राघोपुर में भाई बनाम भाई! क्या तेज प्रताप बनेंगे तेजस्वी के लिए चुनौती? किसका होगा फायदा
बिहार के राघोपुर विधानसभा सीट पर भाई बनाम भाई (तेज प्रताप बनाम तेजस्वी) के बीच सियासी जंग बहुत बड़ा सवाल है. तेज प्रताप यादव का राघोपुर में एक्टिव होना केवल भाई-भाई की लड़ाई नहीं बल्कि पूरे RJD वोट बैंक और गठबंधन समीकरणों को प्रभावित कर सकता है. अगर ऐसा हुआ तो तय है कि एनडीए गठबंधन को लालू परिवार के परंपरागत सीटों पर चुनावी लाभ मिल सकता है.;
बिहार के राघोपुर विधानसभा इलाके में बाढ़ आने के बाद तेज प्रताप यादव द्वारा राहत साम्रगी बांटना सिर्फ सामाजिक सेवा नहीं है. यह राजनीतिक संकेत भी है कि वह खुद को तेजस्वी के बराबर या उनसे प्रतिस्पर्धी नेता के रूप में स्थापित करना चाह रहे हैं. अब तेजस्वी यादव यह देखना होगा कि वह जनता की उम्मीदों पर खरे उतरते हैं या नहीं.
दरअसल, तेज प्रताप यादव द्वारा राघोपुर में राहत सहायता बांटना की घटना को लेकर राजनीतिक हलचल काफी चर्चा में है. लोगों के बीच चर्चा यह है कि तेजस्वी यादव पर क्या असर कर सकती है और चुनाव लड़ने की स्थिति कैसी दिख रही है?
तेजप्रताप के इस कदम का मतलब क्या है?
बिहार में बाढ़ प्रभावित राघोपुर में पहुंचकर तेजप्रताप यादव ने राहत सामग्री बांटने के बाद आरोप लगाया कि राज्य सरकार (Nitish Kumar) और स्थानीय एमएलए-सांसद (जिसमें तेजस्वी यादव भी शामिल हैं) बाढ़ पीड़ित लोगों की मदद नहीं कर रहे हैं. हालांकि, तेजस्वी यादव ने उस इलाके का दौरा किया था लेकिन राहत बांटना कम किया, लोगों से बातचीत कर वापस चले गए.
1. प्रतिद्वंद्विता (Siblings rivalry)
तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव के बीच झड़प अब सार्वजनिक हो रही हैं. तेजप्रताप को RJD से निष्कासित किया गया है. राहत बांटना इस स्थिति में तेज प्रताप का यह संदेश है कि वह 'जन सेवा' के नाम पर जनता के बीच अपना आधार बना सकते हैं. तेजस्वी की छवि को चुनौती दे सकते हैं.
2. वोट बैंक और लोकप्रियता बढ़ाने की कोशिश
वैसे तो बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत पहुँचाना आम जनता के दुख-कष्ट से जुड़ने का तरीका है. इससे जनता में यह धारणा बन सकती है कि तेज प्रताप ज्यादा सक्रिय नेता हैं.
3. चुनाव की रणनीति
बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक है. तेज प्रताप द्वारा इस तरह की पहल, जनता की भावनाओं का इस्तेमाल करना, चुनावी मैसेज देना एक रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है. लोग यह पूछ रहे हैं कि दिखावटी जन-सेवा सरकार और तेजस्वी यादव को बदनाम कर उन्हें क्या मिलेगा?
4. तेजस्वी यादव छवि होगी खराब, बढ़ेंगी मुश्किलें
जब जनता को लगे कि उनके प्रतिनिधियों द्वारा राहत नहीं पहुंचाई जा रही, लेकिन कोई बाहरी आकर राहत बांट रहा है, तो उनकी तीखी आलोचना हो सकती है. तय है कि इस सीट से विधायक होने के नाते तेजस्वी यादव की छवि खराब होगी. तेज प्रताप की ये गतिविधियां RJD के अंदर भी असंतोष को हवा दे सकती हैं. विशेष रूप से उन लोगों में जो पार्टी की लाइन से आगे बढ़ना चाहते हैं. इससे आरजेडी का वोटर बेस प्रभावित हो सकता है.
5. चुनावी राजनीति पर असर
अगर तेजप्रताप चुनाव लड़ते हैं उसी क्षेत्र से, तो तेजस्वी को अपनी कामयाबी साबित करनी पड़ेगी कि वे क्षेत्र के लिए क्या कर चुके हैं और जनता को क्यों मतदान करना चाहिए?
6. तेजप्रताप राघोपुर से लड़ेंगे चुनाव?
दरअसल, निजी मामलों को लेकर आरजेडी और अपने घर से निकाले जाने के बाद तेज प्रताप ने जनशक्ति जनता दल के नाम की नई राजनीतिक पार्टी बनाई है. उन्होंने संकेत दिए हैं कि क्षेत्र में उनका सक्रिय होना चुनावी तैयारी का हिस्सा है. राहत वितरण आदि उसी का हिस्सा हो सकता है. लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि वह राघोपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे कि नहीं.
7. राघोपुर तेजस्वी की पारंपरिक सीट
राघोपुर विधानसभा सीट RJD का गढ़ रहा है. यहां से पहले लालू प्रसाद यादव, फिर राबड़ी देवी और अब तेजस्वी यहां से चुनाव जीते हैं.तेज प्रताप का यहां राहत बांटना और जनता से सीधे जुड़ना तेजस्वी के वोटों में 5–7% तक सेंध लगा सकता है. इसका सीधा असर यह होगा कि अगर विपक्ष (NDA) मजबूत प्रत्याशी खड़ा करता है, तो तेजस्वी की जीत का मार्जिन घट जाएगा. यानि, अगर तेजस्वी को 55 से 60% वोट मिलते हैं, तो यह गिरकर 48–50% तक आ सकता है.
8. यादव बहुल है वैशाली-पटना-छपरा बेल्ट
वैशाली-पटना-छपरा बेल्ट में RJD का पारंपरिक वोट बैंक यादव मुस्लिम (MY) का गढ़ है. तेज प्रताप का अलग खड़ा होना यादव वोट में 2-3% तक का बंटवारा कर सकता है. भले ही यह कम लगे, लेकिन अगर सीटें करीबी मुकाबले में हैं (जैसे NDA बनाम RJD में अंतर 3–4% होता है), तो कई सीटों पर हार-जीत का रिजल्ट बदल सकता है.
9. तेजस्वी यादव के लिए मुश्किल क्यों
तेजस्वी को अब न सिर्फ NDA से लड़ना होगा बल्कि घर के भीतर की राजनीति से उन्हें पार पाना होगा. मीडिया और विपक्ष के नेता इस मामले को परिवार में फूट बताकर RJD की एकता पर सवाल उठाए जाएंगे. इससे undecided वोटर का मन बदल सकता है. ऐसा हुआ तो उसका लाभ एनडीए को मिलना जय है.