'जय श्री राम' कहने पर भड़के तेज प्रताप यादव, बोले- 'जय सिया राम' कहें, मैं यहां की मिट्टी को...
बिहार की सियासत में तेज प्रताप यादव की नई राजनीतिक पारी चर्चा में है. सीतामढ़ी रैली में उन्होंने सिर्फ 'जय श्री राम' के बजाय 'जय सिया राम' का नारा लगाने का आग्रह किया. उनका यह संदेश सांस्कृतिक और धार्मिक सम्मान को मजबूत करता है. जनता और युवाओं के बीच उनका प्रभाव बढ़ रहा है. यह रैली उनके समर्थन को मजबूत करने के साथ-साथ आगामी बिहार चुनाव के लिए राजनीतिक हलचल पैदा कर रही है.;
बिहार की सियासत इन दिनों तेज प्रताप यादव की वजह से सुर्खियों में है. लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और आरजेडी के पूर्व नेता, तेज प्रताप अब अपनी नई पार्टी 'जनशक्ति जनता दल' के जरिए राज्य के अलग-अलग हिस्सों में रैलियां कर रहे हैं. पार्टी और परिवार से अलग होने के बाद तेज प्रताप लगातार जनता से जुड़े हुए हैं और उनके भाषणों में अब अलग ही जोश देखने को मिल रहा है.
हाल ही में तेज प्रताप यादव सीतामढ़ी जिले के रुन्नीसैदपुर पहुंचे. जैसे ही वो मंच पर आए, रैली में मौजूद लोग जोश में आ गए और जोर-जोर से 'जय श्री राम' के नारे लगाने लगे. लेकिन तेज प्रताप ने तुरंत ही माइक्रोफोन संभाला और नारे के सही तरीके पर सबका ध्यान खींच लिया.
सिर्फ 'जय श्री राम' नहीं, 'जय सिया राम'
तेज प्रताप ने साफ कहा कि सिर्फ 'जय श्री राम' का नारा लगाना गलत है. उन्होंने बताया कि इस नारे में सीता माता का नाम शामिल नहीं है. उन्होंने समर्थकों से अपील की कि सही नारा 'जय सिया राम' होना चाहिए, ताकि राम और सीता दोनों का सम्मान हो. उनके इस बयान ने मंच पर मौजूद लोगों को चौंका दिया और साथ ही उनका समर्थन भी बढ़ा दिया.
मां जानकी की धरती से संदेश
तेज प्रताप ने रैली में जोर देकर कहा कि यह इलाका जानकी की धरती है, इसलिए यहां न केवल राम का नाम, बल्कि सीता का नाम भी लिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ धार्मिक भावना नहीं, बल्कि सांस्कृतिक सम्मान का सवाल है. उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि भविष्य में नारे में यह बदलाव जरूर किया जाए.
सोशल मीडिया में वायरल हो रही वीडियो
रैली का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. लोग तेज प्रताप की बातों की तारीफ कर रहे हैं और इसे बिहार की राजनीति में एक नया संदेश माना जा रहा है. हालांकि, मीडिया ने इस वीडियो की पुष्टि अभी तक आधिकारिक रूप से नहीं की है, लेकिन लोग इसे काफी चर्चा में ला रहे हैं.
राजनीतिक और सांस्कृतिक संदेश
तेज प्रताप यादव केवल राजनीतिक दल का नेता ही नहीं, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक और धार्मिक भावनाओं को भी मजबूत करने का संदेश दे रहे हैं. उनकी यह पहल उन्हें युवाओं और जनता के बीच और लोकप्रिय बना रही है. इसके जरिए उनकी नई पार्टी को भी पहचान मिल रही है.
बिहार चुनाव पर असर
तेज प्रताप की रैलियों और नए संदेशों से बिहार की राजनीति में हलचल बढ़ रही है. उनकी यह नई सोच और जनता से जुड़ाव, खासकर युवाओं और जातीय समूहों के बीच, आगामी चुनावों में उनकी और उनकी पार्टी की स्थिति को मजबूत कर सकता है. जनता की इस उत्सुकता ने विपक्ष और अन्य दलों के लिए भी चुनौती खड़ी कर दी है.
तेज प्रताप का भविष्य
तेज प्रताप की राजनीतिक यात्रा अभी शुरू हुई है और उनके बयान, रैलियां और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो उनके राजनीतिक पावर को और भी बढ़ा रहे हैं. यह साफ है कि बिहार की सियासत में उनका अलग अंदाज़ और नया दृष्टिकोण कई राजनीतिक समीकरण बदलने की क्षमता रखता है.