचहरी टोल हुआ करता था. रामदीरी से सिमरिया तक के लोगों की जमीन की रसीद इस कचहरी टोल पर कटती थी. साल 1957 के विधानसभा चुनाव के लिए यहीं पोलिंग बूथ बनाया गया था. कचहरी टोल के इस बूथ पर रचियाही के अलावा मचहा, राजापुर और आकाश पुर गांव के लोग मतदान करने आते थे.

अचानक हथियारों से लैस 20 लोगों ने राजापुर और मचहा गांव के मतदाताओं को रास्ते में ही रोक लिया. इसके बाद बूथ पर पहले से ही मौजूद कुछ लोगों ने मतदाताओं को खदेड़ना शुरू कर दिया. इसका विरोध करने वालों की बूथ लुटेरों ने जमकर पिटाई की. कई लोग इस हादसे में घायल हुए थे. लुटेरों के एक गुट ने बूथ कैप्चर किया और दूसरे ने जमकर फर्जी वोटिंग की. इस कांड को अंजाम देने का आरोप कांग्रेस प्रत्याशी सरयुग सिंह पर लगा. जिस समय बूथ लूट को अंजाम दिया गया, उस समय डॉन काका कामदेव के लुटेरे बंदूक और अन्य हथियार से लैस थे. सभी ने जमकर अपने आका के आदेश का पालन किया और लूटे गए बूथ के सारे वोट कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में डाल दिए.

यहां पर इस बात का जिक्र कर दें कि उस समय मतदान केंद्रों पर सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं होती थी. न ही ऐसी कोई संस्था थी जिस तक शिकायत पहुंचाई जाती. लोगों को इस घटना का पता भी अगले दिन ही चल पाया. जिसके बाद पूरे देश में बूथ कैप्चरिंग की चर्चा शुरू हो गई. जिन लोगों ने बूथ कैप्चर किया था, वे कांग्रेस प्रत्याशी सरयुग प्रसाद सिंह के समर्थक थे. इस चुनाव में सरयुग प्रसाद सिंह की जीत भी हुई थी. डॉन काका कामदेव और उसके पाले गुंडों के जरिए कांग्रेस प्रत्याशी ने बूथ कैप्चरिंग ने कराई थी.

इसलिए लूट को दिया गया अंजाम

कांग्रेस प्रत्याशी सरयुग प्रसाद सिंह को इस बात की आशंका थी कि अगर तीन गांवों से जुड़े उस बूथ के लोगों ने खुद से वोट डाला, तो उनकी स्थिति कमजोर हो सकती है. इस बात को भांपते हुए, उन्होंने अपने दंबग समर्थकों को लोगों को वोट डालने से रोकने को कहा. आरोप लगा कि न सिर्फ वोट डालने से रोका गया बल्कि उन लोगों के बदले वोट भी डाल दिए गए. तब वोटर पर्ची पर अगर कोई दूसरा उसके बदले वोट डाल दे तो उसे पहचान पाना बहुत कठिन होता था. हालांकि यह घटना आग की तरफ फैल गई और चुनाव आयोग ने भी माना कि धांधली हुई थी. इस तरह यह भारत के चुनावी इतिहास में पहली बूथ कैप्चरिंग की घटना हो गई.

 कांग्रेस के काले धब्बे को धोएंगे एलजेपीआर के नेता - विभय झा

लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के प्रवक्ता विभय झा का देश के पहले बूथ लूट कांड को लेकर कहना है कि कांग्रेस का इतिहास ही लोकतंत्र के चीर हरण का रहा है. अब राहुल गांधी और प्रदेश कांग्रेस के नेता यही काम आरजेडी के साथ कर रहे हैं. कांग्रेस प्रत्याशी द्वारा करवाया गया देश का पहला रचियाही बूथ लूट कांड बिहार के नाम पर लोकतंत्र के लिए काला धब्बा है. कांग्रेस ने हमेशा बिहार को बदनाम करने का काम किया. कांग्रेस के इस पास को धोने के लिए ही एलजेपीआर के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने बिहारी अस्मिता का नारा दिया है. 'बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट' के पीछे उनकी मंशा बिहार पर लगे इस काले धब्बे धोना है.

कांग्रेस-RJD के जंगलराज में होता था ऐसा -  सुनंदा केसरी

बिहार भाजपा वाणिज्य प्रकोष्ठ से जुड़ी डॉ. सुनंदा केसरी का कहना है कि रचियाही गांव बूथ लूटकांड बिहार के नाम पर कलंक है. ऐसा कांग्रेस शासनकाल और आरजेडी के जंगलराज में होता था. जब से बीजेपी केंद्र में आई है, तब से ऐसा नहीं होता. मोदी राज में जहां भी चुनाव होता है, वहां पर सुरक्षा का पुख्ता बंदोबस्त होता है. अब कोई ऐसा नहीं कर सकता. पहले बूथों पर सुरक्षा व्यवस्था में कमी होती थी. बूथ कैप्चरिंग बीते जमाने की बात है. अब किसी की हिम्मत नहीं है कि चुनाव के दौरान बिहार में कहीं भी रचियाही घटना को रिपीट कर सके. ऐसा इसलिए कि अब शासन व्यवस्था चुस्त और दुरुस्त है.

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